Sunday, May 5, 2024
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कोरोना के खिलाफ जंग में जांबाज योद्धा के रूप में डटे हैं रमाशंकर

रांची- वैश्विक महामारी कोरोना के खिलाफ जंग में एक जांबाज योद्धा के रूप में डटे हैं हटिया स्टेशन रोड निवासी होटल पार्क ईन के संचालक रमाशंकर प्रसाद। कोरोनावायरस के संक्रमण से बचाव के मद्देनजर किए गए देशव्यापी लॉकडाउन शुरू होने के बाद से ही रमाशंकर ने बिरसा चौक और आसपास की स्लम बस्तियों के गरीबों को तकरीबन रोज भोजन कराना शुरू किया। यह सिलसिला अनवरत 31 मई (लॉकडाउन फेज चार के अंतिम दिन) तक जारी रहा। इस दौरान वे गरीबों के बीच कभी दोपहर का भोजन तो कभी शाम में विभिन्न प्रकार के व्यंजन परोसते रहे। इससे बिरसा चौक, हटिया स्टेशन रोड, हरमू बायपास रोड, जगन्नाथपुर इलाके के झुग्गी- झोपड़ियों में रहने वाले बेहद गरीब परिवारों के बच्चे, महिलाएं, वृद्धजन लाभान्वित हुए। यही नहीं,लॉकडाउन के दौरान देश के विभिन्न राज्यों से हटिया स्टेशन पर पहुंचने वाले भोजन से वंचित मजदूरों, छात्रों और उन्हें उनके गंतव्य तक पहुंचाने वाले बसों के चालकों व अन्य कर्मियों सहित कई सरकारी कर्मियों को भी अपने स्तर से समय-समय पर वे भोजन उपलब्ध कराते रहे। रमाशंकर ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान खासकर गरीबों को भोजन के लिए हो रही परेशानियों को देखते हुए उन्होंने प्रतिदिन भोजन कराने का संकल्प लिया। गरीबों को भोजन कराने में समय-समय पर उनके सहयोगियों और अन्य समाजसेवियों का भी सहयोग मिलता रहा। रमाशंकर पीड़ित मानवता की सेवा के प्रति समर्पित भाव से जुटे रहते हैं। वे सामाजिक कार्यों में काफी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं। विगत तकरीबन पैंतीस वर्षों से वे गरीबों और जरूरतमंदों की सेवा करते आ रहे हैं। रामाशंकर को समाजसेवा की प्रेरणा अपने माता-पिता से मिली। अत्यंत साधारण परिवार से जुड़े श्री प्रसाद ने गरीबी को काफी निकट से देखा है। वह बताते हैं कि गरीबों की पीड़ा क्या होती है? इसे उनसे बेहतर कोई नहीं समझ सकता है। गरीबी को अपने संघर्षपूर्ण जीवन काल में उन्होंने महसूस किया है। अभावों को झेलते हुए जिंदगी जीने की जद्दोजहद में संघर्ष कर फर्श से अर्श पर पहुंचने में उन्होंने काफी उतार-चढ़ाव देखे हैं। वर्तमान में रामाशंकर हटिया स्टेशन रोड स्थित होटल पार्क ईन और पूजा रेस्टोरेंट के संचालक हैं। अपनी व्यस्ततम दिनचर्या, पारिवारिक और व्यावसायिक गतिविधियों में व्यस्तता के बावजूद वे जनसेवा के प्रति भी समर्पित रहते हैं। लाॅकडाउन की अवधि में पीड़ित मानवता की सेवा के प्रति उनके जज्बे और जुनून देखकर खासकर गरीब तबके के लोग उन्हें अपना हमदर्द और मसीहा मानने लगे हैं। मानव सेवा के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए चहुंओर उनकी सराहना की जा रही है। जरूरतमंदों की हरसंभव सहायता करने में रमाशंकर आगे रहते हैं। इसमें उनकी पत्नी आशा देवी, पुत्र आदित्य,अभिषेक व अंकित, पुत्री पूजा सहित अन्य परिजन भी योगदान देते हैं। रामाशंकर प्रतिवर्ष जाड़े के मौसम में बिरसा चौक, हटिया, जगन्नाथपुर व आसपास के बेघर और बेसहारा लोगों के बीच कंबल वितरण कर मानव सेवा की मिसाल पेश करते हैं। उनका कहना है कि पीड़ित मानवता की सेवा सबसे बड़ा धर्म है। गरीबों और जरूरतमंदों की सेवा ही सच्ची मानव सेवा है।

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