रांची। सेंटर फॉर कैटालाइजिंग चेंज (सी3) और ज़ेवियर समाज सेवा संस्थान (एक्सआईएसएस) रांची के संयुक्त तत्वावधान में एक्सआईएसएस वेबिनार सीरीज़ 2021 के तहत कोविड-19, प्रवासन और महिला श्रमिकों पर एक वेबिनार का आयोजन किया गया। जिसका शीर्षक “कोविड-19 के परिवर्तन के पश्चात पूर्वी भारत की युवा महिलाओं का काम पर वापस लौटना” था।
स्वागत भाषण डॉ. हिमाद्री सिन्हा, प्रमुख, ग्रामीण प्रबंधन कार्यक्रम, एक्सआईएसएस द्वारा दिया गया। जहां उन्होंने चर्चा की कि कैसे इस महामारी ने देश में युवा महिलाओं के रोजगार पर गहरा प्रभाव डाला है और पूर्वी भारत की महिलाओं के काम पर सुरक्षित लौटने को सुविधाजनक बनाने के महत्व पर अपने विचार साझा किए।
श्रीमती मधुपर्णा जोशी, सीनियर एडवाइजर, सेंटर फॉर काटलीसिंग चेंज ने कहा कि कोविड-19 महामारी के कारण हुई तालाबन्दी से अर्थवस्था पर दबाव बढ़ गया है। कार्यबल में युवा महिलाओं की भागीदारी घट रही है। कोविड-19 से जीवन के शैक्षिक, आर्थिक और सामाजिक क्षेत्रों में व्यवधान पैदा हुआ है, जिससे युवाओं, खासकर युवा महिलाओं के सामने कई चुनौतियां आई है। विवाहित युवा महिलाओं के लिए घर, बच्चे और कामकाज को एक साथ संभालने का बोझ बड़ा साबित हो रहा है।
पैनल चर्चा का संचालन डॉ. अपराजिता गोगोई, कार्यकारी निदेशक, सेंटर फॉर कैटालाइजिंग चेंज, दिल्ली ने किया। उन्होंने कहा कि वेबिनार उपलब्ध साक्ष्य और अनुसंधान से सीखने का अवसर प्रदान करेगा और पूर्वी भारत के कम आय वाले राज्यों में महिलाओं के लिए आर्थिक अवसर पैदा करने के लिए साक्ष्य आधारित नीति निर्माण की संस्कृति को बढ़ावा देगा। देश में श्रम बल में महिलाओं की भागीदारी में पिछले दो दशकों के दौरान गिरावट देखने को मिली है। आज के परिप्रेक्ष्य में युवा महिलाओं के लिए रोजगार के सार्थक विकल्प घटे हैं, रोजगार के जो अवसर उपलब्ध भी हैं, उनमें भी महिलाओं पुरुषों से पिछड़ रही। युवा महिलाओ की घटी भागीदारी के लिए मांग और आपूर्ति के अलावा भी कई वजहें जिम्मेदार हैं।
प्रो. अरूप मित्रा, प्रोफेसर, आर्थिक विकास संस्थान, दिल्ली ने चर्चा की कि भारत के पूर्वी भाग में स्थित, बिहार और झारखंड दो सबसे गरीब भारतीय राज्य हैं और छह कम आय वाले भारतीय राज्यों में से तीन देश के पूर्वी हिस्से में स्थित हैं और छत्तीसगढ़, भारत का सबसे गरीब राज्य इस क्षेत्र से सटा हुआ है। पूर्वी भारत को सीमित आजीविका के अवसरों के लिए भी जाना जाता है, जो कोविड19 के समय के दौरान प्रतिकूल रूप से प्रभावित हुए हैं।”
नैन्सी सहाय (भा.प्रा.से.), सीईओ, झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी (जेएसएलपीएस) ने राज्य में कौशल और महिला आर्थिक सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए कई पहलुओं पर चर्चा की और कहा कि “कोविड19 महामारी के प्रकोप के बाद से डिजिटल तकनीक ने युवाओं के काम पर लौटने में एक बड़ी भूमिका निभाई है। जेएसएलपीएस ने भविष्य में काम के लिए कई युवा महिलाओं की तैयारियों को भी सुगम बनाया, क्योंकि सरकार का लक्ष्य लैंगिक डिजिटल विभाजन को पाटना है।
उन्होंने जेएसएलपीएस कार्यक्रम पर भी चर्चा की जहां ग्रामीण गरीब युवाओं को रोजगार योग्य बनाने के लिए लगातार प्रयासरत है।
डॉ. ऑरलैंडा रूथवेन, टेक्निकल लीड, जीटीएस प्रोजेक्ट, जनसंख्या परिषद, दिल्ली ने साझा किया कि कोविड19 ने लिंग विभाजन को गहरा किया है और यह एक वैश्विक घटना रही है। इस क्षेत्र में युवा महिलाओं की आर्थिक अवसरों तक इस महामारी की पहुंच ने इन्हे चिंताजनक स्थित में ला खड़ा कर दिया है। ग्राम तरंग, ओडिशा और जीटीएस, बिहार के साथ काम करते हुए अपने अनुभवों को साझा करते हुए उन्होंने विस्तार से बताया कि युवा महिलाओं की तैयारियों इस महामारी के कारण कैसे प्रभावित हुई थी। उन्होंने यह भी चर्चा की कि बिहार और उड़ीसा जैसे राज्य महामारी से कितने अलग तरह से प्रभावित हुए हैं?
कंचन परमार, सामाजिक विकास विशेषज्ञ, विश्व बैंक ने इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे महामारी ने कम आय वाले राज्यों की अर्थव्यवस्थाओं को प्रभावित किया है और आय क्षेत्रों के अंतर को बढ़ा दिया है। उन्होंने विस्तार से बताया कि किस तरह युवा महिलाओं के लिए स्थिर रोजगार खोजने की संभावनाओं को बढ़ाने के लिए रणनीति विकसित की जानी चाहिए।
वेबिनार में अन्य मुद्दे जैसे शहरी रोजगार गारंटी योजना, मनरेगा के तहत प्रावधानों में वृद्धि, राज्य और केंद्र सरकारों द्वारा छात्राओं के लिए अधिक समर्थन, महिलाओं के कौशल और एकजुटता नेटवर्क (जैसे एसएचजी) में निवेश, पूर्ण डे-केयर केंद्रों का समर्थन करने के लिए फंडिंग जैसी मौजूदा नीतियां कैसे हैं, इसपर भी चर्चा की गयी।
धन्यवाद प्रस्ताव डॉ. अनामिका प्रियदर्शिनी, लीड-रिसर्च, सक्षमा-बिहार, पटना ने दिया और वेबिनार का संचालन डॉ. राज श्री वर्मा, सहायक प्रोफेसर, एक्सआईएसएस, रांची ने किया।