Sunday, April 28, 2024
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निर्भया के दोषियों को फाँसी कल,सुप्रीम कोर्ट ने क्यूरेटिव पिटीशन की खारिज

नयी दिल्ली : निर्भया के दोषियों को फांसी कल दी जाएगी । आज सुप्रीम कोर्ट ने पवन गुप्ता के क्यूरेटिव पिटीशन को खारिज कर दिया, वहीं राष्ट्रपति ने पवन और अक्षय की दोबारा भेजी गयी दया याचिका को भी ख़ारिज कर दिया है । राष्ट्रपति द्वारा दया याचिका पर विचार नहीं किये जाने के बाद यह तय हो गया है कि निर्भया के चारों दोषियों को कल सुबह 05 : 30 बजे फांसी दे दी जायेगी। 2012 के दिल्ली गैंगरेप मामले में दोषी पवन गुप्ता ने खुद को नाबालिग बताते हुए यह पिटीशन दाखिल किया था।

गौरतलब है कि पवन गुप्ता ने इससे पहले भी खुद को नाबालिग बताते हुए कोर्ट के सामने अपील की थी जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया था। कोर्ट द्वारा पवन गुप्ता की अपील खारिज किये जाने के बाद निर्भया की मां आशा देवी ने कहा कि कोर्ट ने उन्हें कई अवसर दिये थे, जिसका दुरुपयोग उन्होंने फांसी से बचने और टालने में किया। लेकिन कोर्ट उनके इस पैंतरेबाजी को समझ गया है, कल निर्भया को न्याय मिल जायेगा।

ज्ञात हो कि कल यानी 20 मार्च को सुबह दिल्ली के तिहाड़ जेल में निर्भया के चार दोषियों को फांसी दिया जाना है। इसके लिए पवन जल्लाद ने बुधवार को पुतलों को फांसी देकर अभ्यास किया। कल उधर दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक दोषी की एक और याचिका को खारिज कर दिया। जेल अधिकारियों ने बताया कि पवन मंगलवार को मेरठ से राजधानी पहुंचे और उन्होंने रस्सी से पुतलों को फांसी देकर अभ्यास किया। इस रस्सी का इस्तेमाल दोषियों को फांसी के फंदे पर लटकाने के लिए होगा। तिहाड़ जेल के इतिहास में यह पहली बार होगा जब एक ही अपराध के लिए एक ही समय पर चार दोषियों को फांसी दी जाएगी।

पवन अपने परिवार में तीसरे पीढ़ी के जल्लाद हैं। उन्होंने पहले कहा था कि उनके दादा ने सतवंत सिंह और केहर सिंह को फांसी पर लटकाया था। इन दोनों को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के संबंध में फांसी दी गई थी। इसके अलावा उनके दादा ने कुख्यात अपराधी रंगा और बिल्ला को भी फांसी दी थी। पांच मार्च को एक निचली अदालत ने मुकेश सिंह (32), पवन गुप्ता (25), विनय शर्मा (26) और अक्षय कुमार सिंह (31) को फांसी देने के लिए नया मृत्यु वारंट जारी किया था। चारों दोषियों को 20 मार्च को सुबह साढ़े पांच बजे फांसी दी जाएगी। अदालत ने मृत्यु वारेंट को तीन बार इस आधार पर टाल दिया गया था कि दोषियों के सभी कानूनी उपचार समाप्त नहीं हुए हैं और एक या अन्य दोषियों की दया याचिका राष्ट्रपति के पास लंबित है।

क्या है मामला

दिल्ली में 23 साल की छात्रा के साथ 16 दिसंबर 2012 की रात को एक चलती बस में बर्बरता के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया था। इस घटना के करीब 15 दिन बाद पीड़िता की सिंगापुर के एक अस्पताल में मौत हो गई थी.इस घटना ने देश को हिला दिया था। पीड़िता को को निर्भया नाम से जाना गया। इस मामले में छह लोगों को आरोपी बनाया गया था, जिनमें एक नाबालिग शामिल था। वहीं छठे व्यक्ति राम सिंह ने मामले में सुनवाई शुरू होने के कुछ समय बाद खुदकुशी कर ली थी। वहीं नाबालिग को 2015 में रिहा कर दिया गया था.उसने सुधार गृह में तीन साल का समय बिताया था। दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को मुकेश की एक याचिका खारिज कर दी। इस याचिका में उसने निचली अदालत के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें उसके इस दावे को नहीं माना गया था कि 16 दिसंबर 2012 को जब जुर्म हुआ तब वह दिल्ली में नहीं था। न्यायमूर्ति ब्रृजेश सेठी ने कहा कि निचली अदालत के विस्तृत और तर्कपूर्ण आदेश में दखल देने का कोई आधार नहीं है।

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