Thursday, May 9, 2024
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सामुहिकता ने खिलाया गुल, सामुदायिक किचन की सेवा बना उदाहरण,देवदूत बन सेवा कर रहे आपदा मित्र

हर भूखे तक पहुंचा रहे भोजन,भुख के खिलाफ जारी किया आंदोलन,पचास हजार से अधिक तक पहुंची सेवा,जन्मदिन से लेकर प्रिय स्मृति का आयोजन कर करते हैं खर्च वहन,समाज का हर वर्ग कर रहा मदद

बरही से बीरेंद्र शर्मा की रिपोर्ट

बरही/चौपारण : झारखंड बिहार बॉर्डर के पास तपती धूप, घना जंगल, तेज तीखे मोड, उंची चढान वाली सडक, भूखे पेट, बिलबिलाती भूख बस घर पहुंचने की लालसा लिए पेड किनारे लेटे राहगीर विवशता को मन में दबाये बस ईश्वर से भोजन की कामना करता है कि अचानक कार रुकती है। चार युवक नीचे आते हैं और राहगीर को जगाकर खाना देते हैं। ऐसे में किंकर्तव्यविमूढ राहगीर कभी ईश्वर को धन्यवाद करने कभी आकाश की ओर तो कभी भोजन देने वाले युवकों का चेहरा निहारता रह जाता है।
जी हां, यह सच्ची दास्तान है जिसकी बानगी आपको राष्ट्रीय राजमार्ग दो यानि जीटी रोड पर लॉक डाउन 1.0 आरंभ होने के बाद प्रायः प्रतिदिन देखने को मिल जायेगी। दरअसल हजारीबाग जिले के सबसे बडे प्रखंड चौपारण में भुखों तक भोजन पहुंचाने का यह दौर बदस्तूर 62 दिनों से जारी है। सामुदायिक किचन से सहयोग का दौर जारी है। पचास हजार से अधिक तक सेवा पहुंची है। कोविड 19 के खिलाफ संघर्ष के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गरीबों के प्रति भोजन पहुंचाने के आहवान के साथ आरंभ हुये इस अभियान की शुरुआत कुछ उत्साही युवाओं ने की थी जो बाद में भूख के खिलाफ आंदोलन सरीखा हो गया। आरंभ से ही इनके दायरे का विस्तार होता चला गया। हर दिन लजीज व्यंजन जैसे बिरयानी, लिट्टी चोखा, खीर पूडी, बुंदिया-मिठाई के साथ बच्चों के लिए बिस्कुट, चिप्स आदि के फुड पैकेटस बनाकर हर राहगीर, हर कोरोना योद्घा मसलन सभी स्वास्थ्यकर्मी, प्रखंड व अंचलकर्मी, अंतर राज्यीय सीमा पर स्थित चोरदाहा चेकपोस्ट के झारखंड पुलिस चौकी, बिहार पुलिस चौकी, प्रखंड के क्ई क्वारंटीन सेंटर के साथ हर दिन विलुप्त प्रायः आदिम जनजाति बिरहोर व अति गरीब टोले की पूरी आबादी को भोज कराया जा रहा है। प्रशासन भी युवाओं के सार्थक प्रयास के कारण सभी को आपदा मित्र के रुप में चिन्हित किया है। युवाओं के प्रयास की सराहना सांसद जयंत सिन्हा ने भी ऑन लाईन उत्साह वर्धन के साथ की। भोजन की पूर्ण व्यवस्था स्थानीय सहयोग से संचालित हो रहे हैं। क्ई लोग सामने आकर पूरे एक दिन का खर्च वहन कर रहे हैं। यही नहीं आपदा मित्र भी अनूठी प्रस्तुति देते हुये सदस्यों के जीवन के यादगार तिथियों मसलन जन्मदिन, शादी की सालगिरह अथवा किसी प्रियजन के स्मृति शेष के लिए एक दिन का खर्च वहन किया जाता है। यही नहीं चौपारण से बाहर प्रदेश में निवास करने वाले युवा भी आर्थिक सहयोग कर रहे हैं। बीते 27 मार्च से आरंभ इस सामुदायिक किचन से पच्चीस हजार से अधिक भूखों को भोजन उपलब्ध कराया जा चुका है। वर्तमान में प्रतिदिन सात से आठ सौ लोगों को स्वच्छ व स्वादिष्ट भोजन दिया जा रहा है। वहीं लॉक डाउन आरंभ होने के दिनों में यह दायरा हजार से अधिक भूखे पेट तक पहुंचता था। आपदा मित्र टीम चौपारण बैनर तले शारीरिक दूरी का अनुपालन के साथ ग्लब्स, फेस मास्क का बखुबी इस्तेमाल करते हैं। विशेषता यह कि रेड जोन घोषित होने के बाद भी जान हथेली पर लेकर आपदा मित्र काम कर रहे हैं। बीते दिन बीडीओ अमित कुमार श्रीवास्तव ने सभी सदस्यों व भोजन बनाने वालों का थर्मल स्क्रीनिंग भी किया।

भोजन के लिए इनका रहा सहयोगः


स्थानीय व्यवसायी, समाजसेवी, वन विभाग, बीओआई, एसबीआई, अझाप्रा शिक्षक संघ, जैन समाज, सहिया, स्वास्थ्य कर्मी सहित अन्य।

लजीज व्यंजन की फहरिस्त :


सदस्यों का मानना है कि सरकार गरीबों तक चावल पहुंचा रही है। परंतु एक दिन का लजीज भोज देकर चेहरे पर मुस्कान लाना लक्षय है। इसके लिए क्वारंटीन सेंटर से उठे बिरयानी की मांग से लेकर खीर पूडी, लिट्टी चोखा, खिचडी, बुंदिया – मिठाई व अन्य व्यंजनों को पहुंचाया जा रहा है।

यहां तक मिली सेवाः


सभी क्वारंटीन सेंटर, अंतर राज्यीय सीमा के बिहार चौकी, झारखंड चौकी, सभी राहगीर, सभी कठंबा, चोरदाहा, दुरागढा, नावागढ, बृंदा बिरहोर गांव, डोइया, टोइया, पडरिया, अति उग्रवाद प्रभावित क्षेत्र बुकाढ, पत्थलगढवा, दनुआ, मैनोखार, बहेरवातरी, टिंटही, ताजपूर , चौपारण सहित तीन दर्जन गांव तक पहुंची सेवा।

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