बिहार ही नहीं बल्कि पूरे उत्तर भारत में मकर संक्रांति के दिन पतंग उड़ाने की परंपरा वर्षों से चली आ रही है। मकर संक्रांति के दिन लोग रंग-बिरंगी पतंगें अपने घर की छतों पर उड़ाते नजर आते हैं। पतंग उड़ाने का रिवाज मकर संक्रांति के साथ जुड़ा हुआ है।आख़िर मकर संक्रांति के दिन ही पतंग उड़ाने का रिवाज के पीछे का असल वजह क्या है? आइए विस्तार से जानते हैं इसके कारण :
- सूर्य के उत्तरायण के समय की किरणें स्वास्थ्य को लाभ पहुँचाती है
- इस परंपरा के पीछे अच्छी सेहत का राज भी छुपा है। मकर संक्रांति के दिन सूर्य से मिलने वाली धूप का लोगों के शरीर को फायदा मिलता है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से इस दिन सूर्य की किरणों का प्रभाव अमृत समान होता है जो विभिन्न तरह के रोगों को दूर करने में प्रभावी होती है। सर्दियों में हमारा शरीर खांसी, जुकाम और अन्य कई संक्रमण से प्रभावित होता है। मकर संक्रांति के दिन सूर्य उत्तरायण में होता है। सूर्य के उत्तरायण में जाने के समय की किरणें मानव शरीर के लिए दवा का काम करती हैं। इसलिए मकर संक्रांति के दिन पूरे दिन पतंग उड़ाने से शरीर लगातार सूर्य की किरणों के संपर्क में रहता है और उससे शरीर स्वस्थ रहता है।
भगवान राम ने मकर संक्रांति के दिन उड़ाई थी पतंग
प्राचीन हिंदू मान्यता के अनुसार त्रेतायुग में भगवान राम ने मकर संक्रांति के दिन ही अपने भाइयों और श्री हनुमान के साथ पतंगें उड़ाई थीं। और तब से ही मकर संक्रांति के दिन पतंग उड़ाने की परंपरा शुरू हो गई। हिंदू पंचांग के अनुसार पौष माह में जब सूर्य मकर राशि में आता है तब ये पर्व मनाया जाता है। मकर संक्रांति के दिन स्नान, पूजा और दान-पुण्य का अत्यंत महत्व माना गया है। वर्तमान समय में भारत में 14 जनवरी को पतंग उड़ाने का रिवाज है। कहीं लोग अपने घरों की छतों पर अपनी-अपनी पतंगें उड़ाते हैं तो कहीं-कहीं सामूहिक पतंग उत्सव भी आयोजित किए जाते हैं। इस दिन पूरा आसमान रंग-बिरंगी खूबसूरत पतंगों से भर जाता है।
भारत का पतंग उत्सव दुनियाभर में मशहूर है
- गुजरात का पतंगोत्सव पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। मकर संक्रांति के दिन यहां पंतग उत्सव बहुत उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस दिन लोग छतों पर तरह-तरह के आकार की पतंगें उड़ाते हैं। 7 से 15 जनवरी तक यहां हर साल अंतरराष्ट्रीय पतंग उत्सव का आयोजन होता है।
- जयपुर में भी पतंगोत्सव का आयोजन भव्य तरीके से किया जाता है। यह महोत्सव मकर संक्रांति से शुरू होता है और अगले तीन दिनों तक चलता है। इस दिन जयपुर के पोलोग्राउंड में लोग जमा हो जाते हैं और फिर यहां दुनियाभर के सबसे अच्छे पतंगबाज बड़ी-बड़ी पतंगों को ऊंचा-ऊंचा उड़ाकर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करते हैं।