रांची। आनंद मार्ग के प्रवर्तक श्री श्री आनंदमूर्ति जी की सौंवीं जयंती बुधवार को मनाई गई। हेहल स्थित आनंद मार्ग गुरु निवास “मधु मंजूषा” में सादगीपूर्ण तरीके से आयोजित गुरूदेव श्रीश्री आनन्द मूर्ति की सौंवीं जयंती के अवसर पर दीप प्रज्ज्वलित कर शंखध्वनि के साथ “बाबा नाम केवलम्” कीर्तन कर धर्म चक्र किया गया। जन्मोत्सव में वेबिनार के माध्यम से 160 से भी अधिक देशों के साधकों ने भाग लिया। मौके पर 45 भाषाओं में आनन्द वाणी पाठ किया गया। इस अवसर पर स्वयंसेवकों और साधकों को सम्बोधित करते हुए श्रद्धेय पुरोधा प्रमुख आचार्य
विश्वदेवानन्द अवधूत ने कहा कि मनुष्य का सुदृढ़ संकल्प ही उसे महान बना देता है।
दृढ़ संकल्प के कारण एक अति साधारण मनुष्य भी असाधारण व्यक्तित्व प्राप्त करता है। इसलिए लक्ष्य तक पहुंचने के लिए यदि बज्र कठोर संकल्प हो तो महान बन सकते हैं। बज्र कठोर संकल्प के बिना जीवन में कुछ भी प्राप्त नहीं किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी से जो तबाही का दर्दनाक मंजर बना है, इससे निजात पाने लिए सरकारी गाइडलाइन का पालन करते हुए अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर रहें।
इस मौके पर भंडारा का आयोजन किया गया, जिसमें गरीब और जरूरतमंद लोग भी शामिल हुए।
इस अवसर पर आनंद मार्ग की उद्गम स्थली जमालपुर (बिहार) में महिला कल्याण एवं त्राण विभाग के मास्टर यूनिक आनंद प्रकृति का शिलान्यास किया गया। साथ ही अंग सरिता फार्म हाउस का कार्य भी शुरू हो गया। कार्यक्रम के दौरान न्यूयार्क सेक्टर के सेक्टोरियल सेक्रेटरी आचार्य अभिरामनंद अवधूत ने आनंद कल्पतरू सर्विस प्रोजेक्ट का शुभारंभ किया। इस अवसर पर साधकों ने नारायण सेवा करके जरूरतमंदों को लाभ पहुंचाया। उक्त जानकारी आचार्य सत्याश्रयानन्द अवधूत ने दी।
आनंद मार्ग के प्रवर्तक श्रीश्री आनंदमूर्ति की सौवीं जयंती के अवसर पर बोले आचार्य विश्वदेवानंद अवधूत
दृढ़संकल्प ही मनुष्य को महान बनाता है"
Sourceनवल किशोर सिंह