Saturday, May 18, 2024
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झारखंड में पोर्टेबिलिटी का लाभ उठाने की इच्छा रखते हैं कई लाभुक : डालबर्ग एडवाइजर्स का अध्ययन

मनचाहे पीडीएस डीलर से राशन उठाव की सुविधा


  • देशपत्र डेस्क
  • रांची। प्रमुख सोशल इम्पैक्ट एडवाइज़री ग्रुप, डालबर्ग ने वन नेशन वन राशन कार्ड के वादे को पूरा करने को लेकर एक व्यापक अध्ययन जारी किया है। उक्त अध्ययन, वर्ष 2019 में शुरू किए गए वन नेशन वन राशन कार्ड (ओएनओआरसी) में निश्चित सुधार दर्ज करने के लिए तैयार किया गया था। ओएनओआरसी पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम (पीडीएस) का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इस अध्ययन को सामाजिक प्रभाव पर केंद्रित एक इन्वेस्टमेंट फर्म, ओमिड्यार नेटवर्क इंडिया द्वारा समर्थन दिया गया है।
    रिपोर्ट के माध्यम से यह बात सामने आई है कि प्रवासी परिवारों को खाद्य सुरक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से बनाई गई ओएनओआरसी योजना का गैर-प्रवासियों पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। जिन परिवारों को पीडीएस से फायदा मिला है, वे किसी भी फेयर प्राइस शॉप (एफपीएस) से अपना राशन प्राप्त कर सकते हैं। जबकि अधिकांश परिवारों को पोर्टेबिलिटी और किसी भी एफपीएस से राशन लेने के उनके अधिकार की जानकारी है, इसके बावजूद इंटर-स्टेट पोर्टेबिलिटी के बारे में जागरूकता (प्रवासी कार्यबल के लिए सबसे अधिक लागू) 58 प्रतिशत तक दर्ज की गई है। अध्ययन से यह भी पता चला है कि अधिकांश ओएनओआरसी लेनदेन सफल होते हैं, लेकिन फिर भी एफपीएस पर टेक्नोलॉजी फेल्योर्स और स्टॉकआउट का डर, सेवा से दूर रहने के मुख्य कारण हैं। सरकार द्वारा यह निर्देश जारी किया गया है कि टेक्नोलॉजी के चलते होने वाले फेल्योर्स के कारण राशन से इनकार न किया जाए, इसके बावजूद यह बात सामने आई है कि अधिकांश पीडीएस डीलर्स या तो इस बात से अनजान थे या ऐसी स्थितियों में राशन जारी करने के लिए किसी एक्सेप्शन हैंडलिंग मैकेनिज्म का उपयोग करने के लिए तैयार ही नहीं थे। अध्ययन में यह भी बताया गया है कि सीमा पर रहने वाली महिलाओं को राशन तक पहुँच पाने में सबसे ज्यादा मुश्किल होती है।
    इस अध्ययन में पाँच राज्यों- आंध्र प्रदेश, झारखंड, कर्नाटक, राजस्थान और उत्तर प्रदेश पर मुख्य तौर ध्यान केंद्रित किया गया था। ऐसा इसलिए, क्योंकि ये इस योजना को अपनाने वाले सबसे पहले राज्य थे और पोर्टेबिलिटी के तहत किए गए पीडीएस लेनदेन के 40% से अधिक के लिए जिम्मेदार थे। अपनी तरह के पहले व्यापक अध्ययनों में, यह लाभार्थियों के साथ-साथ पीडीएस डीलर्स पर ओएनओआरसी के प्रभाव और अनुभव पर भी प्रकाश डालता है, और योजना की डिज़ाइन और कार्यान्वयन में सुधार के लिए पॉलिसी मेकर्स को इनपुट प्रदान कर सकता है।
  • झारखंड के लिए प्रमुख निष्कर्ष:
    परिवारों और पीडीएस डीलर्स के बीच पोर्टेबिलिटी के बारे में जागरूकता बढ़ाने से ओएनओआरसी के तहत राशन लेने में मदद मिल सकती है।
  • 65 प्रतिशत पीडीएस डीलर्स आंशिक रूप से पोर्टेबिलिटी के बारे में जानते थे, लेकिन बाकी लोगों को इस बात की जानकारी नहीं थी कि जहाँ राशन कार्ड धारक पंजीकृत नहीं है, वहाँ से भी एफपीएस पर राशन प्राप्त कर सकते हैं।
    • 29 प्रतिशत परिवार इस बात से अनजान थे कि वे अपने पंजीकृत स्थान के अलावा भी किसी फेयर प्राइस शॉप से राशन प्राप्त कर सकते हैं।
    • झारखंड में 1प्रतिशत परिवारों ने सर्वेक्षण से पहले पोर्टेबिलिटी के तहत राशन लेने की कोशिश की, जो कि सबसे कम आँकड़ें थे। हालाँकि, राज्य के राशन कार्ड वाले 15प्रतिशत परिवार, जिन्होंने पोर्टेबिलिटी की कोशिश नहीं की थी, वे इसका लाभ उठाना चाहते थे।
    हर एक स्तर पर, आपूर्ति और टेक्नोलॉजी संबंधी चुनौतियों का समाधान करने से लाभार्थी के अनुभव में सुधार किया जा सकता है।
    • राज्य में 11प्रतिशत डीलर्स, जिन्हें पोर्टेबिलिटी के तहत राशन प्राप्त करने के इच्छुक लाभार्थी तो प्राप्त हुए, लेकिन वे उन्हें उचित सेवाएँ देने में असक्षम रहे।
    • खराब इंटरनेट कनेक्टिविटी और बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन फेल्युअर के अलावा स्टॉक खत्म होने का डर भी सीमित सेवा की चुनौतियों में से एक रहा।
    • लाभार्थियों और पीडीएस डीलर्स को एक फ्लेक्सिबल सिस्टम के कार्यान्वयन के साथ-साथ पोर्टेबिलिटी सुविधा के रोलआउट के बारे में सूचित करना, जो डीलर्स के कम होने पर अतिरिक्त स्टॉक की माँग की अनुमति देता है, संभावित रूप से झारखंड में राशन की समग्र डिलीवरी में सुधार करने में मदद कर सकता है।
    श्वेता तोतापल्ली, पार्टनर, डालबर्ग एडवाइज़र्स कहती हैं, “महामारी से ठीक पहले भारत की पहल ‘वन नेशन वन राशन कार्ड’ ने कई लोगों को सेवा दी है। पहली बार एक नए शहर में जाने वाला प्रवासी कामगार हो या एक नवविवाहित महिला जो अपना घर बसा रही हो, अब अपने भोजन के अधिकार का उपयोग करने में सक्षम हैं। जैसा कि इस योजना ने पूरे देश का ध्यान आकर्षित किया है, हमारा मानना है कि कुछ दूरियों को खत्म करने में यह कारगर सिद्ध होगा, जिनमें लाभार्थियों के बीच कम जागरूकता, पोर्टेबिलिटी सुविधाओं तक पहुँच के दौरान आने वाली समस्या और लेनदेन विफलता दर को कम करना महत्वपूर्ण है। समान रूप से, इसे अपनाने वाले राज्यों की सफलताओं से सीख निश्चित रूप से पीडीएस को लोगों तक पहुँचाने में मदद करने के लिए महत्वपूर्ण साबित होगी, जो पीडीएस डीलर्स को बेहतर समर्थन देने के लिए एक फ्लेक्सिबल स्टॉक रेक्विसिशन सिस्टम जैसे आपूर्ति पक्ष में महत्वपूर्ण बदलाव लाए हैं।”
    शिल्पा कुमार, पार्टनर, ओमिड्यार नेटवर्क इंडिया कहती हैं, “सर्वेक्षण स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि ओएनओआरसी ने पोर्टेबिलिटी को संभव बनाया है और यह जनता को उनकी पसंद के स्थान से राशन लेने की क्षमता प्रदान करता है। हमें पोर्टेबिलिटी संभावनाओं और पीडीएस डीलर्स को टेक्नोलॉजी से अवगत कराने के साथ-साथ अपवादों को संभालने के लिए ऑफलाइन पद्धतियों के उपयोग के बारे में अधिक जागरूकता पर ध्यान देने की आवश्यकता है, जिससे कि प्रत्येक भारतीय के लिए ओएनओआरसी को और अधिक समावेशी और अधिक सार्थक बनाया जा सके। ओएनओआरसी संभावित रूप से भारतीयों को एक सहज खाद्य सुरक्षा देकर भविष्य में आने वाली समस्याओं को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
    • अध्ययन में गैर-प्रवासी लाभार्थियों को शामिल किया गया और साथ ही राशन पोर्टेबिलिटी के प्रभाव को और अधिक व्यापक रूप से समझने का प्रयास किया गया।
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