विजय केसरी:
भाजपा विधायक सह पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी को झारखंड प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष नियुक्त किए जाने पर भाजपा कार्यकर्ताओं में खुशी की लहर चल पड़ी है। वहीं दूसरी ओर भाजपा खेमे में मरांडी के अध्यक्ष नियुक्त किए जाने पर दबे स्वर में विरोध की भी आवाज सुनाई पड़ रही है।
झारखंड के पहले मुख्यमंत्री रह चुके हैं बाबूलाल
बाबूलाल मरांडी भारतीय जनता पार्टी के एक विश्वसनीय नेता के रूप में जाने जाते हैं। बाबूलाल मरांडी ने संघ के एक सक्रिय स्वयंसेवक के रूप में अपनी पहचान बनाई थी । बाद के कालखंड में उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के विभिन्न पदों पर रहकर संगठन को मजबूत बनाने का काम किया। झारखंड के प्रथम मुख्यमंत्री बनने का उन्हें सौभाग्य प्राप्त हुआ था। उन्होंने अपने 27 माह के कार्यकाल में झारखंड को एक बेहतर प्रांत बनाने का प्रयास किया था । लेकिन एनडीए के आपसी घटक दलों में बेहतर तालमेल न होने के कारण उनकी सरकार मात्र 27 महीने में चली गई थी। प्रांत की राजनीति में बाबूलाल मरांडी के विरोध में तब भी स्वर गूंज रहे थे, जिसके कारण उनकी सरकार चली गई थी। ये स्वर आज भी मुखरित है, लेकिन उसकी गति धीमी है। मुख्यमंत्री के पद से हटने के बाद बाबूलाल मरांडी अपनी ही पार्टी में उपेक्षित महसूस कर रहे थे। फलत: उन्होंने एक नई पार्टी का गठन कर भाजपा को अलविदा कह दिया था। लेकिन राजनीति में ना कोई दुश्मन स्थाई होता है, और ना ही दोस्ती स्थाई होती है। उन्होंने अपनी नई राजनीतिक पार्टी को झारखंड में चमकाने की बहुत कोशिश की थी। वे कुछ हद तक कामयाब भी हुए थे। अंततः उन्हें भारतीय जनता पार्टी का दामन थामना ही पड़ा था।
झारखंड में लोकसभा की 14 में से 12 सीटें भाजपा के नाम
बाबूलाल मरांडी के भाजपा में वापसी के बाद कई तरह के राजनीतिक कयास लगाए जा रहे थे कि उनके नेतृत्व में झारखंड का अगला विधानसभा का चुनाव लड़ा जाएगा। झारखंड में विधानसभा चुनाव से पूर्व 2024 में लोकसभा का चुनाव लड़ा जाएगा। बाबूलाल मरांडी को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने के पीछे लोकसभा चुनाव को भी ध्यान में रखा गया है। झारखंड प्रारंभ से ही भारतीय जनता पार्टी की उर्वरा भूमि रही है । झारखंड के लोकसभा के 14 सीटों में 12 सीटों पर भाजपा अपना विजय दर्ज कर चुकी है। इस लिहाज से झारखंड के सभी लोकसभा सीटें भारतीय जनता पार्टी के लिए अति महत्वपूर्ण बन चुके हैं। भारतीय जनता पार्टी की केंद्रीय नेतृत्व आगामी लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखकर झारखंड के सभी 14 सीटों पर शत-प्रतिशत विजय दर्ज करना चाहती है। बाबूलाल मरांडी एक कुशल संगठन कर्ता है। बाबूलाल मरांडी भारतीय जनता पार्टी के एक विश्वासी पात्र भी है । बाबूलाल मरांडी का केंद्रीय शीर्ष नेतृत्व से अच्छी सांठगांठ है । बाबूलाल मरांडी का जब भाजपा में घर वापसी हुआ था, इस घर वापसी के पीछे केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का महत्वपूर्ण हाथ था।
अब बाबूलाल की बेदाग़ छवि है
बाबूलाल मरांडी भारतीय जनता पार्टी के एक ऐसे नेता के रूप में अपनी पहचान बनाने में सफल रहे हैं, जिन पर भ्रष्टाचार के कोई आरोप नहीं लगे। जबकि बाबूलाल मरांडी झारखंड के 27 महीने तक मुख्यमंत्री रहे। इनके कैबिनेट के कई मंत्रियों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे। लेकिन इन पर भ्रष्टाचार के कोई आरोप नहीं लगे। यह बात इनकी राजनीतिक कद को और बढ़ा देता है। बाबूलाल मरांडी बहुत ही संतुलित और संयमित बोलने वाले नेता है। वे अपनी बातों को समय पर ही प्रस्तुत करते हैं । वे बहुत ही सोच विचार कर ही अपनी बातों को रखते हैं। बाबूलाल मरांडी प्रारंभ से ही फिजूल बयानबाजी से बचते रहे हैं। वे समय पर अपने विरोधियों पर वार करते हैं। बाबूलाल मरांडी के वक्तव्य को झारखंड के लगभग सभी पत्र प्रमुखता से स्थान देते रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने बहुत ही सोच विचार कर बाबूलाल मरांडी को झारखंड भाजपा का अध्यक्ष मनोनीत किया है । इस मनोनयन में आगामी लोकसभा चुनाव और प्रदेश के चुनाव को भी ध्यान में रखा गया है।
झारखंड में महागठबंधन को चुनौती देंगे बाबूलाल
एक तरफ महागठबंधन की बैठकें धड़ाधड़ होती चली जा रही है। पटना में महागठबंधन की बैठक ने विपक्षी एकता को पंख दे दिया है। महागठबंधन की दूसरी बैठक बेंगलुरु में होने जा रही है । ये बातें भी ध्यान में रखकर बाबूलाल मरांडी को अध्यक्ष बनाया गया है। बाबूलाल मरांडी को प्रदेश भाजपा का अध्यक्ष मनोनीत किए जाने पर भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्षों ने बहुत ही सकारात्मक बयान दिया है । झारखंड भाजपा के तमाम बड़े नेताओं ने खुशी भी जाहिर की है। हर पार्टी में पार्टी के भीतर ही विरोधी गुट भी होते हैं । भाजपा प्रदेश नेतृत्व इस बात से इनकार भी नहीं कर सकती। इन तमाम बातों के बावजूद बाबूलाल मरांडी के भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बनने से संगठन को एक नई ताकत मिली है । बाबूलाल मरांडी जमीनी स्तर के नेता है ।
अब तक चार बार सांसद रह चुके हैं बाबूलाल
बाबूलाल मराण्डी 12वीं, 13वीं, 14वीं और 15वीं लोकसभा में सांसद भी रहे। वे 1998 से 2000 में भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार में केंद्रीय राज्य मंत्री थे।
उन्होंने रांची विश्वविद्यालय से भूगोल में स्नातकोत्तर किया। कॉलेज में पढ़ाई के दौरान मराण्डी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ गए थे। संघ से पूरी तरह जुड़ने से पहले मरांडी ने गाँव के स्कूल में कुछ सालों तक कार्य किया। इसके बाद वे संघ परिवार से जुड़ गए। उन्हें झारखण्ड क्षेत्र के विश्व हिन्दू परिषद का संगठन सचिव बनाया गया।
1983 में वे दुमका जाकर सन्थाल परगना डिवीजन में कार्य करने लगे थे। 1991 में मराण्डी भाजपा के टिकट पर दुमका लोकसभा सीट से चुनाव लड़े, लेकिन हार गए। 1996 में वे फिर शिबू शोरेन से हारे। इसके बाद भाजपा ने 1998 में उन्हें विधानसभा चुनाव के दौरान झारखण्ड भाजपा का अध्यक्ष बनाया। पार्टी ने उनके नेतृत्व में झारखण्ड क्षेत्र की 14 लोकसभा सीटों में से 12 पर कब्जा किया।
दिशोम गुरु को भी चुनाव में हरा चुके हैं बाबूलाल
1998 के चुनाव में उन्होंने शिबू शोरेन को सन्थाल से हराकर चुनाव जीता था, जिसके बाद एनडीए की सरकार में बिहार के 4 सांसदों को कैबिनेट में जगह दी गई। इनमें से एक बाबूलाल मराण्डी थे।
उम्मीद की जा रही है कि बाबूलाल मरांडी के झारखंड प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष बनने से झारखंड की राजनीति में एक गति पैदा होगी । वहीं विपक्षी एकता को भी साधने की कोशिश की गई है। महागठबंधन की शक्तियां को कैसे कम किया जाए ? इस बात का भी ख्याल रखा गया है।