नगर पंचायत एकंगरसराय नालंदा के अंतर्गत गाॅव महमदपुर के निवासी भाजपा के वुथ शक्ति केन्द्र के प्रमुख शिव शंकर कुमार सिंह ने बताया कि कलयुग में हनुमान जी को संकट हरण, कष्ट निवारक माना गया है। इनकी एक और विशेषता है कि यह अपने भक्तों पर बहुत ही शीघ्रता से प्रसन्न होते हैं। माता सीता के वरदान से वे अष्ट सिद्धियों और नौ प्रकार की निधियों के प्रदाता है। माता सीता ने ही उन्हें चिरंजीवी होने का आशीर्वाद भी दिया था
श्री रामचरित मानस का प्रसंग
श्री रामचरित मानस के अनुसार हनुमान जी माता सीता की खोज करने के लिए लंका पहुंचे थे। वहां उन्होंने राक्षस पति रावण के पुत्र अक्षय कुमार का वध कर अपनी शक्ति का पहले ही परिचय दिया। फिर हनुमान जी ने श्री राम की शरण स्वीकार कर माता सीता को वापस करने का सुझाव दिए। वह बताना चाहते थे कि जिन श्री राम का दूत एक वानर तुम्हारे पुत्र को मार सकता है तो उसके प्रभु श्री राम कितने शक्तिशाली हैं इसकी कल्पना ही कर लो.
ऊर्ध्वमुख हनुमान जी
हनुमान जी ने संसार में अनेकों बार राक्षसों का वध करने के लिए अलग अलग रूप धारण किए जिनमें से एक रूप से ऊर्ध्व मुखी हनुमान जी। ऊर्ध्व दिशा की ओर मुख किए हनुमान जी को ऊर्ध्वमुख हनुमान कहा जाता है और इस ओर मुख किए हनुमान जी को घोड़े का रूप माना गया है
ऊर्ध्वमुख हनुमान जी की पौराणिक कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार हयग्रीव नाम के दैत्य ने तपस्या कर भगवान से बहुत से वरदान मांगे जिनमें एक था मुझे कोई न मार सके. इसके बाद ही उसके उत्पात इतने अधिक बढ़ गए कि देवता त्राहि त्राहि करने लगे और ब्रह्मा जी के पास मुक्ति दिलाने की प्रार्थना करने पहुंचे। ब्रह्मा जी ने कुछ देर विचार करने के बाद हनुमान जी को बुलाया और उसका वध करने का आदेश दिया।इस पर हनुमान जी ने ब्रह्मा जी के कहने पर ऊर्ध्वमुख धारण कर हयग्रीव दैत्य का संहार किया था। श्री हनुमान जी के इस स्वरूप की पूजा और उपासना करने वालों को दुश्मनों और संकटों से मुक्ति मिलती है।