विजय केसरी:
हेमंत सोरेन सरकार अपना चार साल का कार्यकाल पूरा कर आज पांचवें वर्ष में प्रवेश कर गई है । झारखंड की जनता ने बहुत ही आशा, विश्वास और उम्मीद के साथ यूपीए के हाथों प्रांत की जवाबदेही सौंपी थी। इस जवाबदेही पर हेमंत सोरेन की सरकार कितना सफल रही है ? इस सवाल का उत्तर झारखंड प्रांत के चौबीसों जिलों की विधि व्यवस्था, सड़क, पानी, बिजली, स्वास्थ्य, शिक्षा के हालात में निहित है। वहीं दूसरी ओर हेमंत सोरेन एक मजबूत और क्रियाशील मुख्यमंत्री के रूप में अपनी पहचान बनाने में सफल रहे हैं। वे संचिकाओं को लटकाते नहीं है बल्कि त्वरित निर्णय लेते हैं। राज्य की विधि व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए पुलिस के बड़े अधिकारियों को भी फटकार लगाने से नहीं हिचकते हैं।आकलन यह बताता है कि झारखंड की बुनियादी सुविधाओं में वृद्धि जरूर हुई है, लेकिन यह वृद्धि संतोषजनक नहीं है। आज झारखंड के बहुत सारे गांव ऐसे हैं, जहां बिजली अब तक पहुंच नहीं पाई है। जिन गांवों में बिजली पहुंची है। आपूर्ति की स्थिति बहुत बेहतर नहीं है । सड़कों का विस्तार झारखंड में जरूर हुआ है, लेकिन सुदूर गांव वासी अभी भी कच्ची सड़कों से आने को विवश हैं । प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों का विस्तार जरूर हुआ है, लेकिन पर्याप्त सुविधाओं के अभाव में अभी भी लोग निजी अस्पतालों में जाने को विवश है। कहने को सरकारी एम्बुलेंस बहुत हैं, लेकिन आज भी परिवार के कंधों,साइकिलों और ठेलों पर लाशें ढोई जा रही हैं। इन उठाते सवालों पर राज्य की सरकार को ध्यान देने की जरूरत है। अब सरकार के पास मात्र एक वर्ष का समय शेष बचा हुआ है। कुछ कर गुजरने के लिए एक वर्ष का समय भी कम नहीं होता है । यूपीए सरकार को उठते इन सवालों पर समाधान की दिशा में तीव्र गति से आगे बढ़ाने की जरूरत है।
भाजपा ने कहा था-यह सरकार ज़्यादा दिन नहीं चलेगी
2019 में जब देशभर में मोदी की लहर थी। तब झारखंड की जनता ने यूपीए के हाथों में सत्ता सौंपी थी। झारखंड की जनता चाहती कि केंद्र में मोदी की सरकार है और झारखंड में भी एनडीए की सरकार बनें, लेकिन झारखंड की जनता ने ऐसा नहीं किया बल्कि पर्याप्त बहुमत देखकर यूपीए पर विश्वास जताया। जब 29 दिसंबर, 2019 को हेमंत सोरेन की सरकार ने शपथ ली थी। तब विपक्ष ने यह चुटकी लेते हुए कहा था कि ‘यह सरकार ज्यादा दिनों तक चल नहीं पाएगी।’ कुछ राजनीतिक विश्लेषकों ने भी यह शंका ज़ाहिर की थी । लेकिन हेमंत सोरन की सरकार ने अपना चार साल का कार्यकाल पूरा किया । अब आज पांचवें वर्ष में प्रवेश भी कर गई है। हेमंत सोरेन का अपने मंत्रिमंडल सहयोगियों के साथ बहुत ही बेहतर तालमेल दिख रहा है । बीच में कुछ विषयों को लेकर मंत्रियों के बयान के आधार पर विवाद जरूर हुआ था, लेकिन हेमंत सोरेन ने इस आपसी विवाद को बहुत ही सूझबूझ के साथ हल कर दिया गया था। हेमंत सोरेन सदैव गतिशील रहने वाले नेता के रुप में अपनी पहचान बनाने में सफल रहे हैं । झारखंड को एक बेहतर राज्य बनाने के प्रति उनकी तत्परता देखी जा सकती है।
आपकी योजना, आपकी सरकार, आपके द्वार कार्यक्रम हुई सफल
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन आपकी योजना, आपकी सरकार, आपके द्वार कार्यक्रम के माध्यम से प्रांत के बेरोजगारों को नियुक्ति पत्र सहित विभिन्न योजनाओं का शिलान्यास और उद्घाटन बहुत ही जोरदार तरीके से करते चले जा रहे हैं। अब तक इस योजना से हजारों बेरोजगारों को नियुक्ति पत्र प्राप्त हो चुका है। झारखंड में पढ़े लिखे बेरोजगारों की संख्या में जो इजाफा हुआ है, उसकी तुलना में ये नियुक्तियां बहुत कम है। इस आपकी योजना, आपकी सरकार और आपके द्वार कार्यक्रम के माध्यम से झारखंड सरकार सीधे प्रांत के विभिन्न गांवों,अंचलों और जिला मुख्यालयों में सीधे तौर पर जनता से जुड़ रही हैं। जनता की मूलभूत समस्याओं से अवगत हो रही हैं। यह बड़ी बात है। अमूमन देखा यह जाता है कि प्रांत की सरकार अपने मुख्यालय से ही सारी योजनाओं की मॉनिटरिंग करती नजर आती हैं । लेकिन हेमंत सोरेन सरकार आपकी योजना, आपकी सरकार के माध्यम से झारखंड वासियों से रूबरू होने का जो कार्यक्रम चलाई है, इसकी सराहना तो होनी ही चाहिए।
जन समस्या को स्वयं मंत्री देख रहे हैं
हेमंत सोरेन आपकी योजना, आपकी सरकार, आपके द्वार कार्यक्रम के माध्यम से अपने तमाम मंत्रिमंडल के सहयोगियों को सक्रिय कर दिया है। राज्य के मंत्री गण सीधे आम जनता से मिल रहे हैं । उनकी समस्याओं से अवगत हो रहे हैं । कहां-कहा, क्या-क्या परेशानी है ? उन परेशानियों को देख रहे हैं। किस जिले, अनुमंडल अंचल और थाने में अधिकारीयों, थानेदारों और कर्मचारियों के आम जनता के साथ क्या व्यवहार हैं ? इसे जान रहे हैं। साथ ही बेलगाम अधिकारियों, थानेदारों और कर्मचारियों के खिलाफ त्वरित कार्रवाई भी हो रही है। इसका असर यह हो रहा है कि आम जनता का काम सरकारी विभागों में तुरंत हो जा रहा है । इसके बावजूद कई ऐसे जिले, अनुमंडल, अंचल और थाने ऐसे हैं, जहां के अधिकारी, थानेदार कर्मचारी आम जनता के कामों को लटकाए रहते हैं। ऐसे अधिकारियों, थानेदारों और कर्मचारियों के खिलाफ हेमंत सोरेन सरकार को सख्त कार्रवाई करने की जरूरत है।
पूर्ववर्ती सरकार पैसा डकार गई - हेमंत सोरेन
इस योजना के माध्यम से हेमंत सोरेन जिन बातों को प्रांत वासियों के बीच रख रहे हैं। उसकी भी चर्चा होनी चाहिए। चतरा की एक सभा में उन्होंने कहा कि ‘पूर्ववर्ती सरकार आपका पैसा डकार गई, जिस कारण आप गरीब होते चले गए। 20 साल हो गए,जब राज्य नया बना था, तब सर प्लस बजट हुआ करता था। मगर अब घाटे के बजट से कम चलाया जा रहा है।’ हेमंत सोरेन की इस बात में दम जरूर है । अब सवाल यह उठता है कि इसके लिए जवाबदेह कौन है ? 20 वर्षों तक सत्ता की कुर्सी पर कोई ना कोई मुख्यमंत्री जरूर रहें थें। इन बातों को कुरेदने से आरोप प्रत्यारोप के अलावा और कुछ भी नहीं मिलेगा्। राज्य का जो नुकसान होना था, हो चुका । अब आगे राज्य का ऐसा कोई नुकसान ना हो, जिससे राज्यवासी और गरीब होते चले जाएं। यह सबसे बड़ा सवाल है।