Tuesday, May 7, 2024
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महिला विविधता पर एसोचैम के वेबीनार में बोलीं स्टेफी पटेल, जीवन में सफल होने के लिए परिवार का सहयोग जरूरी

रांची। जीवन में सफल होने के लिए परिवार व परिजनों का सहयोग जरूरी है जीवन पथ पर सफलतापूर्वक अग्रसर होने के लिए हमें अपने माता पिता परिवार के अन्य सदस्य व गुरुजनों का स्नेह संबल प्रदान करता है उक्त बातें अभिनेत्री व मिस इंडिया रहे अभिनेत्री स्टेफी पटेल ने कही श्रीमती पटेल एसोचैम द्वारा महिला विविधता पर आयोजित वेबीनार में बतौर विशिष्ट अतिथि बोल रही थीं उन्होंने कहा कि उनकी सफलता के पीछे उनके परिवार वालों का बहुत बड़ा सहयोग रहा है।
उन्होंने वेबीनार में अपने जीवन के कुछ महत्वपूर्ण और अनछुए पहलुओं पर ध्यान आकृष्ट कराते हुए कहा कि इंजीनियरों से भरे परिवार में वह जन्मी। वह भी एक इंजीनियर बनना चाहती थी। उसकी माँ भी रूढ़ीवादी होने के कारण उसे हमेशा पढ़ाई के लिए प्रेरित करती थी। वह मिस इंडिया का फिनाले देखना चाहती थी। लेकिन उसने कभी खुद के आसन पर होने की कल्पना नहीं की थी। वह सह पाठ्यचर्या में और हर कार्यक्रम में अग्रिम पंक्ति में रहा करती थी। लेकिन परिवार और समाज से उन्हें संभल मिला और वह मुकाम हासिल करने में सफल रहीं। उन्होंने कहा कि समाज में उभरने के लिए परिवार का सहयोग जरूरी है। शीर्ष स्तर पर भारत का प्रतिनिधित्व करना उनका सबसे अच्छा अनुभव है। उन्होंने कहा कि महिलाओं को आत्मविश्वास हासिल करने और साहस के साथ आगे बढ़ने की जरूरत है।
कार्यक्रम का शुभारंभ एसोचैम के क्षेत्रीय निदेशक भरत जयसवाल के स्वागत भाषण से हुआ।
वेबीनार में एसोचैम की सह अध्यक्ष व संस्थापक निदेशक (सीएमसी कौशल) माया सिन्हा ने कहा कि देश के सर्वांगीण विकास की आकांक्षा रखते हैं तो और सभी लिंगों के लिए समग्र रूप से योगदान देना महत्वपूर्ण है। महिलाएं आज हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं। सफलता का परचम लहरा रही हैं। महिलाओं को समुचित सम्मान देने और उन्हें सफलतापूर्वक जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करने की अत्यंत आवश्यकता है।
वेबीनार में नीलिमा द्विवेदी ने कहा कि वह अपने संघर्ष को आजकल की महिलाओं और बच्चों से जोड़ती हैं, परिवर्तन और विकास तो हुआ है लेकिन अभी भी एक लंबा सफर तय करना है। उन्होंने अपने अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि 20 साल की उम्र में मेरी शादी हो गई, फिर भी पढ़ाई जारी रखी। उन्होंने कहा कि रूढ़िवादिता को बदलने की जरूरत है। हमें समाज द्वारा तय की गई एक आदर्श भूमिका से बाहर आना होगा और अपने लिए जीना शुरू करना होगा।
इस मौके पर
श्रीपर्णा बसु (प्रोफेसर, कम्युनिकेशंस, फोर स्कूल ऑफ मैनेजमेंट) ने कहा कि
हमें विविधता के गुणों को समझने और इसमें सुधार लाने की जरूरत है। समाज को बेहतर बनाने के लिए इसे हमारी संस्कृति में अपनाना आवश्यक है।
वेबीनार में पूर्णिमा गर्ग, (डिप्टी कंट्री डायरेक्टर, रूम टू रीड इंडिया) ने कहा कि
शिक्षित महिलाएं दुनिया को बदल सकती हैं। जरूरत है दृढ़ संकल्प के साथ जीवन पथ पर आगे बढ़ते रहने की।
इस अवसर पर पूजा जायसवाल (अध्यक्ष, झारखंड महिला उद्यमी विकास परिषद, एसोचैम) ने कहा कि एक संगठन में महिलाओं की भागीदारी सभी स्तरों और कार्यक्षेत्रों में भी बहुत कम है। नेतृत्व की भूमिका में महिलाओं को अधिक सलाह देने और सक्रिय रहने की आवश्यकता है। कंपनियों को भी किसी भी प्रकार की नीतियों का मसौदा तैयार करते समय महिलाओं की विविधता को ध्यान में रखना चाहिए।
वेबीनार में
आस्था किरण (सह अध्यक्ष, एसोचैम झारखंड राज्य विकास परिषद) ने कहा कि
महिलाओं के साथ हमेशा भेदभाव किया जाता है। लेकिन एक छोटे शहर की लड़की होने के नाते फैशन उद्योग में प्रवेश करते हुए मैंने अंतहीन मात्रा में इनपुट दिए। इसका सकारात्मक परिणाम निकला। उन्होंने कहा कि महिलाओं को पहले खुद को सक्षम साबित करना होगा। महिला उद्यमियों को प्रोत्साहित कर उनकी भागीदारी को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।
वेबीनार में सुश्री कल्पना चौधरी (मॉडरेटर) सहित अन्य ने भी अपने विचार रखे।

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