Tuesday, May 7, 2024
HomeJHARKHANDसूबे के चार साहित्यकार 'झारखंड गौरव सम्मान' से अलंकृत

सूबे के चार साहित्यकार ‘झारखंड गौरव सम्मान’ से अलंकृत

(31 मार्च, को चार साहित्यकारों को अलंकृत किए जाने पर विशेष)

झारखंड के चार साहित्यकारों को उनकी कृतियों के लिए झारखंड गौरव सम्मान” से अलंकृत किया। इसकी घोषणा झारखंड की एक अंतर्राष्ट्रीय साहित्यिक संस्था साहित्योदय ने की है। इस पुरस्कार से सम्मानित होने वाले साहित्यकारों में डॉ मयंक मुरारी, डॉ कुमार संजय, पंकज मित्र और रश्मि शर्मा शामिल हैं। 31 मार्च को साहित्योदय द्वारा रांची स्थित प्रभात प्रकाशन के सभागार में आयोजित एक समारोह में चारों साहित्यकारों को’ ‘झारखंड गौरव सम्मान’ प्रदान कर अलंकृत किया गया। साहित्यिक संस्था साहित्योदय की इस घोषणा से झारखंड के साहित्यकारों, फिल्म और टेली फिल्म से जुड़े कलाकारों, रंगमंच से जुड़े नाटककारों में बहुत ही हर्ष है। ‘झारखंड गौरव सम्मान’ की अपनी एक विशिष्ट पहचान है। साहित्योदय ने इस पुरस्कार की शुरुआत 2018 से शुरू की थी। इस संस्था द्वारा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हर वर्ष साहित्य, कला फिल्म व टेली फिल्म, रंगमंच, गायन आदि से जुड़े सक्रिय विशिष्ट जनों को प्रदान किया जाता है।
इस वर्ष यह ‘झारखंड गौरव सम्मान’ रांची के लब्ध प्रतिष्ठित साहित्यकार डॉ मयंक मुरारी को लगातार सृजनात्मक लेखन के लिए प्रदान किया गया। रांची के कथाकार पंकज मित्र को उत्कृष्ट कथा लेखन के लिए यह पुरस्कार प्रदान किया गया। नाटक और टेली फिल्म निर्माण के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए डॉ कुमार संजय को यह पुरस्कार प्रदान किया गया। काव्य लेखन के क्षेत्र में अपनी एक अलग पहचान बनाने में सफल रहीं रश्मि शर्मा को यह पुरस्कार प्रदान किया गया।
झारखंड की धरती प्रारंभ से ही साहित्य की उर्वरा भूमि रही है। झारखंड की स्थानीय भाषाएं भी बहुत उत्कृष्ट हैं। खोरठा, नागपुरी सहित विविध झारखंडी भाषाओं में साहित्य सृजन के काम बहुत ही तेज गति से हो रहे हैं । झारखंड की स्थानीय भाषाओं पर रचित कृतियां राष्ट्रीय फलक पर अपनी विशिष्ट पहचान बनाने में सफल रही हैं। झारखंड में हिंदी में काफी कुछ काम हो रहे हैं । झारखंड के सैकड़ो की संख्या में हिंदी के साहित्यकार राष्ट्रीय – अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाने में सफल रहे हैं। रांची के प्रख्यात साहित्यकार राधाकृष्ण ने कथा और उपन्यास लेखन कर राष्ट्रीय स्तर पर परचम लहरा दिया था। आज भी उनकी कृतियां बहुत ही चाव के साथ पढ़ी जाती है। झारखंड के प्रख्यात साहित्यकार भारत यायावर ने राधाकृष्ण रचनावाली प्रकाशन के लिए काफी कुछ काम भी किया था। लेकिन उनके अकस्मात निधन से यह कार्य अधूरा पड़ा रह गया है। उम्मीद है कि अंतरराष्ट्रीय संस्था साहित्योदय इस रूके कम को गति प्रदान करेगा।
फादर कामिल बुल्के ने झारखंड की ही धरती पर संत कवि तुलसीदास कृत रामचरितमानस पर एक बड़ा काम किया था ।उन्होंने भगवान राम को एक वैश्विक देवता के रूप में स्थापित करने का एक सफल साहित्यिक प्रयास भी किया था। उन्होंने भारत के विभिन्न प्रतों सहित विश्व के कई देशों का भ्रमण कर प्रचलित राम कथा की खोज की थी। हजारीबाग के प्रख्यात साहित्यकार,कथाकार, कवि रतन वर्मा द्वारा लिखित ‘नेटुआ’ कहानी पर राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई नाटकों के मंचन हो चुके हैं । अर्थात झारखंड के कण कण में कवि और साहित्य विराजमान हैं।
साहित्योदय जैसी अंतरराष्ट्रीय साहित्यिक संस्था का झारखंड की भूमि पर गठित होना एक गौरव की बात है। इस संस्था के गठन होने से झारखंड के साहित्यकारों को एक नई ऊर्जा मिली है। साहित्योदय अपने स्थापना काल से ही विश्व के कई लब्ध प्रतिष्ठित साहित्यकारों, कलाकारों, संस्कृति कर्मियों, शिक्षाविदों सहित समाज सेवा से जुड़े कई गणमान्य लोगों को संस्था से जोड़ने में सफल रहा है।
डॉ मयंक मुरारी झारखंड के जाने-माने साहित्यकार, कवि, पत्रकार, शिक्षाविद और समाजसेवी है। मंयक मुरारी भारतीय समाज तथा जीवन, इतिहास, परम्परा और दर्शन विषय पर लगातार लिखते रहे रहे हैं। वे बीते तीस सालों से लगातार अखबारों और विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में के लिए लिख रहे हैं। उनका अब तक विभिन्न अख़बारों एवं पत्रिकाओं में छः सौ से अधिक आलेख प्रकाशित हो चुके हैं। उनकी एक दर्जन के लगभग किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं। जिनमें मानववाद एवं राजव्यवस्था, राजनीति एवं प्रशासन, भारत-एक सनातन राष्ट्र, माई-एक जीवनी, झारखण्ड के अनजाने खेल, झारखण्ड की लोक कथाएँ, लोक जीवन (पहचान, परम्परा और प्रतिमान), यात्रा बीच ठहरे क़दम (काव्य-संग्रह), ओ जीवन के शाश्वत साथी, पुरुषोत्तम की पदयात्रा, अच्छाई की खोज, भगवा ध्वज, जंबूद्वीपे-भरतखण्डे आदि शामिल हैं। डॉ मयंक मुरारी के प्रकाशित आलेख और किताबें समाज को नई दृष्टि में प्रदान करती हैं।
झारखंड के साहित्‍य जगत में अपनी विशिष्ठ पहचान स्‍थाप‍ित कर चुकीं कवियत्री सह कहानीकार रश्मि शर्मा का अब तक का संपूर्ण जीवन हिंदी साहित्य को समर्पित रहा है। उनकी प्रकाशित कृतियों को देखने से प्रतीत होता है कि रश्मि शर्मा मूलतः एक कवित्री हैं। हिंदी कविता सृजन पर उनकी अच्छी पकड़ है । खुले छंद और मुक्त छंद की दोनों तरह की कविताओं पर उनकी गहरी पकड़ है। साथ ही उनके अंदर एक कथाकार भी निवास करता है। कथा लेखन के क्षेत्र में में भी काफी लोकप्रियता हासिल की है। उनका प्रथम कहानी संग्रह “बंद कोठरी का दरवाजा का” लोकार्पण के साथ ही यह पुस्तक चर्चा में आ गई थी । तीन कविता-संग्रहों के प्रकाशन के बाद बारह कहानियों के इस संग्रह में भी रश्मि की बेबाक शैली झलकती है। उनकी की कहानियों की विविधता और उन विविधताओं में उनका कुशल शब्द-संचरणा पाठकों को अत्यंत चकित करता है। साथ ही उनकी कहानियों की नायिकाएं बेशक किसी आंदोलन का झंडा लिए नहीं फिरतीं, लेकिन उनका मौन प्रतिरोध भी अपने आप में एक जबरदस्त आँच देता है। यह मौन न केवल विरोध, अपितु एक के परिवर्तन का वाहक भी है। यह शैली रश्मि शर्मा को अन्य कथाकारों से विशिष्ट बनाती है। रश्मि शर्मा को सूरज प्रकाश मारवाह साहित्य रत्न सम्मान 2020 और शैलप्रिया स्मृति सम्मान-2021 भी प्राप्त हो चुका है। रश्मि शर्मा की कविताएं और कहानियां नियमित रूप से देश के विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में छपती रहती हैं । मेरी दृष्टि में रश्मि शर्मा के अब तक के साहित्यिक योगदान के लिए ही साहित्योदय ने ‘झारखंड गौरव सम्मान’ के लिए नामांकित किया है।
पंकज मित्र हमारे समय के ऐसे कथाकार हैं, जिन्होंने बहुत ही कम समय में अच्छी-खासी पहचान अर्जित कर ली है। उनका लेखन हमेशा चर्चा में रहता है। पंकज मित्र आकाशवाणी से जुड़े हैं। रंगमंच से भी जुड़े हैं। मैंने कई बार उन्हें रंगमंच पर शानदार प्रस्तुति करते हुए देखा है। एक नाटककार के रूप में भी अपनी पहचान बनाने में सफल रहे हैं । ‘हुड़कलुल्लु’ कहानी जो हजारीबाग के कुछ लोगों के इर्द-गिर्द घूमती हैं। इस कहानी में मुझे भी एक पात्र बनाकर प्रस्तुत किया । जब यह कहानी मैंने पढ़ी, तब मैं उनका कायल हो गया था। पंकज मित्र की कहानी लेखन की शैली सबसे अलग है। पंकज मित्र अपनी कहानियों में बड़ी सी बड़ी बात व आलोचना को व्यंग्य शैली में इस तरह पिरोकर प्रस्तुत कर देते हैं कि बातें गुदगुदा भी जाती हैं, साथ ही संघर्ष के लिए उठ खड़े होने के लिए ललकार भी जाती हैं। उनकी कहानियां नियमित देश के विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में छपती रहती हैं। साथ ही उनकी कहानियां चर्चा में भी रहती हैं। उनकी चर्चित कहानी संग्रहों में ‘क्विज मास्टर’, ‘जिद्दी रेडियो’, ‘अच्छा आदमी’, आदि हैं। पंकज मित्र को इंडिया टुडे का ‘युवा लेखक पुरस्कार’, भारतीय भाषा परिषद के ‘युवा सम्मान’, ‘वनमाली कथा सम्मान’ और ‘कथाक्रम सम्मान’ सहित कई पुरस्कारों से अलंकृत किया जा चुका है। यह हमारा सौभाग्य है कि उनके साथ कई साहित्यिक गोष्ठियों में भाग लेने का अवसर प्राप्त हुआ। साहित्यिक संस्था साहित्योदय पंकज मित्र को उनके साहित्यिक अवदान के लिए झारखंड गौरव सम्मान हेतु नामांकित कर बेहतर सूझबूझ का परिचय दिया है।
डॉ कुमार संजय झारखंड के एक लोकप्रिय साहित्यकार और नाटककार है। एक सफल नाटक निर्देशक के रूप में अपनी पहचान बनाने में सफल रहे हैं। कुमार संजय ने कई चर्चित टेली फिल्मों का निर्माण किया है। उन्होंने झारखंड के स्थानीय कलाकारों को लेकर कई टेली फिल्मों का निर्माण भी किया है। कुमार संजय की दो नाट्य पुस्तकें ‘हर एक फ्रेंड जरूरी होता हैं’ और ‘किडनैपि’ पर सैकड़ो मंचों से अब तक नाट्य मंचन हो चुके हैं। कुमार संजय छोटे नाटकों के लिए विशेष रूप से जाने जाते हैं। पांच से दस मिनट के नाटकों में कुमार संजय एक बड़ी बात कह जाते हैं। कुमार संजय ने अपनी कृतियों से झारखंड को गौरवान्वित किया है। साहित्योदय डॉ कुमार संजय को ‘झारखंड गौरव सम्मान’ के लिए नामांकित के एक श्रेष्ठ कार्य क्या है।

Vijay Keshari
Vijay Kesharihttp://www.deshpatra.com
हज़ारीबाग़ के निवासी विजय केसरी की पहचान एक प्रतिष्ठित कथाकार / स्तंभकार के रूप में है। समाजसेवा के साथ साथ साहित्यिक योगदान और अपनी समीक्षात्मक पत्रकारिता के लिए भी जाने जाते हैं।
RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments