Monday, April 29, 2024
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R.S.S. के नेता SC-ST को लड़वा रहे हैं – विजय शंकर

झारखंड में दलित आदिवासी-मूलवासी समाज को RSS पोषित संगठन के नेताओं के द्वारा आपस में लड़ाई लगाने का कुत्सित प्रयास किया जा रहा है ।

राँची:

R.S.S. पोषित संगठन के नेताओं द्वारा एससी-एसटी के बीच लड़ाई लगाने का षड्यंत्र किया जा रहा है , झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन किसी के बहकावे या दबाव में ना आएँ और सभी समाज के संवैधानिक हितों की रक्षा करें।
उपरोक्त बातें आज आदिवासी मूलवासी जन अधिकार मंच के केंद्रीय उपाध्यक्ष सह हटिया विधानसभा क्षेत्र के पूर्व प्रत्याशी विजय शंकर नायक ने राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को ईमेल के द्वारा भेजे गए पत्र में कहा । इन्होंने आगे कहा कि झारखंड में दलित आदिवासी-मूलवासी समाज को RSS पोषित संगठन के नेताओं के द्वारा आपस में लड़ाई लगाने का कुत्सित प्रयास किया जा रहा है । अभी हाल ही में आदिवासी और कुर्मी समाज को लड़ाने का प्रयास किया गया था। जब इन्हें इस कार्य में सफलता नहीं मिली तो वह अब रांची में मेयर पद पर आरक्षण के सवाल पर SC-ST के बीच में लड़ाई लगाने के षड्यंत्र में लग गए हैं, जिसकी जितनी निंदा की जाए कम है ।
श्री नायक ने राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से अनुरोध किया कि वह किसी भी संगठन के बहकावे या राजनीतिक , सामाजिक दबाव में नहीं आने का कार्य करें और सभी समाज के लोगों के संवैधानिक हितों की रक्षा करें । ताकि हर वर्ग को सामाजिक न्याय मिले तथा उनके सफल नेतृत्व में सभी समाज के लोगों का चहुमुखी विकास हो सके । इन्होंने यह भी कहा कि ऐसा ना हो कि किसी के दबाव या गुमराह करने पर वह एक आंख में सुरमा लगाने और एक आंख में काजल लगाने की राजनीति का शिकार हो जाएँ ।
श्री नायक ने आगे कहा कि राजकाज देश के संविधान से चलता है ना की किसी संगठन के दबाव देने से चलता है। किसी वर्ग विशेष को खुश करने की राजनीति से ऊपर उठकर मुख्यमंत्री सभी वर्गों के संवैधानिक हितों एवं समतामूलक समाज, सामाजिक न्याय की राजनीति करें। जिसके परिणामस्वरूप उन्हें दूरगामी लाभ प्राप्त होंगे, अन्यथा एक वर्ग विशेष को खुश करने की राजनीति उन्हें ले डूबने का कार्य करेगा । इसलिए जल्द से जल्द रांची में मेयर पद के SC-ST आरक्षण विवाद को समाप्त करने की दिशा में ठोस पहल करने का कार्य कर जल्द से जल्द चुनाव कराए जाएं और सभी वर्गों को सामाजिक न्याय मिले इस पर वे गंभीरतापूर्वक सोचे ताकि उनके नेतृत्व में दलित आदिवासी मूलवासी समाज का भी राजनीतिक विकास हो सके

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