Saturday, May 4, 2024
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‘शब्दाक्षर’ त्रैमासिकी के अक्टूबर-दिसंबर अंक का लोकार्पण सफलतापूर्वक सम्पन्न

अमरेन्द्र कुमार सिंह
गया । राष्ट्रीय साहित्यिक संस्था ‘शब्दाक्षर’ की त्रैमासिकी ‘शब्दाक्षर पत्रिका’ के अक्टूबर-दिसंबर 2022 अंक का लोकार्पण शब्दाक्षर के राष्ट्रीय संरक्षक डॉ. प्रेम शंकर त्रिपाठी, लोकार्पण विभूति केवल कोठारी, प्रधान संपादक-सह-शब्दाक्षर के राष्ट्रीय अध्यक्ष रवि प्रताप सिंह, कार्यक्रम अध्यक्ष-सह-संपादक डॉ. आदर्श प्रकाश, परामर्शदाता राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष दया शंकर मिश्र, सह-संपादक राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सत्येन्द्र सिंह ‘सत्य’, उप संपादक उत्तराखंड प्रदेश अध्यक्ष महावीर सिंह ‘वीर’ तथा संयुक्त संपादक-सह-तेलंगाना प्रदेश अध्यक्ष ज्योति नारायण, राष्ट्रीय संगठन मंत्री विश्वजीत शर्मा सागर, राष्ट्रीय सचिव सुबोध कुमार मिश्र, राष्ट्रीय प्रवक्ता-सह-प्रसारण प्रभारी डॉ. रश्मि प्रियदर्शनी, राष्ट्रीय उपसचिव सागर शर्मा आजाद तथा देश के विभिन्न प्रदेशों से आमंत्रित शब्दाक्षर पदाधिकारियों एवं साहित्यकारों की गौरवमय उपस्थिति में सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ। लोकार्पण समारोह-सह-राष्ट्रीय काव्यानुष्ठान का शुभारंभ राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. रश्मि प्रियदर्शनी के द्वारा स्वरचित सरस्वती वंदना “माँ वीणापाणि हमें तुम अपनी शरण दे दो। शीश झुकाये हैं, माँ शुभ्र चरण दे दो” की सुमधुर प्रस्तुति से हुआ। कार्यक्रम की संचालिका ज्योति नारायण ने शब्दाक्षर गीत तथा स्वागत वक्तव्य प्रस्तुत किया।
तत्पश्चात राष्ट्रीय संरक्षक डॉ. प्रेम शंकर त्रिपाठी, प्रधान संपादक रवि प्रताप सिंह एवं संपादक डॉ आदर्श प्रकाश सहित संपादक मंडल के सभी सदस्यों ने बारी-बारी से पत्रिका की सारगर्भित समालोचना तथा विस्तृत समीक्षा की। राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री सिंह ने बताया कि ‘शब्दाक्षर’ की इस त्रैमासिकी में विगत 6 से 8 अगस्त, 2022 तक चेन्नई में आयोजित तीन दिवसीय ‘शब्दाक्षर चेन्नई साहित्योत्सव’ में शामिल हुए शब्दाक्षर पदाधिकारियों की ही रचनाओं का संकलन है। उन्होंने शब्दाक्षर संस्था की अनवरत उपलब्धियों का श्रेय देश तथा विदेशों में फैले शब्दाक्षर के कर्मठ पदाधिकारियों को दिया। राष्ट्रीय संरक्षक डॉ. प्रेम शंकर त्रिपाठी ने इस पत्रिका को स्तरीय रचनाओं का संकलन बताया। डॉ. आदर्श प्रकाश ने शब्दाक्षर गीत में निहित अनुपम भावों की प्रशंसा की। महावीर सिंह वीर, सत्येन्द्र सिंह सत्य, ज्योति नारायण, केवल कोठारी तथा दयाशंंकर मिश्र ने शब्दाक्षर पत्रिका के सॉफ्ट कॉपी से वर्तमान में उपलब्ध हार्ड कॉपी तक के सफर को प्रधान संपादक रवि प्रताप सिंह के साथ समस्त शब्दाक्षर परिवार की सामूहिक उपलब्धि बतलायी। इस अवसर पर वक्ताओं ने श्री कोठारी के कुशल संयोजन में आयोजित भव्य चेन्नई साहित्योत्सव की अविस्मरणीय यादों को साझा किया।
शब्दाक्षर पत्रिका लोकार्पण समारोह के द्वितीय सत्र में राष्ट्रीय काव्यानुष्ठान का आयोजन हुआ, जिसमें रवि प्रताप सिंह की “एक वृक्ष के पुष्प सभी हम, फिर बोलो कैसी है अनबन, कुछ तो है असमंजस में मन”, ज्योति नारायण की “उम्र भर मैं भटकती फिरूँ, प्रीत की वह गली दो मुझे”, महावीर सिंह वीर की “देख दीयों का जोश, अंधेरा भय के मारे भाग रहा”, सत्येन्द्र सिंह सत्य की “पिघलकर ढला दर्द जब शब्द में, बहुत खूबसूरत तराना हुआ” सुनकर श्रोतागण झूम उठे। अंजू छारिया की “जिस घड़ी जिंदगी में तुम आ गये, फूल के जैसे हमें महका गये”, अजय श्रीवास्तव मदहोश की “मुझे सफर से निकालो कि थक चुका हूँ मैं” राजकुमार महोबिया की “प्रेम पावस परस क्या मिला, जिंदगी का जनम दूसरा हो गया” पर खूब वाहवाहियाँ लगीं। डॉ. रश्मि प्रियदर्शनी ने अपनी ‘छठ पूजा की महिमा’ कविता से “सेवा तथा सादगी का महत्व छठ पूजा सिखलाती” तथा “अच्छाई को ग्रहण करें, तज दें बुराइयाँ, कहता सूप” जैसी पंक्तियाँ पढ़कर छठ पूजा के सांस्कृतिक, सामाजिक, धार्मिक तथा वैज्ञानिक महत्व पर प्रकाश डाला।

डॉ. कनक लता तिवारी की “तू मुझे याद करे ना करे, ऐ मेरे हमदम, मेरे लफ़्ज़ों में तेरी याद नज़र आयेगी”, के. के. दूबे की “दुश्मन की तरह आपका बर्ताव है हुजूर, ऐसे में पास आपके जाया न जायेगा”, केवल कोठारी की,”महकते घरों में मचलती बहारें, नहीं छाँव नभ में, समझते परिंदे” को भी श्रोताओं ने खूब पसंद किया। एस के मिश्र की “देव बहुत हैं धरती पर, लेकिन सब हनुमान नहीं”, सुधा मिश्रा की “थोड़ा मुसका कर देखो, मन के दीप जला कर देखो” को भी काफी सराहना मिली। काव्यानुष्ठान में दया शंकर मिश्र, सुबोध कुमार मिश्र, डॉ. आदर्श प्रकाश, वंदना चौधरी, संजय कुमार मिश्र अणु, शिल्पी भटनागर, सावित्री सुमन, प्रदीप भट्ट, नीलिमा मिश्रा, वर्षा प्रभूगांवकर, अन्नपूर्णा गुप्ता, साधना प्रकाश, सुजय कुमार सिंह, श्रवण गुप्ता, आलोक जायसवाल, शैलेन्द्र शर्मा, सागर शर्मा आजाद, बिट्टू जैन, इंजी.एस. पी. विश्वकर्मा तथा ईशा गुप्ता ने भी एक से बढ़कर एक स्वरचित कविताएँ पढ़ीं। कार्यक्रम के सफल आयोजन पर राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी निशांत सिंह गुलशन, शब्दाक्षर बिहार प्रदेश अध्यक्ष मनोज कुमार मिश्र, शब्दाक्षर झारखंड प्रदेश अध्यक्ष मनोज कुमार सिंह, दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष राजकुमार प्रतापगढ़िया तथा प्रदेश साहित्य मंत्री स्मृति कुलश्रेष्ठ आदि ने हार्दिक खुशी जतायी।

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