Monday, April 29, 2024
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“कोरोना योद्धा” पीड़ित मानवता की सेवा को रामाशंकर ने बनाया लक्ष्य

रांची : कुछ लोग अपनी व्यावसायिक और पारिवारिक जिम्मेदारियों को बखूबी संभालते हुए समाज सेवा के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण सहभागिता निभाते हैं। ऐसी ही एक शख्सियत हैं हटिया स्टेशन रोड निवासी होटल संचालक समाजसेवी रामाशंकर प्रसाद। पेशे से व्यवसायी रामाशंकर सामाजिक कार्यों में काफी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं। विगत तकरीबन तीन दशक से वे हटिया, बिरसा चौक, जगन्नाथपुर सहित आसपास के क्षेत्रों के गरीबों की सेवा करते आ रहे हैं। रामाशंकर को समाजसेवा की प्रेरणा अपने माता-पिता से मिली। एक अत्यंत साधारण परिवार से जुड़े श्री प्रसाद ने गरीबी को काफी निकट से देखा है। गरीबों की पीड़ा क्या होती है? इसे अपने संघर्षपूर्ण जीवन काल में महसूस भी किया है। अभावों को झेलते हुए संघर्ष कर फर्श से अर्श पर पहुंचने में उन्होंने काफी उतार-चढ़ाव देखे हैं। वर्तमान में रामाशंकर हटिया स्टेशन रोड स्थित होटल पार्क इन और पूजा रेस्टोरेंट के संचालक हैं। अपनी व्यस्ततम दिनचर्या और व्यावसायिक गतिविधियों के अलावा उन्होंने समाज सेवा, विशेषकर गरीबों की सेवा को अपना मुख्य लक्ष्य बना लिया है। वह भोजन से वंचित बेघर और बेसहारा गरीबों को भोजन कराने के लिए सदैव तत्पर रहते हैं। फिलवक्त वैश्विक महामारी कोरोना से बचाव के मद्देनजर किए गए देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान गरीबों को हो रही परेशानियों को ध्यान में रखते हुए उन्हें एक समय का भोजन उपलब्ध कराने का निर्णय लिया है। वह प्रतिदिन अपने घर से लगभग डेढ़-दो सौ फूड पैकेट तैयार कर दोपहर में हटिया स्टेशन रोड पर गरीबों को बांटते हैं। इस कार्य में उनकी पत्नी आशा देवी, पुत्र आदित्य कुमार व अभिषेक कुमार, पुत्री पूजा कुमारी सहित अन्य परिजन भी योगदान देते हैं। उन्होंने लॉकडाउन की अवधि (14 अप्रैल) तक गरीबों को प्रतिदिन एक समय का भोजन कराने का संकल्प लिया है। इसके तहत वह तरह-तरह के पकवान अपने घर में तैयार कर गरीबों के बीच बांटते हैं। उनके इस पुनीत कार्य से प्रेरित होकर अन्य समाजसेवी भी इस दिशा में सक्रिय होने लगे हैं और गरीबों की सेवा में आगे आने लगे हैं। गौरतलब है कि रामाशंकर प्रसाद प्रतिवर्ष जाड़े के मौसम में बिरसा चौक, हटिया, जगन्नाथपुर व आसपास के गरीबों के बीच कंबल वितरण कर मानवता की सेवा में अग्रणी भूमिका निभाते हैं। उनका कहना है कि पीड़ित मानवता की सेवा सबसे बड़ा मानव धर्म है। मानव सेवा ही सच्ची सेवा है। इस दिशा में सबको सकारात्मक सोच के साथ सहभागिता निभाने की कोशिश करनी चाहिए।

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