रांची। केंद्र सरकार ओबीसी समुदाय को हक देना नहीं चाहती है। इसलिए देश में अभी तक जाति आधारित जनगणना करने की पहल नहीं की गई है।
इसलिए राष्ट्रीय ओबीसी मोर्चा देश में जाति आधारित जनगणना करने के लिए आंदोलन कर रही है। उक्त बातें मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष राजेश कुमार गुप्ता ने कही।
उन्होंने कहा कि झारखंड में 8 से 15 जुलाई तक राज्य के तमाम सांसदों और जिला उपायुक्तों के माध्यम से प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपी जाएगा।
श्री गुप्ता मंगलवार को हरमू स्थित कार्यालय में प्रेस को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के वरिष्ठ मंत्री राजनाथ सिंह एवं पूर्व मंत्री अरुण जेटली ने घोषणा किया था कि अगली 2021 की जनगणना जातीय जनगणना के आधार पर कराई जाएगी। बावजूद अभी तक जातीय जनगणना कराने की कोई सूचना नहीं है।
उन्होंने कहा कि देश में सभी वर्गो अर्थात अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अल्पसंख्यक, महिला-पुरुष, उभयलिंगी, पेड़-पौधे, पशु-पक्षी आदि की गिनती की जाती है। उससे डाटा अनुसार उनके विकास के लिए योजनाएं बनाई जाती है।
लेकिन 1931 के बाद ओबीसी समुदाय की गिनती नहीं हुई है। जिसका खामियाजा इस देश के आधे से अधिक आबादी वाले ओबीसी समुदाय को भुगतना पड़ रहा है। यह समुदाय विकास से कोसों दूर हाशिए पर चला गया है।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार जब केंद्रीय बजट लाती है तो 52 प्रतिशत आबादी वाले ओबीसी समुदाय के लिए एक प्रतिशत से भी कम बजट का प्रावधान की जाती है। यही कारण है कि देश में ओबीसी समुदाय का आरक्षण उनके जनसंख्या अनुपात में नहीं मिल रही है। इसलिए राष्ट्रीय ओबीसी मोर्चा आंदोलन कर रही है।
उन्होंने कहा कि देश में जब जाति आधारित गिनती हो जाएगी, तो सरकार सभी वर्गों के उसके हिस्से का अनुसार अधिकार देने के लिए विवश होगी।
प्रेस वार्ता में शत्रुघ्न राय, विष्णु सोनी, संतोष शर्मा, सुधीर राय, अशोक कुमार कुशवाहा शामिल थे।