प्रख्यात साहित्यकार, कथाकार, कवि रतन वर्मा को वर्ष 2022 हेतु उत्कृष्ट कथा लेखन के लिए पटना में ‘बनारसी प्रसाद भोजपुरी सम्मान’ से अलंकृत किए जाने पर हजारीबाग की साहित्यिक संस्था ‘परिवेश’ के तत्वाधान में रामनगर रोड स्थित ‘केसरी निवास’ में आयोजित एक समारोह में उनका शानदार अभिनंदन किया गया। अभिनंदन समारोह की अध्यक्षता आलोचक डॉ बलदेव पांडेय एवं संचालन ‘परिवेश’ के संयोजक विजय केसरी ने किया। इस अवसर ‘परिवेश’ के साहित्यकारों ने संयुक्त रूप से रतन वर्मा को ‘अंग वस्त्र’ ‘स्मृति चिन्ह’ पुष्प गुच्छ प्रदान कर सम्मानित किया । इस पुरस्कार से पूर्व उन्हें ‘गुलाबिया’ कहानी के लिए ‘कृष्ण प्रताप स्मृति पुरस्कार’ का प्रथम पुरस्कार, ‘नाट्यभूमि सम्मान’, ‘सबसे कमजोर जात’ कहानी के लिए आनंद डाइजेस्ट, आंचलिक कथा प्रतियोगिता में ‘सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार’, ‘नेटुआ नाटक’, साहित्य कला परिषद, दिल्ली द्वारा दशक के सर्वश्रेष्ठ छः नाटकों में शामिल, ‘अवसर’ सम्मान” ‘राधा कृष्ण पुरस्कार’, ‘ विशिष्ट कथाकार पुरस्कार’, ‘त्रिवेणी कांत ठाकुर साहित्य सम्मान’ से अलंकृत किया गया।
अध्यक्षता करते हुए आलोचक डॉ बलदेव पांडेय ने कहा कि रतन वर्मा के कथा साहित्य में मिट्टी की गंध और जीवन की धड़कन समाहित है। ये उद्दाम जिजीविषा के कथाकार है । इनकी हर कहानियों में एक दर्शन हैं, जो सामाजिक संदेशों से भरी होती हैं।
कथाकार रतन वर्मा ने कहा कि यह सम्मान तो एक औपचारिकता है। आप सभी मुझे सम्मान करते हैं। मैं भी आप सबों को सम्मान करता हूं । एक रचनाकार को अपने रचना कर्म के प्रति पूरी निष्ठा के साथ निरंतर गतिशील रहने की जरूरत है। प्रत्येक रचनाकार अपनी नई रचना के साथ नवोदित होता है।
परिवेश के संयोजक विजय केसरी ने कहा कि नवोदित रचनाकारों के लिए रतन वर्मा हिंदी साहित्य के एक संस्थान के रूप में उभर कर सामने आए हैं। रतन वर्मा ने हिंदी साहित्य के क्षेत्र में जो काम किया है, अतुलनीय है। अब तक तो इन्हें ‘साहित्य अकादमी’ पुरस्कार मिल जाना चाहिए था।
कवयित्री मोना बग्गा ने कहा कि रतन वर्मा की हर एक रचना अपने आप में अद्वितीय है। यही इन्हें औरों से अलग करती हैं। ये हिंदी साहित्य के एक धरोहर बन चुके हैं। यह हमारा परम सौभाग्य है कि इनका मार्गदर्शन मिलता रहता है।
रंगकर्मी,अभिनेता, साहित्यकार मनोज सिन्हा ने कहा कि रतन वर्मा एक कुशल कथाकार के साथ नाटक मंचन के भी जानकार हैं। उनसे मुझे अभिनय,नाटक मंचन और साहित्य के क्षेत्र में काफी कुछ सीखने को मिला है।
कथाकार डॉ सुबोध सिंह ‘शिवगीत’ ने कहा कि रतन वर्मा का रचना संसार बहुत ही विस्तृत है। यह सम्मान इनके उत्कृष्ट लेखन का सम्मान है।
कथाकार डॉ विकास कुमार ने कहा कि पटना में जब रतन वर्मा जी को ‘बनारसी प्रसाद भोजपुरी पुरस्कार’ प्रदान किया जा रहा था, मैं वहीं पर था। आयोजक मंडल वर्मा जी को सम्मानित कर गौरान्वित महसूस कर रहे थे।
कथाकार भैया विवेक प्रियदर्शी ने कहा कि रतन वर्मा का व्यक्तित्व और कृतित्व दोनों बेमिसाल है। ऐसे महान कथाकार से कथा लेखन के क्षेत्र में मार्गदर्शन मिलना, बड़ी बात है।
साहित्यकार, कवि अमित मिश्रा ने कहा कि रतन वर्मा हिंदी साहित्य के क्षेत्र में एक मजबूत हस्ताक्षर के रूप में अपनी पहचान बनाने में सफल रहे हैं।
साहित्यकार, कवि टी.पी. पोद्दार ने कहा कि मैं बीते 42 वर्षों से रतन वर्मा को रचना रत देख रहा हूं, आज भी उसी तरह रचना रत हैं। यह अपने आप में बड़ी बात है।
साहित्यकार, कवि अरविंद झा ने कहा कि ‘बनारसी प्रसाद भोजपुरी सम्मान’ से पूर्व इन्हें राष्ट्रीय स्तर के कई सम्मान प्राप्त हुए । मेरी दृष्टि में इन्होंने जो काम किया है, ‘साहित्य अकादेमी’ के हकदार हैं।
आयोजित कार्यक्रम में अभिषेक केसरी,स्वीटी केसरी, मनोज केसरी, मीना देवी,पारुल सिन्हा ,मुकेश कुमार,अर्जुन प्रसाद आदि सम्मिलित हुए। धन्यवाद ज्ञापन डॉ विकास कुमार ने किया।
प्रत्येक रचनाकार अपनी नई रचना के साथ नवोदित होता है – रतन वर्मा
'बनारसी प्रसाद भोजपुरी सम्मान' दिए जाने पर रतन वर्मा ने अभिनंदन समारोह में अपने विचार रखे