रांची के सदर अस्पताल के डॉक्टरों की लापरवाही के कारण एक बच्चे की जान चली गई। दरअसल, एक बच्चे का पैर टूट जाने के कारण रांची के सदर अस्पताल में लेकर उसके परिजन आए थे। आपको बता दें की अभी हाल ही में करोड़ों रुपये की लागत से सदर अस्पताल को अत्याधुनिक और उत्कृष्ट सुविधायुक्त अस्पताल के रूप में परिवर्तित किया गया है। फिर भी इस अस्पताल में बच्चे को भर्ती नहीं किया गया। रांची सदर अस्पताल में आर्थो विभाग के डॉक्टर एस अली ने परिजनों से कहा कि बच्चे का इलाज यहाँ ठीक से नहीं हो पाएगा और यहां पर समय लग जाएगा। उन्होंने परिजनों को बच्चे का इलाज प्राइवेट हॉस्पिटल में कराने की बात कही। परिजनों ने डॉक्टर के कहने पर बच्चे को प्राइवेट हॉस्पिटल में एडमिट कराया। वहां डॉक्टरों ने बच्चे का ऑपरेशन करने के लिए उसे एनेस्थीसिया दे दी। एनेस्थीसिया के ओवरडोज के कारण जब बच्चा होश में नहीं आया तो वहां से फिर उसे रात के 2:00 बजे रिम्स रेफर कर दिया गया। रिम्स जाने के बाद मालूम चला की रिम्स में मशीन नहीं है। प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में भी इलाज में विलंब होने के कारण बच्चे की मौत हो गई। सरकारी हॉस्पिटल और प्राइवेट हॉस्पिटल की मिलीभगत से एक बच्चे की एनेस्थीसिया के ओवरडोज के कारण मौत हो गई।
इस घटना से पीड़ित परिजन काफी आक्रोशित है। वो सरकारी अस्पताल के डॉक्टरों पर अपने बेटे की हत्या करने का आरोप लगा रहे हैं। बता दें कि रांची का रिम्स अस्पताल अक्सर अपनी लापरवाही के चलते सुर्खियों में रहता है। हाल ही में रिम्स में 28 लोगों की मौत हो गई थी, जिस पर हाईकोर्ट ने उसे फटकार लगाई थी।