Friday, May 3, 2024
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कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता डाॅ.अजय ने पत्रकार हित में मुख्यमंत्री को दिया सुझाव

लघु व मध्यम समाचार पत्र-पत्रिकाओं को भी करें सहयोग



रांचीः कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ.अजय कुमार ने झारखंड के लघु व मध्यम समाचार पत्र-पत्रिकाओं के अस्तित्व पर मंडराते खतरे को देखते हुए मुख्यमंत्री से सहयोग करने की अपील की है। इस संदर्भ में डॉ. कुमार ने मुख्यमंत्री को एक सुझाव पत्र प्रेषित किया है। उन्होंने कहा है कि वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण काल में राज्य के विभिन्न जिलों से प्रकाशित स्थानीय लघु पत्र-पत्रिकाओं का प्रकाशन बाधित है। झारखंड से प्रकाशित लघु पत्र-पत्रिकाओं के लगभग 80 प्रतिशत प्रकाशक दूसरे प्रिंटिंग प्रेस पर निर्भर हैं, जो कि लाॅकडाऊन के दौरान बंद रहे। इस परिस्थिति में झारखंड की 100 से भी ज्यादा लघु पत्र-पत्रिकाएं बंदी के कगार पर पहुंच चुकी है। गौरतलब है कि इन लघु पत्र-पत्रिकाओं में कार्यरत तकरीबन एक हजार पत्रकार रोजगार से जुड़े हैं। इसलिए उनके परिवारों की आर्थिक सुरक्षा के लिए सरकार को सोचने की जरूरत है।
उन्होंने लघु एवं मध्यम श्रेणी के मीडिया संस्थानों से जुड़े एक हजार पत्रकारों के रोजगार का संकट बताते हुए छोटे और मझोले हाऊस के समर्थन में खुलकर पत्रकारों के दर्द को अपने पत्र में लिखा है। इस संबंध में सरकार और सूचना-जनसंपर्क विभाग को पांच सूत्री सुझाव दिए हैं। उन्होंने लिखा है कि
झारखंड में 80 प्रतिशत लघु पत्रिकायें कोरोनाकाल में बंदी के कगार पर हैं। अतः उन सभी प्रकाशकों को प्रत्येक वर्ष 12 महीने
में 12 विज्ञापन दिएं जाएं।लघु पत्रिकाओं को दी जाने वाली विज्ञापन की राशि को बढ़ाकर दोगुना किया जाए।
वर्ष 2021 के कोरोनाकाल में मासिक पत्रिकाओं का निरंतर प्रकाशन होने की शर्त पर लाॅकडाऊन के दौरान प्रिंटिंग प्रेस की बंदी पर कुछ मासिक/पाक्षिक/साप्ताहिक अंकों में छूट दे दी जाए।
मासिक और त्रैमासिक पत्रिकाओं के पत्रकार साथियों को भी एक्रिडेशन कार्ड की सुविधाएं दी जाए। प्रत्येक प्रमंडल से एक्रिडेशन कमिटी में लघु पत्र-पत्रिकाओं के पत्रकार साथियों को भी स्थान देकर पत्रकारहित में ऐतिहासिक पहल की शुरूआत हो।
बताते चलें कि इस मांग को आॅल इंडिया स्माॅल एंड मीडियम जर्नलिस्ट वैलफेयर एसोसिएशन भी पिछले 8 सालों से उठा रहा है। उपरोक्त समस्याओं पर एसोसिएशन ने 8 वर्षों में अब तक राज्यपाल,मुख्यमंत्री,मुख्य सचिव और सूचना जनसंपर्क विभाग को अनेक बार पत्र लिखकर ध्यान आकृष्ट कराया है।

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