Tuesday, April 30, 2024
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“आसमान से गिरे खजूर पर अटके” कराहता झारखंड ।

झारखंड में जब से हेमंत सोरेन की सरकार आई है , कई ऐसे फैसले आये हैं हैं जो केवल सरकार हित में है और सीधे-सीधे जनता को प्रभावित करती है, लेकिन सरकार को लाभान्वित करती है ।

झारखंड में रघुवर दास की सत्ता पलटने के बाद यहां के निवासी काफी हर्षित हुए थे , कि अब झारखंड के दिन बहुरेंगे और यहां की जनता खुली हवा में सांसे लेंगी ।
लेकिन बीते कुछ दिनों से हेमंत सोरेन की सरकार जिस हिसाब से काम कर रही है उससे यहां के निवासियों का कहना है कि इससे बेहतर तो रघुवर की ही सरकार थी। हालांकि हमेशा से ऐसा ही होता आया है । जनता सोचती तो कुछ और है चाहती भी कुछ और है , और इन्हीं वजहों से सत्ता में अपने हितों का ध्यान रखते हुए सरकार भी चुनती है । परंतु जनता इस बात का अंदाजा नहीं लगा पाती कि सत्ता का नशा तो ऐसा नशा है की अच्छे-अच्छे मदहोश हो जाते हैं ।फिर हेमंत सोरेन तो इसके आदि रहे हैं ।जनता आज तक यह नहीं समझ पाई कि जिन्हें वह चरित्रवान समझ कर सत्ता की कुर्सी पर आसीन करती है, अपनी आँखों से देखे हुए सुनहरे भविष्य के सपनों को जिनके हाथों में सौपती है , आखिर वही उनके हितों को नजरअंदाज कर केवल अपना हित साधने में क्यों तल्लीन हो जाते हैं ?

झारखंड में जब से हेमंत सोरेन की सरकार आई है , कई ऐसे फैसले आये हैं हैं जो केवल सरकार हित में है और सीधे-सीधे जनता को प्रभावित करती है, लेकिन सरकार को लाभान्वित करती है ।इस पर सरकार का कहना है की जनता के भविष्य को ध्यान में रखकर ही इस तरह के फैसले लिए जा रहे हैं ।लेकिन सरकार साहब से नजरें मिलाकर आखिर कौन उन्हें बताएं की “वर्तमान” को पैरों तले रौंद कर सुनहरे भविष्य का सपना केवल सपना ही रह जाता है । सबसे बड़ी बात तो यह है की अच्छे भविष्य की उम्मीद में राह तकते तकते तो सरकार के बदलने के दिन आ जाते हैं ,फिर नई सरकार जब आती है तो जनता के हितों का सब्जबाग दिखाकर इन्हीं तरह के नए नियम ,नए कानून उनके ऊपर थोप दिए जाते हैं ।

अभी हाल के ही फैसलों का जिक्र करें तो – झारखंड सरकार द्वारा महिलाओं के नाम ₹1 की रजिस्ट्री नए सरकार के आते ही बंद कर दी गई। जिसका लाभ झारखंड वसियों को बखूबी मिल रहा था ।हवाला यह दिया गया कि सरकार का खजाना खाली हो चुका है ।चलिए यह भी देखा जाएगा की ₹1 की रजिस्ट्री बंद करने के बाद सरकार अपने खजाने को किस हद तक भर पाती है और उस खजाने का इस्तेमाल जनता के हित में किस हद तक हो पाता है । अभी कल ही झारखंड सरकार का एक नया फरमान जारी हुआ है। जिसमें कोरोना महामारी से निपटने के लिए मास्क नहीं लगाने पर एक लाख का जुर्माना या फिर 2 साल की जेल की सजा मुकर्रर की गई है । अब सोचने वाली बात है कि इस नियम से जनता को लाभ होगा या हानि ?

बचपन से पढता और सुनता आया हूँ की सत्ता में बैठे लोग जनता का पूरा पूरा ख्याल रखते हैं और उन्हें किसी प्रकार का नुकसान ना हो इसको लेकर नियम- कानून बनाए जाते हैं ।सरकार बताएगी कि इस तरह के नियम बनाने से जनता को कितना लाभ पहुंचेगा ? जबकि कुछ दिनों पहले ही केंद्र सरकार के द्वारा जारी दिशानिर्देश में यह बात बताई गई है कि – जिस मास्क को कुछ दिन पहले सबसे बेहतर माना जाता था वही N95 मास्क जन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है और कोरोना के संक्रमण को रोकने में कारगर नहीं है ।हां यदि आज की प्रदूषण को ध्यान में रखें , तो गाड़ी चलाते समय या फिर भीड़भाड़ वाली जगहों पर किसी भी तरह का कपड़े से बना मास्क लगाना या फिर कपडे से अपने नाक और मुंह को ढँक कर रखना , फायदेमंद हो सकता है ।

मास्क न लगाने पर इतनी बड़ी सजा कहीं से भी जायज नहीं समझ आती है । सरकार यदि वास्तव में जनता का हित चाहती ( जिस प्रकार अपने को जनता का सेवक और शुभचिंतक कहती है ) , तो अपने खजाने से दो बूंद निकाल कर जनता के बीच में जगह-जगह सारे ट्रैफिक पोस्टों पर तथा बाजारों में मास्क का वितरण करवाती और जहां कहीं भी बगैर मास्क के लोग दिखाई देते उन्हें सरकार के द्वारा मास्क उपलब्ध कराया जाता। लेकिन इस सरकार का खजाना कैसे भरेगा ? जिस खजाने से कहीं ना कहीं , किसी न किसी रूप में नेताओं व अधिकारियों के जेब गर्म होते हैं ।
सरकार के अनुसार यदि जनता मास्क नहीं लगाती है तो कोरोना का खतरा बढ़ जाता है ।मास्क नहीं लगाने पर जनता कोरोना संक्रमित हो सकती है और नए नियमानुसार बिना मास्क के पाए जानेवाले “कोरोना संक्रमित मरीज” (जनता) से ₹100000 जुर्माना के रूप में वसूल किया जाएगा ।जुर्माना नहीं देने पर इसी कोरोना संक्रमित मरीज ( जनता ) को 2 साल के लिए जेल में डाल दिया जाएगा । वाह रे सरकार और आपके नियम । हम धन्य हो गए आपको सत्ता सौंपकर ! आपने हमारा खूब ख्याल रखा है !
आखिर में जनता करे तो क्या करें ! मजबूरी है सरकार के नियम तो मानने ही पड़ेंगे ! अब जिन्हें अपने माथे पर बिठाया है तो झेलना तो पड़ेगा ही । झारखंड की जनता पर सीधे-सीधे यही कहावत चरितार्थ होती है कि – “आसमान से गिरे खजूर पर अटके”।

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