Thursday, May 2, 2024
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स्वास्थ्य उपकरणों पर जीएसटी को 12 प्रतिशत से घटाकर शून्य प्रतिशत की जाए : डॉ0 रामेश्वर उरांव

गैर भाजपा शासित राज्यों में स्वास्थ्य उपकरणों की खरीद में छूट दी जानी चाहिए, बाद में स्थिति ठीक होने पर इस मसले पर निर्णय लिया जा सकता है।

रांची: झारखंड के वित्तमंत्री डॉ0 रामेश्वर उरांव ने कहा है कि कोरोना संक्रमणकाल की विपरीत परिस्थितियों के मद्देनरजर केंद्र सरकार की ओर से एफआरबीएम एक्ट के तहत राजकोषीय घाटे को शर्त्तों के साथ पांच प्रतिशत के अंदर रखने की जो छूट दी गयी है, उसे निष्प्रभावी कर दिया जाए,डॉ0 उरांव केंद्रीय वित्तमंत्री डॉ0 निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में आयोजित वर्चुअल बैठक में झारखंड सरकार की ओर से अपनी बात रख रहे थे। उन्होंने कहा कि संक्रमणकाल में केंद्र सरकार की ओर से एफआरबीएम एक्ट के छूट जरूर प्रदान की है, लेकिन इस दौरान शर्तों के साथ छूट उचित नही है।
इस बैठक में डा रामेश्वर उराँव ने कई बिन्दुओं की ओर केंद्र सरकार का ध्यान आकृष्ट कराया गया। जिसमें कोरोना संक्रमणकाल में ऑक्सीजन कंस्ट्रेटर,पल्स आक्सीमीटर, समेत अन्य स्वास्थ्य उपकरणों पर जीएसटी को 12 प्रतिशत से घटाकर शून्य प्रतिशत करने का आग्रह किया गया। गैर भाजपा शासित राज्यों की ओर से जीएसटी काउंसिल की बैठक में यह बात रखी गयी कि अभी स्थिति खराब है, इसलिए इन स्वास्थ्य उपकरणों की खरीद में छूट दी जानी चाहिए, बाद में स्थिति ठीक होने पर इस मसले पर निर्णय लिया जा सकता है।
जीएसटी परिषद की बैठक में राज्य सरकार की ओर से वित्तीय वर्ष 2020-21 में जीएसटी क्षतिपूर्ति के रूप में बकाया राशि 1561 करोड़ रुपये का अविलंब भुगतान करने का आग्रह किया गया। डॉ0 रामेश्वर उरांव ने कहा है कि जीएसटी की व्यवस्था देश में लागू होने के समय कानून के माध्यम से पांच वर्षों तक राज्यों को क्षतिपूर्ति राशि देने का प्रावधान किया गया था। यह अवधि जून 2022 में समाप्त हो रही है। केंद्र सरकार की ओर से जीएसटी लागू करने के वक्त यह भरोसा दिलाया गया था इन वर्षां में वाणिज्यकर संग्रहण में स्थायित्व आ जाएगा, लेकिन करीब डेढ़ वर्षां के लगातार कोविड-19 महामारी के कारण स्थितियां और खराब हो गयी है, इसलिए केंद्र सरकार क्षतिपूर्ति के प्रावधान को पांच वर्षां तक बढ़ाते हुए जून 2017 इसे लागू करने की व्यवस्था करें। बैठक में उन्होंने यह भी कहा कि पिछली बार केंद्र सरकार की ओर से झारखंड को क्षतिपूर्ति की राशि कर्ज के रूप में उपलब्ध करायी गयी थी, लेकिन इस बार केंद्र सरकार से आग्रह है कि यह राशि कर्ज में ना दें, बल्कि अनुदान के रूप में उपलब्ध कराये।

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