बख्तियारपुर से उपेंद्र सिंह की रिपोर्ट
बख्तियारपुर : लाॅकडाउन के दौरान अन्य राज्यों से लौट रहे प्रवासी मजदूरों, छात्रों के रहने की मुकम्मल व्यवस्था का राज्य सरकार भले ही लाख दावे कर ले, लेकिन सरजमीं पर हकीकत कुछ और बंया करती है। बाहर से आने वाले लोगों को प्रशासन की देखरेख में क्वारेंटाइन सेंटर में रखा तो जाता है, लेकिन बताया जाता है कि वहां लोगों के खाने-पीने व रहने में हो रही परेशानियों के प्रति उदासीनता बरती जाती है। जबकि कोरोना से बचाव के मद्देनजर राज्य सरकार लाखों रुपये खर्च कर रही हैं। ताकि लाॅकडाउन के दौरान विभिन्न प्रदेशों से आए हुए प्रवासियों को किसी भी प्रकार का कष्ट न हो। सूबे में कई क्वारंटाइन सेंटर बनाये गए हैं। इसमें अधिकतर प्रवासी मजदूर हैं। उनकी मानें तो क्वारेंटाइन सेंटर की व्यवस्था इतनी लचर है कि मजबूरन लोग क्वारेंटाइन सेंटर छोड़ कर घर भाग रहे हैं। जिससे ग्रामीणों में डर का माहौल बना हुआ है।
ताजातरीन मामला पटना जिला के बरियारपुर स्थित इंजीनियरिंग कॉलेज का है। जहां खासकर प्रवासी मजदूरों के लिए बनाए गए क्वारेंटाइन सेंटर में मिलने वाली मूलभूत सुविधाओं के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की जाती है। प्रवासी मजदूर क्वारेंटाइन सेंटर में अपने आप को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। मजदूरों का कहना है कि न तो यहां पानी की व्यवस्था है, न ही डॉक्टरों की। क्वारेंटाइन सेंटर में शारीरिक दूरी का भी ख्याल नहीं रखा जा रहा है। महज कुछ ही दूरी पर बेड लगाया गया है। जबकि क्वारेंटाइन सेंटर में कई लोग रेड जोन,ऑरेंज जोन,येल्लो जोन से आ रहे हैं। लेकिन सभी को एक साथ रखा जा रहा है। ऐसी स्थिति में यदि एक भी व्यक्ति कोरोना से संक्रमित पाया जाता है तो स्थिति कितनी भयावह होगी, इसका सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। एक ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार लोगों को सोशल डिस्टेंस का पालन करने को कह रहे है। लेकिन राज्य सरकार द्वारा बनाए गए क्वारेंटाइन सेंटर में सोशल डिस्टेंस की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही है। वहीं, प्रवासी मजदूरों द्वारा आरोप भी लगाया जा रहा है कि न तो हमे समुचित व्यवस्था मिल पा रही है, न ही खाने की कोई व्यवस्था की गई है। जब से हम लोग यहां आये हैं, सेनेटाइजर का छिड़काव तक नही करवाया गया है, साथ ही मास्क,साबुन,सेनेटाइजर के अलावा साफ-सफाई की भी व्यवस्था सरकार द्वारा मुहैया नहीं करवायी गई है।