सुनील सौरभ की कलम से
कोरोना संकट काल में जहां सभी शिक्षण संस्थान स्कूल, कॉलेज, विश्विद्यालय आदि में पठन-पाठन ठप पीडीए है, वहीं दक्षिण बिहार का एक मात्र अल्पसंख्यक कॉलेज मिर्ज़ा ग़ालिब कॉलेज अपने छात्र -छात्राओं को कोर्स पूरा करने में लगा है। साथ ही किसी भी विषय संबंधित कोई भी समस्या का समाधान भी करा रहा है। कोरोना काल में जहां दूसरे संस्थान कर्मियों की छंटनी कर रहे हैं, ऐसी स्थिति में भी मिर्ज़ा ग़ालिब कॉलेज अपने अनुबंधित एवं दैनिक भोगी 65 कर्मियों को भी वेतन दे रहा है,जिससे कि इन कर्मियों को आर्थिक तंगी से नहीं गुजरना पड़े।
17 हजार से अधिक छात्र-छात्राओं वाले मिर्ज़ा ग़ालिब कॉलेज में कोरोना काल में भी इस तरह की व्यवस्था का श्रेय जाता है इस कॉलेज के शासी निकाय के युवा एवं दूरदृष्टि रखने वाले सचिव शब्बी शमसी के प्रयास से।
सचिव ने बताया कि विश्वविद्यालय की ओर से कोरोना काल में जो भी निर्देश प्राप्त हो रहा है,उसमें अधिकतर पहले से ही इस कॉलेज में लागू है। ऑनलाइन पढ़ाई का मामला हो या,ऑडियो-वीडियो से छात्रों की पढ़ाई का ,यहां लॉक डाउन के बाद से यह सब शुरू हो गया था।शब्बी शमसी ने बताया कि छात्र-छात्राओं की सुविधा के लिए कॉलेज के बेबसाइट पर सभी विषयों का नोट्स भी अपलोड किया जा रहा है। सचिव ने बताया कि इस कार्य में कॉलेज के प्राचार्य जलालुद्दीन अंसारी और उपप्राचार्य शुजात अली खान बहुत मेहनत कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि जूम,स्काइप के माध्यम से पढ़ाई कराई जा रही है। इन कामों से अलग हटकर कोरोना संकट काल में शब्बी शमसी की ओर से अपने आवास शमसी हाऊस से प्रति दिन जरूरतमंदों को खाद्य सामग्री का वितरण किया जा रहा है।