Wednesday, May 15, 2024
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आर्किड हॉस्पिटल के चिकित्सकों ने फेफड़ों में ब्लैक फंगस से संक्रमित मरीज का किया सफल आपरेशन

दुर्लभ ब्रोंकोस्कोपिक क्रायो सर्जरी से किया इलाज


रांची। राजधानी के ऑर्किड मेडिकल सेंटर के चिकित्सकों की टीम ने फेफड़ों में ब्लैक फंगस संक्रमण से पीड़ित मरीज का सफल ऑपरेशन किया। इस संबंध में आर्किड अस्पताल में आयोजित प्रेस वार्ता में डॉ. निशिथ कुमार ने बताया कि बोकारो निवासी 65 वर्षीय नंदलाल महतो का इलाज़ ब्रोंकोस्कोपिक क्रायो सर्जरी द्वारा किया गया।
मरीज को अनियंत्रित डायबिटीज की शिकायत थी। मरीज बोकारो जनरल हॉस्पिटल से ऑर्किड हॉस्पिटल रेफर किया गया था। बोकारो हॉस्पिटल में ये साँस एवं खांसी से सम्बंधित बीमारी को लेकर एडमिट हुए थे। ऑर्किड में शुरुआती जांच में पता चला कि मरीज़ का राइटलंग खराब हो चुका था। जिसके कारण मरीज़ का ऑक्सीजन लेवल 70% से नीचे गिर रहा था। जांच से यह सुनिश्चित हुआ कि उनके राइट लंग्स में एंडो ब्रोन्कियल म्यूकोरमाइकोसिस (ब्लैक फंगस है। यह एक असाध्य बीमारी है जिसकी मृत्यु दर काफी ज्यादा है।
उन्होंने बताया कि आमतौर पर ऐसे मामले में न्यूमोनेक्टॉमी (दाहिने फेफड़े का सर्जिकल निष्कासन) किया जाता है, लेकिन इस केस में रोगी की अन्य बीमारियों और हालत को देखते हुए ब्रॉकोस्कोपिक तकनीक का उपयोग करके ब्रोंकोस्कोपिक डिब्रिडमेंट के साथ आगे बढ़ने का फैसला किया।
डॉ. निशीथ कुमार ने अपनी टीम के सदस्यों के साथ अरबी कायो 2 सिस्टम (झारखंड / बिहार में पहली बार) का उपयोग करते हुए ब्रोंकोस्कोपिक क्रायो-रिकनलाइजेशन का इस्तेमाल किया और दायां फेफड़ा खोलने में सफल रहे।
ऑपरेशन के बाद की अवधि में रोगी का एंटिफंगल दवाओं के साथ इलाज किया
गया और 17 अगस्त को अस्पताल से
सफलतापूर्वक छुट्टी दे दी गई।
उन्होंने बताया कि जहां तक हमारी जानकारी है, पूरे विश्व से केवल एक ही ऐसी केस रिपोर्ट मौजूद है, जिसमें म्यूकोर्मिकोसिस / ब्लैक फंगस के इलाज के लिए ब्रोंकोस्कोपिक क्रायोथेरेपी का इस्तेमाल किया गया था। उक्त ऑपरेशन में
डॉ निशीश कुमार (कंसलटेंट पल्मोनोलॉजिस्ट) के साथ
डॉ अमित गुमा,
डॉ. भाप्यती मुखर्जी (कंसलटेंट पैथोलॉजिस्ट),
शेषनाथ यादव (टेक्नीशियन) का भी सहयोग रहा। प्रेस वार्ता में ऑर्किड अस्पताल के चीफ़ एडमिनिस्ट्रेटिव ऑफिसर डॉ पी के गुप्ता, कंसलटेंट पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ निशीथ कुमार, कंसलटेंट पैथोलॉजिस्ट डॉ भास्वती मुखर्जी कंसलटेंट माइक्रोबायोलॉजिस्ट डॉ शीतल बनकर एवं मेडिकल सुप्रीटेंडेंट डॉ अंजनी कुमार मौजूद थे।

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