Saturday, May 4, 2024
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वाराणसी में आयोजित भोजपुरी सम्मेलन में धर्मेंद्र तिवारी को मिला भोजपुरी कर्मयोगी पुरस्कार


रांची। दो दिवसीय विश्व भोजपुरी सम्मेलन 21 और 22 फरवरी 2021, जीवनदीप महाविद्यालय परिसर वाराणसी में संपन्न हुआ। इस सम्मेलन के मुख्य अतिथि भोजपुरवासी फिजी के राजदूत राहुल रोहित कुमार और सम्मेलन की अध्यक्षता काशी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर डीएन सिंह ने की।
इस सम्मेलन में बतौर अतिथि भारतीय जनतंत्र मोर्चा के केंद्रीय अध्यक्ष धर्मेंद्र तिवारी को भी आमंत्रित किया गया। सम्मेलन में अन्य देशों के प्रतिनिधियों के साथ विभिन्न राज्यों के प्रतिनिधियों ने भी शिरकत किया। सम्मेलन के महासचिव डॉ. अशोक कुमार सिंह और डॉ. अजय ओझा ने सम्मान देते हुए मंच पर धर्मेंद्र तिवारी को आमंत्रित कर उन्हें सम्मानित किया। उन्हें अंग वस्त्र और प्रतीक चिन्ह देकर भोजपुरी कर्मयोगी पुरस्कार से नवाजा गया। राष्ट्रीय भोजपुरी अकादमी के अशोक कुमार सिंह, बिहार भोजपुरी अकादमी के पूर्व अध्यक्ष ने भी स्वागत किया।
श्री तिवारी ने इस अवसर पर कहा कि अपनी मातृभाषा भोजपुरी को बढ़ावा देना सभी भोजपुरीवासियों का परम कर्तव्य है। इसे आठवीं अनुसूची में जोड़ना चाहिए, तभी भोजपुरी भाषा का विकास होगा, समाज का विकास होगा। समाज में कोई जात-पात नहीं, जो भी भोजपुरी बोलते हैं, चाहे वह हिंदू हो, मुस्लिम हो, सभी भाई हैं। भोजपुरी जोड़ने वाली भाषा है। पूरे विश्व में 20 से 25 करोड़ लोग भोजपुरी बोलते हैं। जो विभिन्न जगहों पर फैले हुए हैं। 21वीं सदी में भोजपुरी भाषा की दशा दिशा पर उन्होंने अपने विचार व्यक्त किए। भोजपुरी भाषा की लोकप्रियता के बारे में प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि भोजपुरी भाषा ऐसी भाषा है जिसे हर राज्यों में पसंद किया जाता है। अन्य भाषाओं की तुलना में भोजपुरी भाषी सभी प्रांतों में, देशों में फैले हुए हैं। संस्कार, सम्मान, आत्मीयता और लगाव भाषा का सिंगार है। श्री तिवारी ने कहा कि हमारे आदर्श माननीय विधायक सरयु राय कहते हैं कि पहले बिहार में झारखंड था, अब झारखंड में एक बिहार है, जो भी भोजपुरीवासी झारखंड में निवास करते हैं, भाषा बोलते हैं, उनके लिए भी एक सम्मेलन के माध्यम से एक मंच मिलेगा। उन्होंने कहा झारखंड के भोजपुरी भाइयों के लिए जो भी सहयोग होगा ,करूंगा। बिहार के पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे, झारखंड के पूर्व मंत्री केएन त्रिपाठी और विधायक राज सिन्हा भी सम्मेलन में भाग लिये। प्रोफेसर युवा, महिला संगीतकार, गीतकार, कलाकार ,साहित्यकार सभी सम्मेलन में शिरकत किए। अधिक संख्या बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश ,दिल्ली, हरियाणा, गुजरात से थी। भाषा कैसे समृद्ध बने, इस पर जोर देने की बात कही। उन्होंने कहा कि आज बहुत संभावनाएं हैं भोजपुरी भाषा में आगे बढ़ने की, रोजगार हो या गीतकार हो भोजपुरी भाषा की मिठास में सबको कुछ ना कुछ दिया है।

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