आलोक पुराणिक:
भारत शादी प्रधान देश है, इसके धंधे भी शादी प्रधान हैं, सोना, कपड़े का बड़ा कारोबार शादियों से है। बैंड बाजा, होटल, रिसोर्ट, शराब वगैरह के धंधों का घणा ताल्लुक शादियों से है। इधर एक नया धंधा चल निकला है, प्री-वेडिंग शूट। इसमें दूल्हा दुल्हन आपस में मिलकर उन हरकतों के फोटो खिंचाते हैं, जिन हरकतों की परमीशन पहले शादी के बाद होती थी, वो भी पब्लिक में नहीं। ऐसे कई बुजुर्ग मिलेंगे, जो यह कह सकते हैं कि जिस तरह की हरकतें करते युवा प्री-वेडिंग शूटिंग में दिखते हैं, वैसी हरकतें तो उन्होने शादी के बाद भी नहीं कीं। वक्त वक्त की बातें हैं, अब सब कुछ प्री यानी पहले ही हो रहा है। चूमा- चाटी, लिपटा-लिपटी ये सब प्री वेडिंग शूट में करना सिर्फ अलाऊ ही नहीं होता, बल्कि इन्हें प्रमोट किया जाता है।
शायद अब यह खतरा होने लगा है कि क्या पता शादी के अगले ही दिन कचर-कचर शुरु हो जाये, प्यार मोहब्बत का स्कोप बचे ही नहीं, इसलिए शादी से पहले ही लव वगैरह के फोटू खिंचा लिये जायें, क्या पता बाद में ऐसे मौके दिखे ही नहीं। प्री-वेडिंग शूटिंग चल निकली है। मेरी चिंताएं दूसरी हैं, कुछ दिनों बाद प्री-वेडिंग किड्स का चलन भी ना शुरु हो जाये। पता लगे कि शादी से पहले बच्चा हो जाये और उसका फोटू खिंचा लिया जाये। तर्क यह दिया जा सकता है कि शादी के बाद ससुराल में बच्चे को पालना मुश्किल रहेगा, तो बच्चा मायके में पैदा हो तो बेहतर। प्री-वेडिंग किड्स का चलन भी शुरु हो जाये। बच्चे स्कूल वगैरह जाने लगें, तो शादी कर ली जाये, कुछ इस तरह का चलन भी शुरु हो ही जायेगा। प्री प्री प्री, सब कुछ पहले ही कर लिया जाये। कैरियर प्रधान दुनिया में यह भी संभव है कि मां बाप अपनी शादी अपने बच्चों की शादी के साथ ही करें। बहुत कुछ संभव है।
एक फोटोग्राफर ने मुझे बताया कि शादी से थोड़े समय पहले बंदे और बंदियों की हालत अजब बेवकूफाना होती है, उनसे कुछ भी करवाया जा सकता है। शादी के बाद अक्ल पर पड़े ताले खुलने शुरु हो जातें, तब फोटोबाजी के तमाम चोंचलों पर उनसे खर्च ना कराया जा सकता।
तमाम धंधों की नींव में बेवकूफी ही है जी।