Tuesday, May 7, 2024
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पारस HEC के चिकित्सकों ने मल्टीपल सर्जरी कर 11 साल की बच्ची की जान बचाई

काफ़ी ऊँचाई से गिरने के कारण बच्ची के शरीर की कई जगह की हड्डियाँ टूट गई थी और कई जगह फ्रैक्चर भी हुआ था, बच्ची के चेहरे पर भी चोट आई थी। बच्ची की गंभीर अवस्था को देखते हुए अस्पताल आने के बाद सबसे पहले बच्ची को वेंटीलेटर ( लाइफ सपोर्ट) पर रखा गया था।

राँची के पारस अस्पताल में ऊँचाई से गिरने के कारण घायल हुई एक बच्ची भर्ती की गई थी, जिसके शरीर की कई मुख्य जगहों की हड्डियाँ टूट गई थी। पारस अस्पताल के डॉ अंकुर सौरभ और उनकी टीम ने अपनी चिकित्सीय दक्षता और अस्पताल की क्रिटिकल केयर टीम की सहायता से लगभग 15 दिन में ही उस बच्ची को स्वस्थ कर दिया।
राँची के निवासी बच्ची के माता पिता पारस एचईसी अस्पताल के इलाज से काफ़ी संतुष्ट हैं और उन्होंने चिकित्सकों का आभार व्यक्त किया। बच्ची के पिता ने बताया की अस्पताल में जब बच्ची को भर्ती किया गया था, तब वो काफ़ी चिंताजनक स्थिति में थी। उन्होंने कहा कि बच्ची की नाज़ुक हालत देखकर इतनी जल्दी उसके ठीक होने की उम्मीद नहीं थी। लेकिन यहाँ के चिकित्सकों ने ख़ासकर डॉ अंकुर ने उन्हें दिलासा दिलाया की बच्ची को वे बिलकुल स्वस्थ कर देंगे। आज मात्र दो हफ़्ते के इलाज के बाद उनकी बच्ची बात कर रही है और अपने घर जाने को तैयार है।
पारस अस्पताल के ऑर्थोपैडिक विभाग के प्रमुख डॉ अंकुर सौरभ ने बताया की काफ़ी ऊँचाई से गिरने के कारण बच्ची के शरीर की कई जगह की हड्डियाँ टूट गई थी और कई जगह फ्रैक्चर भी हुआ था, बच्ची के चेहरे पर भी चोट आई थी। बच्ची की गंभीर अवस्था को देखते हुए अस्पताल आने के बाद सबसे पहले बच्ची को वेंटीलेटर ( लाइफ सपोर्ट) पर रखा गया था। अस्पताल में ICU की टीम, मैक्सेलोफ़ेशियल सर्जन डॉ अनुज, ऑर्थोपैडिक सर्जन डॉ कुमार विशाल, शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ विकास आनंद, क्रिटिकल केयर प्रमुख डॉ शिव अक्षत और डॉ अंकुर सौरभ की ऑर्थोपैडिक टीम के निरंतर इलाज के बाद जब बच्ची स्टेबल हुई तब एनएस्थेटिक्स डॉ संजय वर्मा के सहयोग से मल्टीपल सर्जरी के द्वारा उसकी टूटी हड्डियों को जोड़ा गया।
पारस HEC अस्पताल के ऑर्थोपैडिक विभाग के प्रमुख डॉ अंकुर सौरभ ने जानकारी देते हुए कहा कि बच्ची की बाँह, पैर और कूल्हे की हड्डियों के साथ-साथ जबड़े की भी हड्डियाँ टूट गई थी। अब बच्ची बिलकुल स्वस्थ है और पहले जैसी ही अपने सारे काम कर सकती है। पैर और हाथ के फ्रैक्चर को पूरी तरह से ठीक होने में थोड़ा समय लग सकता है, जिसके बाद बच्ची पहले की तरह ही चलने भी लगेगी। बच्ची अब अपने स्कूल भी जा सकती है।

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