झारखंड उच्च न्यायालय में राज्य में लैंड सर्वे पूरा करने को लेकर गोकुल चंद के द्वारा दाखिल की गई याचिका पर सुनवाई हुई। मामले में उच्च न्यायालय के एक्टिंग चीफ जस्टिस एस चंद्रशेखर की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने प्रार्थी से कहा कि वे 3 माह में बतायें कि आपके अनुसार झारखंड में लैंड सर्वे का काम कब तक पूरा हो जाना चाहिए? उच्च न्यायालय ने इस संबंध में प्रार्थी को शपथ पत्र दाखिल करने का निर्देश दिया है। मामले की अगली सुनवाई 29 अप्रैल को होगी। इससे पहले प्रार्थी की ओर से उच्च न्यायालय को बताया गया कि राज्य में लैंड सर्वे की प्रक्रिया वर्ष 1980 से शुरू होने के बावजूद भी आज तक सिर्फ धनबाद में लैंड सर्वे का काम पूरा हो पाया है। सरकार ने बताया है कि लातेहार में भी लैंड सर्वे का काम पूरा हो गया है, लेकिन उसे अभी प्रकाशित नहीं किया गया है।
लैंड सर्वे होने से लैंड का रिकॉर्ड बनेगा
प्रार्थी ने कहा कि लैंड सर्वे का काम वर्ष 1980 से सरकार की ओर से चलाया जा रहा है, जो कब तक पूरा होगा यह पता नहीं है। इसलिए एक समय सीमा निर्धारित की जानी चाहिए जिसमें राज्य के सभी जिलों में लैंड सर्वे का काम पूरा हो सके। कोर्ट को बताया गया कि सबसे पहले 1932 में लैंड का सर्वे हुआ था। प्रार्थी की ओर से कहा गया कि राज्य के सभी जिले में जल्द से जल्द लैंड सर्वे कराया जाय ताकि लैंड का मैनिपुलेशन ना हो। झारखंड में लैंड सर्वे होने से लैंड का रिकॉर्ड बनेगा और भू माफियाओं द्वारा सरकारी एवं वन भूमि की जमीन के गलत ढंग से खरीद बिक्री पर रोक लगेगी। प्रार्थी ने राज्य में भू माफियाओं द्वारा गलत ढंग से खरीद बिक्री की गई जमीन की डीड को रद्द करने का न्यायालय से आग्रह किया। साथ ही प्रार्थी ने न्यायालय से भूमि का सीमांकन कर इसे प्रकाशित करने भी आग्रह किया है।