Thursday, May 2, 2024
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100वीं जन्मशताब्दी जननायक कर्पूरी ठाकुर काजयंती समारोह कामगार बुनकर नगरी मानपुर पटवाटोली में हर्षोल्लास पूर्वक मनाया

गया । बिहार प्रदेश बुनकर कल्याण संघ के तत्वाधान में जननायक कर्पूरी ठाकुर जी की 100वीं जन्मशताब्दी जयंती समारोह कामगार बुनकर नगरी मानपुर पटवाटोली में हर्षोल्लास पूर्वक मनाया गया। सर्वप्रथम उनके चित्र पर माल्यार्पण और पुष्प अर्पित कर कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। इस अवसर पर गोपाल प्रसाद पटवा अध्यक्ष बिहार प्रदेश बुनकर कल्याण संघ ने जननायक को सादगी का प्रतिक , उपेक्षितो के रहनुमा, इमानदारी की मिसाल,‌ गुदड़ी के लाल, सिद्धांतवादी और समाजवादी विचारधारा के प्रणेता, महान स्वतंत्रता सेनानी, आजीवन शोषितों, पीड़ितों वंचितों के हक के लिए सड़क से सदन तक संघर्ष करने आइकॉन ऑफ़ बिहार बताया। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जननायक कर्पूरी ठाकुर जी के जन्मशताब्दी वर्ष पर कोटि-कोटि नमन करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा। जननायक कर्पूरी ठाकुर के विचारधारा आज भी प्रासंगिक है हमें उनके विचारों से प्रेरणा लेते हुए अति पिछड़ा पिछड़ा शोषित समाज को मुख्य धारा में लाना है। उनके शताब्दी वर्ष में जननायक को मरणोपरांत भारत रत्न सम्मान प्रदान करने के लिए अति पिछड़ों के नायक, जनप्रिय नेता माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को धन्यवाद देते हुए आभार प्रकट किया। उन्होंने बिहारी अस्मिता को जो मान सम्मान दिया है उसके लिए बिहार वासियों की ओर से उनका कोटि-कोटि आभार प्रकट करते हुए 36 वर्षों के चले आ रहे हैं भारतरत्न देने की सर्वमान्य मांग को सम्मान दिया है। इसके लिए प्रधानमंत्री बधाई के पात्र हैं।
दशकों पुरानी मांग श्रद्धेय जननायक कर्पूरी ठाकुर को मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित करने हेतु भारत सरकार के द्वारा किया गया ऐलान के लिए कोटि कोटि धन्यवाद। जय कर्पूरी, कर्पूरी ठाकुर अमर रहें। भाजपा बुनकर प्रकोष्ठ के नेता दुखन पटवा ने कहा कि जय कर्पूरी, कर्पूरी ठाकुर अमर रहें। देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से लेकर प्रदेश के मुख्यमंत्री पीएम ने जहां कर्पूरी ठाकुर को सामाजिक न्याय का पथप्रदर्शक बताया है। वहीं मुख्यमंत्री ने इस फैसले पर खुशी जाहिर की है। जननायक बिहार के दो बार मुख्यमंत्री बने। जनप्रिय नेता कर्पूरी ठाकुर को जननायक कहकर संबोधित किया जाता है।
उनका जन्म समस्तीपुर जिले के पितौंझिया गांव में नाई समाज में 24 जनवरी 1924 को हुआ था। वह साल 1952 में पहली विधायक चुने जाने के बाद आजीवन वह किसी न किसी सदन के सदस्य रहे। 1970-79 के बीच बिहार के दो-दो बार मुख्यमंत्री और बाद में बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष भी रहे। अपने जीवनकाल में कर्पूरी ठाकुर के इतने अहम पदों पर रहने बावजूद उनके पास न तो घर था और ना ही कोई गाड़ी। यहां तक कि उनके पास अपनी पैतृक जमीन भी नहीं थे। राजनीति में ईमानदारी, सज्जनता एवं लोकप्रियता ने कर्पूरी को जननायक बना दिया था। कर्पूरी का निधन 64 वर्ष की उम्र में 17 फरवरी 1988 को हुआ था। कर्पूरी ने आजीवन कांग्रेस के विरुद्ध राजनीति की थी। आपातकाल के दौरान इंदिरा गांधी उन्हें गिरफ्तार करने में कामयाब नहीं हो पाई। कर्पूरी सर्वोच्च पद पर पिछड़े समाज के व्यक्ति को देखना चाहते थे।
कर्पूरी राजनीति में परिवारवाद के प्रबल विरोधी थे। ठाकुन ने जीवित रहने तक उन्होंने अपने परिवार के किसी सदस्य को राजनीति में नहीं आने दिया।
केन्द्र सरकार का यह फैसला कई मायनों में अहम है। कारण कि यह वर्ष कर्पूरी ठाकुर जी का जन्मशताब्दी वर्ष है। जनशताब्दी जयंती समारोह में गोपाल प्रसाद पटवा अध्यक्ष बुनकर संघ, बुनकर नेता दुखन पटवा, अनील कुमार, चमारी ठाकुर, चन्दन ठाकुर , दीपक स्वर्णकार, राजेश कुमार, संजय कुमा‌र, अजय कुमार सहित बड़ी संख्या में पिछड़ा -अतिपिछड़ा वर्ग के कामगार बुनकर शामिल रहे।

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