Monday, April 29, 2024
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झारखंड शेडयूल आॅफ रेट-2021 की विसंगतियां दूर करने को लेकर एफजेसीसीआई ने मुख्यमंत्री को लिखा पत्र


रांची। फेडरेशन ऑफ झारखंड चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज और बिल्डर एसोसिएशन की झारखंड चैप्टर की संयुक्त ऑनलाइन बैठक आज गुरुवार को हुई। बैठक में झारखंड में विभिन्न निर्माण परियोजनाओं के लिए पूर्व निर्धारित दरों में संशोधन के बाद नये एसओआर-2021 (शेडयूल ऑफ रेट) के लागू होने से राज्य सरकार के जल संसाधन, पेयजल एवं स्वच्छता,भवन निर्माण, पथ निर्माण सहित अन्य विभागों के संवेदकों के समक्ष उत्पन्न परेशानियों को लेकर चर्चा की गई।
बिल्डर्स एसोसियेशन ने नये एसओआर में निहित विसंगतियों से उत्पन्न कठिनाईयों से झारखंड चैंबर को अवगत कराते हुए इसमें सुधार के लिए हस्तक्षेप का आग्रह किया।
बिल्डर्स एसोसियेशन के सुझाव पर चैंबर अध्यक्ष प्रवीण जैन छाबड़ा ने मुख्यमंत्री एवं मुख्य सचिव, को पत्र प्रेषित करते हुए कहा कि राज्य सरकार को इस मामले की गंभीरता से समीक्षा करनी चाहिए। एसओआर में निर्धारित दरों पर पुनर्विचार/संशोधन के लिए शीघ्र एक टीम का गठन करना चाहिए। यह भी सुझाया गया कि तब तक आगामी और वर्तमान में चल रही परियोजनाओं के लिए जेएसओआर 2018/डीएसआर 2018 को ही लागू रखा जाय। चैंबर अध्यक्ष ने यह भी कहा कि एसओआर 2021 के निर्माण से पूर्व मुख्य अभियंता, भवन निर्माण विभाग, झारखंड सरकार द्वारा चैंबर से वस्तुओं की बाजार में प्रचलित दरों की जानकारी मांगी गई थी, जिसे ससमय उपलब्ध भी कराया गया, लेकिन चैंबर द्वारा उपलब्ध कराये गये दर एवं एसओआर 2021 में उल्लिखित दरों में काफी असमानता है। इस एसओआर के अनुरूप किसी भी ठेकेदार द्वारा निर्माण कार्य करा पाना काफी कठिन होगा। कार्य की गुणवत्ता में कमी आयेगी।
बिल्डर्स एसोसियेशन के चेयरमेन रोहित अग्रवाल ने कहा कि आश्चर्यजनक है कि पिछले तीन वर्षों में श्रम दरों में भारी वृद्धि हुई है। लेकिन इसे भी एसओआर में ध्यान में नहीं रखा गया है। बाजार में वस्तुओं की प्रचलित दर की गणना के आधार पर एसओआर 2018 की तुलना में एसओआर 2021 में वस्तुओं की दरों में लगभग 18-20 प्रतिशत तक की वृद्धि होनी चाहिए थी।
बैठक में संयुक्त रूप से कहा गया कि महामारी के इस वर्तमान दौर में जब डीजल, स्टील और सीमेंट जैसी वस्तुओं की दरें सर्वकालिक उच्चतम स्तर पर हैं, ऐसे में राज्य सरकार द्वारा जारी एसओआर 2021 वर्तमान परिप्रेक्ष्य में अनुपयोगी है, जिसपर पुनर्विचार की आवश्यकता है। विदित हो कि चैंबर द्वारा इस संबंध में सभी संबंधित विभागों के सचिव को भी पत्र प्रेषित किया गया है।

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