पटना : राज्य में कोरोना संक्रमण के 19 नए मामले आने के बाद स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव संजय कुमार ने बताया की बिहार सरकार पटना एम्स में कोरोना संक्रमित मरीजों का इलाज करने के लिए प्लाज्मा थेरेपी का इस्तेमाल करने की योजना बना रही है। फिलहाल दिल्ली में प्लाज़्मा थेरेपी से कोरोना संक्रमितों का इलाइज किया जा रहा है,और शुरुआती नतीजे बढ़िया आए हैं। जिससे कोविड -19 से गंभीर रूप से संक्रमित लोगों के इलाज के लिए उम्मीद की किरण नजर आई है।
शनिवार को बिहार से 19 मरीजों का रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद राज्य में कोरोना संक्रमितों की संख्या 242 हो गई है। नए संक्रमितों में 6 कैमूर, 5 बक्सर, 2 रोहतास, 2 पटना, 1 अरवल, 1 भोजपुर, 1 सारण और 1 वैशाली जिले के हैं।
केजरीवाल ने एक ऑनलाइन संवाददाता सम्मेलन में कहा कि अगले दो-तीन दिनों में प्लाज्मा थेरेपी के और अधिक नैदानिक परीक्षण किए जाएंगे और उनकी सरकार दिल्ली में कोविड-19 संक्रमण के सभी गंभीर रोगियों पर इस थेरेपी का इस्तेमाल करने के लिए केंद्र की मंजूरी लेगी। मुख्यमंत्री ने उम्मीद जताई कि केंद्र सरकार इस उपचार पद्धति के लिए मंजूरी देगी।
क्या होती है प्लाज्मा थेरेपी
प्लाज्मा थेरेपी से इलाज इस धारणा पर आधारित है कि वे मरीज जो किसी संक्रमण से उबर जाते हैं उनके शरीर में संक्रमण को बेअसर करने वाले प्रतिरोधी एंटीबॉडीज विकसित हो जाते हैं। इन एंटीबॉडीज की मदद से कोविड-19 रोगी के रक्त में मौजूद वायरस को खत्म किया जा सकता है
कोविड-19 में इलाज से ठीक हुए लोग ही इस थेरेपी में डोनर बन सकते हैं। इस थेरेपी के लिए जारी दिशा-निर्देश के मुताबिक, ‘किसी मरीज के शरीर से एंटीबॉडीज उसके ठीक होने के दो हफ्ते बाद ही लिए जा सकते हैं और उस रोगी का कोविड-19 का एक बार नहीं, बल्कि दो बार टेस्ट किया जाना चाहिए।’ ठीक हो चुके मरीज का एलिजा (एन्जाइम लिन्क्ड इम्युनोसॉर्बेन्ट ऐसे) टेस्ट किया जाता है जिससे उनके शरीर में एंटीबॉडीज की मात्रा का पता लगता है। लेकिन ठीक हो चुके मरीज के शरीर से रक्त लेने से पहले राष्ट्रीय मानकों के तहत उसकी शुद्धता की भी जांच की जाती है।