रांची : झारखंड में होने वाले राज्यसभा चुनाव को लेकर सरगर्मी तेज हो गई है। राजनीतिक दलों की सक्रियता बढ़ गई है। ज्यों-ज्यों चुनाव की तिथि नजदीक आ रही है,त्यों-त्यों चुनाव परिणाम की तस्वीरें भी तकरीबन साफ होती नजर आ रही है। झामुमो प्रत्याशी शिबू सोरेन की जीत लगभग तय मानी जा रही है। राज्यसभा के चुनावी अंकगणित पर गौर करें तो झारखंड में विधायकों की संख्या 81 है। इसमें से सिर्फ 80 सदस्य हैं। एक सीट दुमका से फिलवक्त विधायक नहीं है। इस सीट से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन इस्तीफा दे चुके हैं। दुमका में उपचुनाव होने में अभी देर है। ऐसे में राज्यसभा के चुनाव के लिए किसी भी उम्मीदवार को प्रथम वरीयता का 27 वोट चाहिए। झामुमो के पास पहले से ही 29 विधायक हैं। इस लिहाज से गुरुजी को प्रथम वरीयता का वोट मिल जायेगा। वहीं, कांग्रेस के पास 16 विधायक हैं। झाविमो छोड़कर दो विधायक (प्रदीप यादव और बंधु तिर्की) कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं। ऐसे में कांग्रेस के विधायकों की संख्या 18 होती है। राजद के एक, एनसीपी का एक, भाकपा (माले) का एक और निर्दलीय दो विधायक हैं, जिसमें सरयू राय और अमित यादव शामिल हैं।
गौरतलब है कि राज्यसभा की कुल दो सीटों के लिए मतदान होना है। जिसके लिए सत्ताधारी झामुमो ने पार्टी के केन्द्रीय अध्यक्ष शिबू सोरेन को प्रत्याशी बनाया है। जबकि भाजपा ने अपने नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश को उम्मीदवार बनाया है।
राज्यसभा चुनाव में मुकाबला को कांग्रेस ने रोचक बना दिया है। शहजादा अनवर को कांग्रेस ने तीसरे प्रत्याशी के रुप में राज्यसभा चुनाव में उतार दिया है। भाजपा की बात की जाये, तो भाजपा के पास बाबूलाल मरांडी के आने के बाद कुल विधायकों की संख्या 25 से बढ़कर 26 हो गई है। ऐसे में भाजपा को मात्र एक ही वोट का जुगाड़ करना होगा। वैसे, आजसू पार्टी ने भाजपा के प्रत्याशी को समर्थन देने की घोषणा कर दी है। आजसू के दो विधायकों को मिलाने के बाद कुल 28 विधायक भाजपा के पाले में हैं। कुल 27 वोट भाजपा को चाहिए, जो आंकड़ा भाजपा आसानी से प्राप्त कर लेगी। एक ओर राज्यसभा की एक सीट पर झामुमो प्रत्याशी शिबू सोरेन का चुना जाना तय माना जा रहा है, वहीं, दूसरी सीट पर मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच है। संख्या बल के आधार पर भाजपा ही भारी दिख रही है। कांग्रेस के लिए राहें इतनी आसान नही होगी। कांग्रेस को चुनाव जीतने के लिए झामुमो और कांग्रेस सहित अन्य गठबंधन को मिलाकर कुल 54 विधायक का वोट चाहिए। कांग्रेस, राजद और झामुमो को अगर मिला भी दिया जाये तो यह संख्या 49 तक हो जाती है, वह भी तब, जब प्रदीप यादव और बंधु तिर्की को भी कांग्रेस में गिना जाये। यदि एनसीपी के कमलेश सिंह ने साथ दिया तो भी यह आंकड़ा 50 तक ही पहुंचता है। इसके बाद भाकपा (माले) के विधायक विनोद सिंह पर सबकी नजरें टिकी होंगी।
निर्दलीय विधायक सरयू राय और अमित यादव पर सबकी निगाहें टिकी हुई है। निर्दलीय सरयू राय ने यह घोषणा कर दी है कि वे कांग्रेस को वोट नहीं करेंगे। हालांकि,भाजपा का समर्थन करेंगे या नहीं, फिलहाल यह भी स्पष्ट नहीं किया है। श्री राय ने कहा है कि वे खुद कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सह मंत्री डॉ.रामेश्वर उरांव से मिलेंगे और अपील करेंगे कि वे लोग अपना प्रत्याशी वापस लें, ताकि एकमत तरीके से वोटिंग होकर यहां से राज्यसभा का चुनाव हो जाये। इससे विधायकों की खरीद-फरोख्त जैसी घटनाएं नहीं होगी। ऐसे में कांग्रेस का 54 विधायकों का आंकड़ा पहुंचता मुश्किल दिख रहा है। भाजपा के समक्ष समस्या यह है कि ढुल्लू महतो को वोट देने से रोका जा सकता है। ऐसे में बहुमत के आंकड़े 27 तक पहुंचना मुश्किल हो जायेगा। ऐसे में भाजपा के 25 विधायक ही होंगे। यदि आजसू का दो वोट मिल जायेगा तो 27 का आंकड़ा भाजपा छू लेगी। वहीं, यदि निर्दलीय सरयू राय ने भाजपा का साथ दिया तो जीत आसान हो जायेगी। बहरहाल, राज्यसभा के लिए चुनावी बिसात बिछाई जा रही है, कौन बाजी मारेगा, यह देखना दिलचस्प होगा।