सिन्दरी से रतन अग्रवाल की रिपोर्ट
झारखंड में लगातार बढ़ रहे कोरोना संक्रमण को देखते हुए राज्य सरकार ने 22 अप्रैल से स्वास्थ्य सुरक्षा सप्ताह (आंशिक लॉकडाउन) की घोषणा की थी.।धीरे-धीरे बढाकर 27 मई घोषणा कर दी गई है।आज लाखों गरीबों के समक्ष भोजन की समस्या उत्पन्न हो गयी है. अब जबकि स्थिति बिगड़ने लगी है, झारखंड मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन कल्याणकारी योजनाओं को जल्द से जल्द लागू करने के लिए वयवस्था पुर्ण रूप से की जाये ।
आज झारखंड में झारखंड मुक्ति मोर्चा की सरकार हैं एवं विपक्ष में भारतीय जनता पार्टी है ।दोनों ही गरीब लोगों के लिए आगे आयें एवं मदद करे । पहले चरण में कई योजनाएं शुरू की गयी थी।
अनिमा सिंह ने राज्य सरकार से आग्रह किया कि – बिगत बर्ष कोरोना काल में केन्द्र सरकार और राज्य सरकार प्रतिदिन कमा कर जीवन यापन करने वाले लोगों के लिए बहुत सारे कार्यक्रम के तहत वैसे लोगों को पहचान कर उन्हें राशन और खाने पीने का सामान मुहैया कराया गया था लेकिन इस बार उन लोगों के लिए राज्य सरकार ने अभी तक कोई पहल नहीं कर रही हैं। राज्य सरकार और जिला प्रशासन तथा पुर्व पार्षद से अनुरोध करुंगी कि वार्ड नंबर 53/54/55 में असहाय लोगों को जितना हो सके मदद पहुंचाने का प्रयास करें।
सफल इण्डिया सामाजिक एवं शैक्षणिक संस्था सचिव प्रदीप महतो ने कहा कि कोरोना के दूसरी लहर में भी सरकार को वो सारी व्यवस्था करना चाहिये, जो प्रथम लहर में किया गया था। क्योंकि दूसरी लहर में गरीबो का बहुत बुरा हाल हो गया है।
युवा नेता विक्की सिंह ने कहा कि – राज्य सरकार गरीबों के के लिए पहल कदम उठाएं ताकि लोग भूखा ना सो सके। जो भी पैसा रखे थे मजदूर भाई इस लॉकडॉउन में घर की जरूरत को पूरा करते खत्म हो गया है अब एक ही आशारा है वो राज्य सरकार का।
भाजपा महिला मोर्चा की नगर महामंत्री सावित्री पाण्डे ने बताया की पिछले साल कोरोना काल में केंद्र सरकार और राज्य सरकार के तरफ़ से हालत को देखते हुए ग़रीबों के लिए कई कार्य किए गए थे।लेकिन इस बार की परिस्थिति पिछले बार से भी ज़्यादा ख़राब है।पता नही क्यूँ राज्य सरकार कान में तेल डालकर सोई हुई है? क्या उनकी कोई ज़िम्मेवारी नही है? वार्ड नम्बर 52,53,54,55 या यूँ कहें तो पूरी सिंदरी मिस्टर लाक्डाउन के चलते परेशानी का सामना करना पद रहा है।
कोरोना संक्रमण के पहले चरण (2020) में केन्द्र सरकार की ओर से तीन माह राशन, गैस,एवं जन-धन खाते में जमा किये गये । झारखंड के गरीबों को राहत मिली थी, क्योंकि सरकार द्वारा समय पर कल्याणकारी योजनाएं शुरू की गयी थी । इनमें मुख्यमंत्री दाल भात योजना, दीदी किचन योजना, कम्युनिटी योजना के साथ हाईवे पर प्रत्येक 20 किलोमीटर पर कम्युनिटी किचन खोला जाना शामिल था. इसके अलावा राज्य भर के करीब 450 थानों में गरीबों को मुफ्त भोजन कराया जा रहा था. इस काम के लिए पुलिस की बहुत तारीफ हुई थी और छवि भी बदली थी। साथ ही साथ राजनीति पार्टियों- समाजसेवी- सांसद – विधायक पार्सद -मुखिया चैंबर ऑफ़ कामरस वयवसायी- राज्य- जिला एवं शहर से गाँव तक सभी सहयोग कर रहे थे । कोई भी भूख से न मरे।आज स्थिति बदल गई हैं एक दूसरे की सहयोग करने के लिए पीछे हट जाते हैं लेकिन कुछ संस्था आज भी गरीब की मदद करने के लिए आ रहे हैं ।वह दवा भोजन की वयवस्था भी कर रहे हैं । कुछ आक्सीजन सिलेन्डर की वयवस्था कर रहे हैं ।आज गरीब की मदद करने के लिए कोई भी सामाजिक संस्था हर्ल महाप्रबंधक एसीसी सीमेंट कारखाना बीआईटी एवं सेल आसपास वयवसायी चैंबर ऑफ़ कामर्स सरकारी संगठन आगे नहीं आ रहे हैं ।