Monday, April 29, 2024
HomeBIHARबाढ़ का जिला नहीं बनना बनेगा चुनावी मुद्दा ? बिहार विधानसभा चुनाव...

बाढ़ का जिला नहीं बनना बनेगा चुनावी मुद्दा ? बिहार विधानसभा चुनाव 2020

जिला बनने की सभी शर्तों को पूरा करने वाला बाढ़ अनुमंडल में बाढ़, मोकामा, घोसवरी, बेलछी,बख्तियारपुर और अथमलगोला प्रखंड शामिल है। जिला मुख्यालय पटना से बाढ़ अनुमंडल मुख्यालय की दूरी 70 किलोमीटर है।


सुनील सौरभ

बिहार के सबसे पुराने अनुमंडल बाढ़ के लोगों को उम्मीद है कि इस बार विधानसभा चुनाव में बाढ़ को जिला नहीं बनने -बनाने के मुद्दे पर राजनीतिक दलों के उम्मीदवारों को जबाब देना होगा।1990 के बाद से प्रायः सत्ता से जुड़े लोग ही बाढ़ विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जीतते रहे हैं।लेकिन बाढ़ के हितों की सबने अनदेखी की।इस बार लोगों ने इस सवाल पर नेताओं और चुनाव लड़ने वाले को घेरने का मन बनाया है।
राजनीतिक उपेक्षा के कारण कैसे कोई क्षेत्र पिछड़ जाता है, इसका सबसे बड़ा उदाहरण बाढ़ अनुमंडल है।पटना जिले के पूरब में स्थित बाढ़ तीन विधानसभा क्षेत्र और छः प्रखंडों को अपने दामन में समेटे है।

पिछले पांच दशक से बाढ़ को जिला बनाने के लिए क्षेत्र के लोगों द्वारा आवाज बुलंद की जा रही है। लेकिन बिहार की सत्ता पर काबिज हुक्मरानों के कान पर जूं नहीं रेंग रहा है। 1990 के बाद जब लोकनायक जयप्रकाश नारायण के छात्र आंदोलन से जुड़े राजनीतिज्ञयों की सरकार बनी तो, लगा अब बाढ़ जिला बन जायेगा। लालू प्रसाद के नेतृत्व में जनता दल की सरकार बनी। छात्र आंदोलन से लोगों के बीच अपनी पहचान बनाने वाले नीतीश कुमार और विजय कृष्ण भी बाढ़ को जिला बनाने के मुद्दे पर मुखर रूप से बोलते भी रहे और स्थानीय स्तर की राजनीति भी करते रहे थे। 1985 में हरनौत विधानसभा क्षेत्र से लोकदल के टिकट पर विधायक बनने के बाद नीतीश कुमार तो फतुहा -बड़हिया टाल क्षेत्र के विकास के लिए टाल संघर्ष समिति बना कर कांग्रेस की तत्कालीन सरकार के खिलाफ आंदोलन भी करते रहे थे।1989 में बाढ़ लोकसभा क्षेत्र से नीतीश कुमार सांसद बन गए।1990 में बिहार में लालू प्रसाद के नेतृत्व में जनता दल की सरकार बनी ,तब बाढ़ को जिला बनने की आस जगी और बाढ़ जिला बना भी ,सिर्फ 11 दिन के लिए। एक राजनीतिक साजिश के तहत मात्र 11 दिन बाद ही बाढ़ से जिला का दर्जा छीन लिया गया।
बिहार के 138 साल पुराने अनुमंडल बाढ़ को जिला नहीं बनाने के पीछे कई राजनीतिक पेंच बताए जाते हैं। बताया जाता है कि अपनी जन्म-और कर्म भूमि तथा बाढ़ लोकसभा क्षेत्र से सांसद होने के बाबजूद नीतीश कुमार को यहां का सामाजिक- राजनीतिक समीकरण कभी रास नहीं आया।जबकि वोट के मुद्दे पर यहां के लोगों ने हमेशा नीतीश कुमार का साथ दिया,चाहे वे किसी दल से चुनाव लड़े।फिर भी बाढ़, बख्तियारपुर और मोकामा विधानसभा क्षेत्र की उनकी उपेक्षा की वजह समझ से परे है। विजयकृष्ण 1990 में बाढ़ विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जीते थे, नीतीश से दोस्ती के बाबजूद अंदर ही अंदर राजनीतिक प्रतिद्वंद्वीता दोंनो के बीच चलती रहती थी।तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद ने 22 मार्च1991 को बाढ़ को संजुक्त बिहार का 51 वा जिला बनाने की अधिसूचना जारी की।जिला का उद्घाटन पटना के तत्कालीन जिला पदाधिकारी अरविंद कुमार ने 1 अप्रैल 1991 को किया था। लेकिन दूसरे ही दिन राजनीतिक षड्यंत्र के तहत कुछ लोगों द्वारा विरोध किया गया और बाढ़ को जिला का दिए जाने की अधिसूचना को वापस लेते हुए पुनः अनुमंडल ही रहने दिया गया ।जबकि एक -दो प्रखंड वाले अरवल,शिवहर, शेखपुरा, लखीसराय, जहानाबाद को जिला बना दिया गया था।लोग कहते हैं कि नीतीश कुमार उस समय बाढ़ लोकसभा क्षेत्र से सांसद थे और लालू के चाणक्य माने जाते थे, बाढ़ का जिला बनने में उनकी सलाह नहीं ली गयी थी,इसीलिए बाढ़ को पुनः अनुमंडल बना दिया गया। हालांकि नीतीश कुमार के समर्थक इस बात से इंकार करते हैं।

जिला बनने की सभी शर्तों को पूरा करने वाला बाढ़ अनुमंडल में बाढ़, मोकामा, घोसवरी, बेलछी,बख्तियारपुर और अथमलगोला प्रखंड शामिल है। जिला मुख्यालय पटना से बाढ़ अनुमंडल मुख्यालय की दूरी 70 किलोमीटर है। मोकामा-घोसवरी से तो एक सौ किलोमीटर से अधिक है। लोगों की परेशानी को सहज ही समझा जा सकता है। इस अनुमंडल के एक विस्तृत क्षेत्र में फैला है फतुहा -बड़हिया टाल का महत्वपूर्ण हिस्सा, जिसे दाल के कटोरा के नाम से जाना जाता है ।लेकिन यह क्षेत्र जल जमाव के कारण एक फसला बन कर रह गया है। यह क्षेत्र दाल निर्यातक क्षेत्र रहा है। प्रसाशनिक उपेक्षा के कारण यहां के अनेक बड़े दाल व्यवसायी पलायन कर चुके हैं।यहां के किसान भी उपेक्षित हैं। जबकि 10 लाख की आबादी वाले बाढ़ प्रारंभ से ही राजनैतिक, धार्मिक, व्यवसायिक केन्द्र रहा है। बाढ़ का भौगोलिक रकबा 9 लाख 2818 हेक्टेयर है। कुल 83 पंचायत और 337 राजस्व गांव है। 480 मध्य और उच्च विद्यालय है। 15 कॉलेज,6 सरकारी अस्पताल तथा4 पशु अस्पताल है।उत्तरायणी गंगा तट पर बसा बाढ़ के महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है-उमानाथ,अलखनाथ, सती स्थान, शनि मंदिर, पुण्यार्क सूर्य मंदिर आदि। तारकेश्वरी सिन्हा, धर्मवीर सिंह,प्रो सिधेश्वर प्रसाद, राम लाख सिंह यादव, नीतीश कुमार, विजय कृष्ण जैसे नेता यहां से सांसद रह चुके हैं।लेकिन 2010 में एक राजनीतिक साजिश के कारण बाढ़ लोकसभा क्षेत्र का अस्तित्व ही समाप्त कर दिया गया। बाढ़ विधानसभा क्षेत्र से फिलहाल ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू विधायक हैं।ये बारास्ता जदयू से भाजपा में पहुँचें हैं। जिला के लिए बुलन्द आवाज उठाने को तैयार नहीं है । 2020 के चुनाव में ज्ञानू को आधा दर्जन से अधिक उम्मीदवार चुनौती देने को तैयार बैठे हैं।ऐसे में बाढ़ विधानसभा क्षेत्र का परिणाम अप्रत्याशित हो तो कोई आश्चर्य नहीं होगा। क्योंकि नए प्रत्याशी बाढ़ को जिला बनाने की मांग को लेकर मुखर हैं। लोगों का समर्थन भी ऐसे प्रत्याशी को मिल रहा है।

dpadmin
dpadminhttp://www.deshpatra.com
news and latest happenings near you. The only news website with true and centreline news.Most of the news are related to bihar and jharkhand.
RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments