Sunday, May 5, 2024
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हैं तैयार हम..चंद्रयान-3 आज उड़ान भरेगा, यहाँ देखिए लाइव लॉन्चिंग दोपहर 2:35 से

चंद्रयान-3 को चाँद की सतह पर पहुँचने में 40 दिन का समय लगेगा यानी 23 अगस्त को चंद्रयान-3 चाँद की सतह पर होगा।

श्रीहरिकोटा से ISRO आज चंद्रयान-3 मिशन को लॉन्च करने जा रहा है। मिशन को लेकर हर तरह की तैयारी पूरी हो चुकी है। दोपहर 2.35 मिनट पर चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग होगी।

लैंडर विक्रम को GSLV मार्क 3 (हेवी लिफ्ट लॉन्च वाहन, जिसे बाहुबली रॉकेट कहा जाता है) पर रखा जाएगा। GSLV दिल्ली में स्थित कुतुब मीनार से भी ज्यादा 43.5 मीटर ऊंचा है। चंद्रयान-3 को चंद की सतह पर पहुँचने में 40 दिन का समय लगेगा यानी 23 अगस्त को चंद्रयान-3 चंद की सतह पर होगा। ग़ौरतलब है कि 2019 में किसी तकनीकी गड़बड़ी के कारण चंद्रयान-2 चांद की सतह पर सफलतापूर्वक लैंड नहीं कर पाया था। चंद की सतह पर लैंडिंग करते समय लैंडर और रोवर क्षतिग्रस्त हो गये थे। लेकिन इस बार ISRO चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग को लेकर आश्वस्त है। ISRO के पूर्व प्रमुख के सिवन ने कहा कि हमें इस बात का पता चल चुका है कि पिछले मिशन में क्या दिक्कत हुई थी। पिछले अनुभवों से हमने इस बार किसी तरह की कोई कमी नहीं छोड़ी है। हमें उम्मीद है कि हम तय समय पर चंद्रयान-3 को चांद की सतह पर उतार पाने में जरूर सफल होंगे। 

चंद्रयान-3 की लाइव लांचिंग देखने के लिए नीचे दिये ISRO के ऑफिसियल लिंक को क्लिक करें :

2008 में भारत ने अपने पहले चंद्रमा मिशन के दौरान चाँद के दक्षिणी ध्रुव पर पानी की खोज कि थी, जो पूरे दुनिया को चौंका गई थी। चंद्रयान-3 भारत का पहला चंद्रयान होगा जो चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरेगा, जहां पानी के अंश पाए गए हैं।

वहीं लैंडर विक्रम का मकसद सुरक्षित और सॉफ्ट लैंडिंग कराना है। चंद्रमा पर विक्रम के सॉफ्ट लैंडिंग होते ही इसका दूसरा भाग रोवर प्रज्ञान लैंडर से अलग हो जाएगा, जो एक लूनर डे (पृथ्वी के 14 दिनों के बराबर) तक चंद्रमा की सतह पर घूमेगा और वहाँ मौजूद वातावरण की जानकारी हासिल करेगा।

इस मिशन के माध्यम से वैज्ञानिकों को चंद्रमा की मिट्टी की वस्तुस्थिति, चंद्रमा की सतह के चारों ओर के जलवायु एवं वातावरण कि स्थिति एवं चंद्रमा से जुड़ी कई महत्वपूर्ण जानकारियों के मिलने की उम्मीद है।

ISRO पूर्व प्रमुख के सिवन ने कहा कि पिछले चंद्रमा मिशन के दौरान हुई चूक से सीख लेते हुए हमने लैंडर पर इंजनों की संख्या पांच से घटाकर चार कर दी है और सॉफ्टवेयर को भी अपडेट किया है। हर चीज़ का सही से परीक्षण किया गया है। हमने चंद्रयान-2 से सबक लेते हुए छोटी-बड़ी कई कमियों को दूर किया है। इसलिए हमारा विश्वास है कि इस बार हम चांद की सतह पर सफलता से उतरेंगे।

आपको बता दें कि चंद्रयान-1 चंद्रमा के लिए भारत का पहला मिशन था जिसे अक्टूबर 2008 में लॉन्च किया गया और वह अगस्त 2009 तक चालू रहा, जिससे चाँद पर पानी की संभावना को खोजकर भारत ने पूरे विश्व को स्तब्ध कर दिया था। जबकि 2019 में, चंद्रयान -2 का लैंडर नियोजित प्रक्षेपवक्र से भटक गया और उसे हैंड लैंडिंग का सामना करना पड़ा। हालांकि, ऑर्बिटर अभी भी चंद्रमा का चक्कर लगा रहा है और डेटा भेज रहा है। 

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