Thursday, May 9, 2024
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बिहार में शक्ति परीक्षण आज -चाचा भतीजा में शह मात का खेल

बिहार का घमाशान

बिहार – बिहार कि राजनीतिक खेल में जबसे नीतीश कुमार ने महागठबंधन का साथ छोड़कर भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) का दामन थाम लिया है, तभी से खेला शब्द चर्चा में है. नीतीश के नेतृत्व वाली महागठबंधन सरकार में डिप्टी सीएम रहे तेजस्वी यादव ने कहा था कि अभी खेला बाकी है. अब विधानसभा में शक्ति परीक्षण की घड़ी आ गई है. नीतीश सरकार को विधानसभा में आज बहुमत साबित करना है और इस खेल मे चाचा भतीजा आमने सामने हैं.

तेजी से बदल रही परिस्थिति

फ्लोर पर बहुमत परीक्षण से पहले की अंतिम रात को जिस तरह तेजी से परिस्थितियां बदलती नजर आईं, उससे यह सवाल और गहरा हो गया है कि क्या बिहार में अभी ‘खेला’ बाकी है.. दरअसल, ये सवाल इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि सत्ताधारी खेमे के कई विधायक आउट ऑफ कॉन्टैक्ट हो गए हैं. नीतीश कुमार ने राज्यपाल को सरकार गठन के लिए 128 विधायकों का समर्थन पत्र सौंपा था और अब खुद एनडीए ने ही कहा है कि हमारे पास 127 विधायकों का समर्थन है.

बिधायकों के मझधार में क्या मांझी पार कराएंगे नैया?

वैसे तो बिहार विधानसभा की स्ट्रेंथ 243 है. ऐसे में बहुमत के लिए नीतीश सरकार को 122 विधायकों का समर्थन चाहिए. एनडीए के पास मांझी की पार्टी के चार विधायकों समेत 128 विधायकों का समर्थन है. मांझी की पार्टी के चार विधायक हटा दें तो भी एक निर्दलीय सुमित सिंह समेत 124 विधायकों का समर्थन सरकार के पास है. लेकिन जेडीयू और बीजेपी विधायकों के आउट ऑफ कॉन्टैक्ट हो जाने से तस्वीर उलझ गई है.जेडीयू और बीजेपी, दोनों दलों के कुल चार विधायक आउट ऑफ कॉन्टैक्ट हैं… ये चार विधायक अगर विधानसभा की कार्यवाही में शामिल नहीं होते हैं तो सदन की स्ट्रेंथ 239 रह जाएगी. ऐसे में बहुमत के लिए 120 विधायकों के समर्थन की जरूरत होगी. अगर पुलिस हिरासत में लिए गए जेडीयू विधायक ने भी नीतीश सरकार के पक्ष में मतदान किया तो एनडीए का संख्याबल मांझी की पार्टी के बिना भी बहुमत के लिए जरूरी 120 के आंकड़े तक पहुंच जाएगा. 

ऐसे में ऐसा हो सकता है–

दूसरी तरफ स्थिति यह है कि अगर संजीव कुमार ने भी विधानसभा की कार्यवाही में हिस्सा नहीं लिया और आरजेडी के दोनों विधायक भी नदारद रहे साथ ही मांझी की पार्टी ने नीतीश सरकार को समर्थन नहीं दिया तो तस्वीर दूसरी हो सकती है. मान लें कि इस तरह की स्थिति बनती है तो विधानसभा की संख्या 236 रह जाएगी. ऐसे में बहुमत के लिए 119 विधायकों के समर्थन की जरूरत होगी और पांच विधायकों की गैरमौजूदगी और मांझी की पार्टी के विधायकों का समर्थन नहीं मिला तब भी एनडीए 119 के  जादुई आंकड़े तक पहुंच जाएगा. लेकिन जेडीयू-बीजेपी के एक भी विधायक ने क्रॉस वोटिंग कर दी तो सरकार का गणित गड़बड़ हो सकता है .

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