आलोक पुराणिक:
इससे अच्छा था कि स्कूल चलते रहते, गरमी की छुट्टियां ना होतीं। सिर्फ स्कूल जाना पड़ता था। अब तो आफत हो गयी है- कक्षा पांचोन्मुख चुन्नूजी बता रहे हैं।
सुबह पापा क्रिकेट एकेडमी में भेजते हैं। दोपहर को क्रियेटिव राइटिंग की वर्कशाप। दोपहर में ही ड्राइंग की क्लास। शाम को भरतनाट्यम की क्लास। रात को पापा जिम भेजते हैं बाडी बनाओ। देर रात में फिर होलीडे होमवर्क फिर……-मुन्नूजी अपनी बता रहे हैं।
अब के चुन्नूओं मुन्नूओं की बात में दम है। पहले छुट्टी होती थी, तो बालक-बच्चे फ्री हो जाते थे। अब बच्चे दुआ करते हैं कि गर्मी की छुट्टी ना हो।
बता तेरी मम्मी तुझे भरतनाट्यम क्लास में क्यों भेजती हैं-चुन्नू पूछ रहा है।
क्योंकि मेरा एक कजिन भरतनाट्यम का एक कंपटीशन जीत चुका है। उस कजिन के चक्कर में आफत हो गयी है-मुन्नूजी बता रहे हैं।
ये कजिन भी विकट कलेश हैं। मरवा देते हैं। मेरा एक कजिन चार्टर्ड एकाउंटेंट हो गया था। फिर तो कुनबे की तमाम माँओं ने कई चुन्नुओं को चार्टर्ड एकाउंटेंट बना डाला। बना क्या डाला जी बचपन और जवानी तबाह कर डाली। जो उम्र सौंदर्य बोध जाग्रत करने की थी, उसमें खाते बनाना सीखते रहे। कजिन थोड़ा पढ़ाकू टाइप मिल जाये, तो जिंदगी तबाह समझो।
सबसे खुश वो बच्चे हैं, जिनके कजिन होते ही नहीं। और होते हैं तो सीए, आईएएस, इंजीनियर डाक्टर नहीं होते।
खैरजी बात तो चुन्नू-मुन्नू की हो रही थी।
अबे ये तेरे पापा तुझे बाडी बिल्डिंग के लिए क्यों भेजते हैं-चुन्नू मुन्नू से पूछ रहा है।
क्योंकि उन्हे सलमान खान बहुत पसंद है-मुन्नू बता रहा है।
फिर तू ड्राइंग बनाना क्यों सीखता है-मुन्नू आगे पूछ रहा है।
क्योंकि नानाजी मकबूल फिदा हुसैन के फैन हैं-चुन्नू बता रहा है।
बहुत टेंशनात्मक सीन है। बच्चे को एक साथ मकबूल फिदा हुसैन, सलमान खान, सचिन तेंदुलकर, जावेद अख्तर सब बनाने की तैयारी चल रही है।
कहीं से हुसैन कम बन पाता है, तो नानाजी ठोंकते हैं। सलमान खानत्व में कहीं कमी हो, तो पापाजी हड़काते हैं। हाय हाय।
आज मैंने शहजादा सलीम की कहानी पढ़ी। जिस उम्र में हम इतना काम करते हैं, सलीम मियां अनारकली के साथ कबूतर उड़ाते थे। यार वो टाइम ठीक था। थोड़ा लेट पैदा हुए-चुन्नू –मुन्नू को बता रहा है।
मैं भी सहमत हूं अब के बच्चे थोड़ा लेट पैदा हुए हैं। पहले हुए होते, तो सिर्फ कबूतरबाजी करते हुए ही सल्तनत संभाल लेते।
हाय, इतना लेट क्यों पैदा हुए।