कुछ प्रशासनिक अधिकारियों की बातें – “लो फिर बाढ़ आ गयी, हर साल आ जाती है”। बाढ़ भी होली, दीवाली की तरह लिया करो, हर साल आयेगी। इसमें, बाढ़ आती है, तो बाढ़ से निपटने के लिए अफसर होते हैं। बाढ़ है, तो अफसर हैं। बाढ़ आना बंद कर दे, को बाढ़ नियंत्रण कक्ष बंद करना पड़ेगा, इस बंदी से कितने लोग बेरोजगार होंगे, कभी सोचा है क्या।यस, बाढ़ है, तो रोजगार है। पर बाढ़ में लोग मर जाते हैं, तो अखबार खबर उछालते हैं। देखो जी जिन्हे मरना है, वो बाढ़ से भी मरेंगे और सूखे से भी, कोरोना से भी मरेंगे और कुपोषण से भी, इसमें अपन क्या कर सकते हैं। बड़ा आदमी कोरोना में भी पंच तारा होटल में जाकर सेल्फी ठेलता है और घर में बैठकर भी सेल्फी ठेलता है। बड़ा आदमी होना चाहिए। अब कोई अगर बड़ा आदमी नहीं है, तो इसमें हम क्या कर सकते हैं, यह तो उसकी समस्या है। राइट , हम क्या कर सकते हैं। दरअसल अब हम कुछ ना कर सकते हैं, जो भी कुछ करना है, कोरोना को ही करना है। पता है इस बार बाढ़ में कोई ना मरा, सब कोरोना से मरे दिखाये जायेंगे। इस बार सूखे से कोई ना मरा, जो भी मरा कोरोना से मरा। हाल यह है कि डकैती में डकैतों ने हत्या कर दी तो भी मृतक को कोरोना से ही मरा दिखाया गया। इधर सारी समस्याएं हल हो गयी हैं, ना डकैत मार रहे, ना बाढ़ मार रही है, सिर्फ कोरोना ही मार रहा है। कोरोनामय मैं सब जग जानी। राइट, पर एक दिक्कत है कि कोरोना चला गया, तो क्या होगा। फिर वो ही सारे बवाल सिर उठायेंगे, बाढ़ से मरे दिखाने पडेंगे, सर्दी से मरे दिखाने पड़ेंगे। वो ही पुरानी किचकिच अब तो मामला एकदैम फिट चल रहा है, सब कुछ कोरोना के नाम।कोरोना से निवेदन कैसे किया जाये कि कुछ रुक जा, कुछ ठहर कर जा। आया है, तो हैप्पी न्यू ईयर 2021 तक रुक कर जा। कोरोना रुके, तो काम आसान हो।तो जी मूल समस्या अब यह है कि कोरोना से रुकने का आग्रह कैसे किया जाये।
कोरोना में बाढ़……
बाढ़ आना बंद कर दे, को बाढ़ नियंत्रण कक्ष बंद करना पड़ेगा, इस बंदी से कितने लोग बेरोजगार होंगे, कभी सोचा है क्या।यस, बाढ़ है, तो रोजगार है।
Sourceआलोक पुराणिक