Tuesday, May 14, 2024
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कर्पूरी ठाकुर को’ भारत रत्न’ देने की घोषणा को सभी ने सराहा

कर्पूरी ठाकुर को केंद्र सरकार द्वारा देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'भारत रत्न' दिए जाने की घोषणा पर प्रदेश के नेताओं, बुद्धिजीवियों और साहित्यकारों ने स्वागत किया है। उन्होंने जो कहा है, उनकी बातें निम्न दर्ज कर रहा हूं।

जननायक, प्रखर समाजवादी नेता सह बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को मरणोपरांत केंद्र सरकार द्वारा ‘भारत रत्न’ दिए जाने की घोषणा को सभी वर्ग के लोगों ने स्वागत है। यह घोषणा कर्पूरी ठाकुर के सौवें जन्म जयंती के एक दिन पूर्व हुई है । विलंब से ही सही केंद्र सरकार की इस घोषणा को समाज के सभी वर्ग के लोगों ने सराहा है। कर्पूरी ठाकुर की मृत्यु के 36 वर्षों बाद देश का यह सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ दिए जाने की घोषणा पर कई राजनीतिक कयास भी लगाए जा रहे हैं। केंद्र सरकार ने कर्पूरी ठाकुर को यह सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ 2024 के लोकसभा चुनाव से कुछ माह पूर्व घोषणा की है। इस सम्मान के पीछे केंद्र सरकार की क्या राजनीति है ? इस सम्मान के माध्यम से क्या केंद्र सरकार बिहार की राजनीति साधने जा रही है ? इस तरह के उठते सवालों पर देश भर में एक चर्चा छिड़ गई है। देश के राजनीतिक विश्लेषक भी इस बात से इनकार नहीं कर रहे हैं। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव,कर्पूरी ठाकुर की राजनीतिक विरासत को अब तक आगे बढ़ते आए हैं। कर्पूरी ठाकुर ने जो समाजवाद, पिछड़ों और आरक्षण की जमीन बिहार में तैयार की थी, उसी तैयार जमीन पर ये दोनों राजनीतिक फसल काटते चले आ रहे हैं। बिहार की राजनीति से एक चर्चा और भी उभर कर सामने आ रही है कि लोकसभा चुनाव से पूर्व बिहार की राजनीति में कोई बड़ी खेल होने वाली है। यह राजनीतिक किस करवट बैठेगी ? अभी कहना जल्दबाजी होगी।

जस की तस धरा धिन्हीं चदरिया

कर्पूरी ठाकुर बिहार की राजनीति के एक धूरी रहे हैं। उन्होंने समाजवाद को न सिर्फ प्रतिष्ठित किया बल्कि अपने चरित्र में भी लागू किया था। वे दो-दो बार बिहार के मुख्यमंत्री रहे थे। उन पर एक पैसे का भी भ्रष्टाचार का आरोप नहीं लगा । उनके लिए कबीर का यह दोहा बिल्कुल सार्थक जान पड़ता है, ‘जस की तस धरा धिन्हीं चदरिया’। राजनीति एक ऐसी कालिख की कोठरी है, जिससे गुजरे और दाग न लगे, असंभव सा प्रतीत होता है। लेकिन कर्पूरी ठाकुर का जीवन स्वाधीनता आंदोलन के संघर्ष से शुरू होकर बिहार की राजनीति में खत्म होता है। और कर्पूरी ठाकुर बेदाग निकले। प्रखर समाजवादी नेता राम मनोहर लोहिया से उन्होंने समाजवाद की सीख ली थी। इस सीख को उन्होंने अपने जीवन के अंतिम क्षणों तक निभाया था। कर्पूरी ठाकुर को केंद्र सरकार द्वारा देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ दिए जाने की घोषणा पर प्रदेश के नेताओं, बुद्धिजीवियों और साहित्यकारों ने स्वागत किया है। उन्होंने जो कहा है, उनकी बातें निम्न दर्ज कर रहा हूं।

कर्पूरी ठाकुर एक सच्चे समाजवादी नेता का जीवन दिया था – गौतम सागर राणा

गौतम सागर राणा

समाजवादी चिंतक, जे.पी. संघर्ष के कर्मठ सिपाही व‌ पूर्व विधायक गौतम सागर राणा ने कहा कि विलंब से ही सही केंद्र सरकार ने देश के सच्चे जननायक कर्पूरी ठाकुर को देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ देने की घोषणा की है। मैं इस घोषणा का स्वागत करता हूं। यह मेरा सौभाग्य है कि कर्पूरी ठाकुर जैसे प्रखर समाजवादी हमारे राजनीतिक गुरु रहे हैं । वे एक पूर्ण समाजवादी नेता थे। कर्पूरी ठाकुर एक सच्चे समाजवादी नेता का जीवन जिया था वे सच्चे अर्थों में गरीबों,अभिवंचितों और दलित के नेता थे । वे बिहार की राजनीति के धूरी बन गए थे। उन्होंने बिहार में समाजवाद की एक नई परिभाषा गढ़ी थी। उनका व्यक्तित्व बिल्कुल सहज और सरल था। वे एक कुशल शासक थे। उनके मुख्यमंत्रित्व काल में साथ काम करने का अवसर प्राप्त हुआ था । आज की बदली परिस्थिति में वैसे विलक्षण प्रतिभा की धनी, कर्तव्य निष्ठ, ईमानदार और समाजवादी नेता की जरूरत है।

कर्पूरी जी का जीवन सर्व जन हिताय, सर्व जन सुखाय का था – रतन वर्मा

रतन वर्मा

झारखंड के प्रख्यात साहित्यकार, कथाकार रतन वर्मा ने कहा कि मेरे नज़रिए से अगर किसी को सच्चे अर्थों में जन- नायक की उपाधि दी जा सकती है, तो वे हैं, प्रधानमंत्री स्व.लाल बहादुर शास्त्री और बिहार के भूतपूर्व मुख्यमंत्री स्व. कर्पूरी ठाकुर। इन दोनों ही राजनैतिक विभूतियों की दृष्टियों के केन्द्र में सिर्फ और सिर्फ सर्वजन हिताय और सर्वजन सुखाय का ही उद्देश्य निहित था। मैं, केंद्र सरकार द्वारा कर्पूरी ठाकुर को देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ देने की घोषणा का स्वागत करनता हूं। इन दोनों ने ही क्रमशः राष्ट्र और राज्य की सत्ता के शीर्ष पर रहने के बावज़ूद अपने या अपने परिवार के हित का कभी नहीं सोचा। इन दोनों के ही रहन-सहन, पहनावा-ओढावा एवं आचार-व्यवहार बिल्कुल भारतीय ग्रामीण समाज का प्रतिनिधित्व करने वाले जननायक जैसा ही था।श्रद्धेय कर्पूरी ठाकुर के दर्शन का सौभाग्य मुझे सिर्फ एक बार प्राप्त हुआ है। आपातकाल के बाद, जब चुनाव की घोषणा हो चुकी थी, तब चुनाव-प्रचार के लिये समाजवादी नेता राजनारायण के साथ उनका आगमन हमारे शहर दरभंगा में हुआ था। मेरी और मेरे कुछ मित्रों की इच्छा हुई थी कि उनका सम्बोधन हमारे मुहल्ले में भी हो, सो हम तीन मित्र उस होटल के कमरे में पहुँच गये, जहाँ वे ठहरे हुए थे। उनके सेक्युरिटी गार्ड ने हमें रोका था और हमसे पर्चा लेकर उन दोनों से मिलने की अनुमति ले आया था। वे हमसे बहुत ही आत्मीयता से मिले थे। लेकिन हमारे मिलने का प्रयोजन जानकर राजनारायण जी ने साफ मना कर दिया था कि उनके पास समय का अभाव है। हमारे चेहरे पर नैराश्य भाव उपस्थित हो आया था।लेकिन कर्पूरी जी ने सहमति देते हुए राजनारायण से कहा था, ये नवयुवक ही तो हमारे देश के भविष्य हैं … ‘और उस दिन शाम को हमारे मुहल्ले के एक सामान्य से खुले मंच पर कुछ दो -तीन सौ मुहल्ले के लोगों के बीच उनका सम्बोधन सम्पन्न हुआ। उस कार्यक्रम ने गर्व से हमारा मस्तक ऊंचा कर दिया था, मुहल्ले वालों के बीच।

सच्चे अर्थों में वे एक सच्चे समाजवादी नेता थे – इंदर सिंह नामधारी

इंदर सिंह नामधारी

झारखंड विधानसभा के प्रथम पूर्व अध्यक्ष इंदर सिंह नामधारी ने कहा कि कर्पूरी ठाकुर सामाजिक न्याय के बड़े नेताओं में एक थे। उन्होंने समाजवाद को जन-जन तक पहुंचाने का काम किया था। उनका जीवन त्याग और बलिदान से ओतप्रोत था। उन्होंने अपनी राजनीति की शुरुआत स्वाधीनता आंदोलन से की थी। जयप्रकाश नारायण के आंदोलन में उनके साथ काम करने का अवसर प्राप्त हुआ था। कर्पूरी ठाकुर जी को यह सम्मान उनकी मृत्यु के 36 वर्षों बाद दिए जाने की घोषणा हुई है ।‌ केन्द्र सरकार यह निर्णय लेने में थोड़ी विलंब की है। वे इस सम्मान के सच्चे हकदार थे ।‌ उन्हें यह सम्मान देकर केंद्र सरकार ने समाजवाद को प्रतिष्ठित करने का काम किया है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की तरह ही कर्पूरी ठाकुर भी समाज के अंतिम व्यक्ति तक सत्ता का लाभ पहुंचाना चाहते थे। उन्होंने अपने मुख्यमंत्रित्व काल में दलितों , अभिवंचितों और गरीबों के उत्थान में कोई कसर नहीं छोड़ा था। जब वे‌ बिहार के मुख्यमंत्री थे 18 से 20 घंटे तक लगातार काम किया करते थे।‌ सच्चे अर्थों में वे एक कर्मयोगी समाजवादी नेता थे।

कर्पूरी ठाकुर अभिवंचित वर्ग के लोगों को समाज की मुख्य धारा में लाना चाहते थे – रामचंद्र केसरी

रामचंद्र केसरी

झारखंड के पूर्व मंत्री व समाजवादी नेता रामचंद्र केसरी ने कहा कि कर्पूरी ठाकुर को देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रतन’ दिए जाने की घोषणा केंद्र सरकार ने की है। केंद्र सरकार ने यह बहुत ही सूझबूझ के साथ निर्णय ली है । मैं इस निर्णय का स्वागत करता हूं। कर्पूरी ठाकुर का जन्म एक साधारण नाई परिवार में हुआ था । लेकिन अपनी विलक्षण प्रतिभा के कारण कर्पूरी ठाकुर देश के सर्वमान्य समाजवादी नेता बन पाए थे । वे एक सच्चे जननायक नेता रूप में अपनी पहचान बनाने में सफल हुए थे। उनसे, मैं समाजवाद की सीख ली थी । जिसे मैंने अपने जीवन में उतारने का कोशिश भी किया है । उन्होंने जो मार्ग दिखाया था, उसी मार्ग पर आज तक चल रहा हूं । कर्पूरी ठाकुर समतामूलक समाज का निर्माण करना चाहते थे । वे समाज से गरीबी मिटाना चाहते थे । वे आरक्षण के माध्यम से समाज के अभिवंचित वर्ग के लोगों को मुख्य धारा में लाना चाहते थे। उन्होंने समाजवाद की जो राह दिखाई थी, उसी राह पर हम सबों को चलने की जरूरत है। उसी राह पर चलकर देश को मजबूत किया जा सकता है।

कर्पूरी ठाकुर का जीवन सकल समाज के लिए अनुकरणीय है – अर्जुन यादव

अर्जुन यादव

जयप्रकाश आंदोलन के कर्मठ सिपाही सह समाजवादी चिंतक अर्जुन यादव ने कहा कि यह मेरा परम सौभाग्य रहा कि इतने बड़े समाजवादी नेता के साथ रहने का अवसर प्राप्त हुआ था। मेरी राजनीति की शुरुआत लोकनायक जयप्रकाश नारायण के आंदोलन से हुई थी । आपातकाल में मैं मीसा के तहत 27 महीने तक जेल में बंद भी रहा था । इस दौरान कर्पूरी ठाकुर से बहुत कुछ सीखने और समझने का अवसर प्राप्त हुआ था। समाजवाद की प्रारंभिक शिक्षा कर्पूरी ठाकुर से ही मिली थी। कर्पूरी ठाकुर ने सामाजिक न्याय के लिए जो प्रयास किया था उससे करोड़ों लोगों के जीवन में बदलाव आया । उनका पूरा जीवन सादगी और सामाजिक न्याय के लिए समर्पित रहा था। वे अपने अपनी अंतिम सांस तक सरल जीवन शैली और विनम्र स्वभाव के चलते आम लोगों से गहराई से जुड़े रहे थे। आज के नेताओं को कर्पूरी जी के जीवन शैली से सादगी और सरलता की सीख लेनी चाहिए। उनका जीवन सकल समाज के लिए अनुकरणी है। केंद्र सरकार ने ऐसे जननायक को देश का सर्वोच्च सम्मान ‘भारत रत्न’ देने की घोषणा की है, इससे सम्मान की प्रतिष्ठा और विश्वसनीयता बढ़ती है।

Vijay Keshari
Vijay Kesharihttp://www.deshpatra.com
हज़ारीबाग़ के निवासी विजय केसरी की पहचान एक प्रतिष्ठित कथाकार / स्तंभकार के रूप में है। समाजसेवा के साथ साथ साहित्यिक योगदान और अपनी समीक्षात्मक पत्रकारिता के लिए भी जाने जाते हैं।
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