Sunday, May 5, 2024
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जमा बीमा कानून में संशोधन को मंजूरी,बैंक संकट में पड़ा तो 5 लाख रु. तक भुगतान की गारंटी

इसका उद्देश्य किसी संकट के कारण बैंक पर लेन-देन की पाबंदी लागू होने की स्थिति में उसके जमाकर्ताओं को समय पर सहायता सुनिश्चित करना है।

दिल्ली:

जमा बीमा और ऋण गारंटी निगम अधिनियम (Deposit Insurance And Credit Guarantee Corporation Act,DICGC) में संशोधन के बिल को मंजूरी दी गई है। अब जमाकर्ता एक 90 दिन के अंदर अपनी पांच लाख रुपए तक की राशि बैंक से निकाल सकेंगे ।

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को DICGC अधिनियम में संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी दी । जिसके तहत संकट ग्रस्त बैंक पर लेन-देन की पाबंदी लगने की स्थिति में जमाकर्ता 90 दिन के अंदर अपनी पांच लाख रुपए तक की राशि निकाल सकेंगे । वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जमा बीमा और ऋण गारंटी निगम (DICGC) अधिनियम, 1961 में संशोधन की घोषणा आम बजट में की थी। इस विधेयक को संसद के मौजूदा मानसून सत्र में पेश किए जाने की उम्मीद है।

हजारों जमाकर्ताओं को तत्काल राहत

विधेयक के कानून बनने के बाद उन हजारों जमाकर्ताओं को तत्काल राहत मिलेगी, जिन्होंने अपना धन PMC बैंक और दूसरे छोटे सहकारी बैंकों में जमा किया था। इसका उद्देश्य किसी संकट के कारण बैंक पर लेन-देन की पाबंदी लागू होने की स्थिति में उसके जमाकर्ताओं को समय पर सहायता सुनिश्चित करना है। अधिनियम में संशोधन लागू होने पर बैंक पर लेन-देन की रोक लगने पर जमाकर्ताओं को 90 दिन के भीतर पांच लाख रुपये तक की अपनी जमा राशि प्राप्त करने का अवसर सुनिश्चित होगा।

सीतारमण ने कहा, ” इस प्रस्तावित संशोधन के बाद सभी खाताधारकों की पांच लाख रुपये तक की जमा को बीमा कवर मिलेगा। इसमें मूल राशि और ब्याज दोनों शामिल है।इस संशोधन से 98.3 प्रतिशत जमा खाते इसके तहत आ जाएंगे। मूल्य के हिसाब से 50.9 प्रतिशत जमा मूल्य इसके तहत आएगी। वैश्विक स्तर पर सभी जमा खातों पर बीमा कवर 80 प्रतिशत है। इसके तहत सिर्फ 20 से 30 प्रतिशत जमा मूल्य आता है।’’

उन्होंने कहा कि अभी दबाव वाले बैंकों के जमाकर्ताओं को अपनी बीमित राशि और अन्य दावे पाने में आठ से 10 साल लग जाते हैं। अब संकटग्रस्त बैंक के जमाकर्ताओं को 90वें दिन के करीब अपना पैसा मिलना शुरू होगा। अभी प्रत्येक बैंक 100 रुपये की जमा पर 10 पैसे का बीमा प्रीमियम देते हैं। अब इसे बढ़ाकर 12 पैसे कर दिया गया है।

पिछले साल ही फ़ैसला लिया गया था

पिछले साल सरकार ने पंजाब एवं महाराष्ट्र सहकारी (PMC) बैंक के जमाकर्ताओं को सहायता देने के लिए जमा राशि पर बीमा आवरण को पांच गुना बढ़ाकर पांच लाख रुपये कर दिया था। PMC बैंक के डूबने के बाद यस बैंक और लक्ष्मी विलास बैंक भी संकट आए, जिनका पुनर्गठन नियामक और सरकार द्वारा किया गया।

सीतारमण ने कहा कि DICGC रिज़र्व बैंक के पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी है जो बैंक जमा पर बीमा आवरण देती है। इसके तहत सभी वाणिज्यिक बैंक आते हैं। इनमें वे विदेशी बैंक भी शामिल हैं जिनकी भारत में शाखाएं हैं।

मौजूदा प्रावधानों के अनुसार पांच लाख रुपये तक का जमा बीमा तब लागू होता है, जब किसी बैंक का लाइसेंस रद्द कर दिया जाता है और परिसमापन प्रक्रिया शुरू हो जाती है।

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