दिल्ली में कुछ दिनों पहले तक चार हजार मामले कोरोना के रोज आ रहे थे। अब करीब एक हजार मामले रोज आ रहे हैं, तो यह स्थिति उपलब्धि के तौर पर रेखांकित की जा रही है। की जानी चाहिए। चार हजार से गिरकर एक हजार पर आना निश्चय ही उपलब्धि है। दिल्लीवाले एक दूसरे को बधाई दे सकते हैं-ऐसी बात दिल्ली में कई नेता बोलते हैं।हमारा मुल्क कुछ हो या ना हो, बधाई प्रधान मुल्क है।कोरोना अभी निपटा नहीं है, पर नेतागण एक दूसरे को बधाई दे रहे हैं कि कोरोना के खिलाफ क्या संघर्ष छेड़ा जी।
दुनिया माया है, आंकड़े यानी परम माया। इन्हे पेश करनेवालों को फर्जी साधु संत माना जाना चाहिए। कुछ का कुछ बता सकते हैं। बधाई जी, बधाई कोरोना को निपटा दिया। पर कोरोना निपटा कहां है, जी हमारे यहां तो निपट गया, नेताजी के घर में कोई कोरोना केस ना आया, आया भी तो फाइव स्टार होटलनुमा अस्पताल में सही हो गया। बधाई है जी बधाई है। बिलकुल बधाई है, कुछ ही समय बाद दशहरा, दीवाली छठ, क्रिसमस,नये साल की बधाई, होली की, रामनवमी की बधाई चालू हो जायेगी। बधाई ही बधाई मिल तो लें। हम इतने बधाई प्रधान मुल्क हैं, कि कई बार तो यह भीं अंदाज ना होता कि बधाई देने से पहले हालात की सच्ची समीक्षा तो कर लें।कोरोना गया नहीं है, कोरोना के केस कम हो रहे हैं। इतनी बधाई बंट रही है कि कहीं कोरोना वायरस सचमुच में ही ना डर जाये कि अपन तो अभी हैं, पर अपन के निपटने की इतनी घोषणाएं, बधाई मच गयी हैं। मतलब कहीं अपन निपट तो नहीं गये और हमें पता ही ना चला। बहुत संभव है, कोरोना वायरस डर जाये कि हम तो निपट गये औऱ हमें पता ही ना चला।
विद्वान हैं जी तरह तरह के एक विद्वान ने बताया कि भारत में जो कोरोना वायरस है, वह यूरोप वाले कोरोना वायरस से अलग है। चीन बदमाश मुल्क है, भारत में जो फोन बेचती हैं चीनी कंपनियां, वो घटिया टाइप बेचती हैं और अमेरिका में आइटम बेचती हैं चीन की कंपनियां, उनकी क्वालिटी अलग होती है। चीन ने भारत में अलग वायरस भेजा है औऱ यूरोप में अलग वायरस भेजा है। चीन ने किसे क्या भेजा है, यह चीन को भी ना पता। इतनी सप्लाई कर मारी चीन ने दुनिया भर में वायरस की, कि चीन को खुद अंदाज ना है कि कौन सा वायरस अमेरिका गया है और कौन सा यूरोप।जो कोरोना वायरस अमेरिका गया है उसने ट्रंप की कुरसी हिला दी है। वायरस बनाम राष्ट्रपति –अमेरिका में तो यह मामला हो गया है।चीन बतौर मुल्क एक वायरस की तरह ही है। जिस देश में घुसता है, वहां के संसाधनों का इस्तेमाल खुद को मजबूत करने के लिए करता है। कोरोना वायरस जिसके शरीर में घुसता है, उसके शरीर के स्त्रोतों का इस्तेमाल खुद को मजबूत करने के लिए करता है। चीन का हाल भी कुछ यूं ही है, अमेरिका के शेयर बाजारों से संसाधन उगाहे चीनी कंपनियों ने , चीनी कंपनियों और चीन की सरकार में फर्क करना कुछ इतना ही मुश्किल है जितना मुश्किल किसी भी नेता के बयानों में सच झूठ का फर्क करना है।वायरस से मुकाबला मुश्किल है, इसलिए चीन से भी मुकाबला बहुत मुश्किल है।