विगत चार वर्षों के कार्यकाल में भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने में हेमंत सोरेन की सरकार सफल रही है। इस दौरान भ्रष्टाचारियों की नकेल कसने में झारखंड सरकार द्वारा सख्त कदम उठाए गए, जिसका सकारात्मक परिणाम सामने आया। काफी हद तक भ्रष्टाचार पर काबू पाया जा सका है।
भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के प्रति मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की प्रतिबद्धता इस बात से झलकता है कि उन्होंने नौकरशाही को सख्त हिदायत दी कि जनहित से जुड़े कार्यों को तवज्जो दें, इसमें जरा भी कोताही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। लाभुकों को सरकारी योजनाओं का शत-प्रतिशत लाभ को मिले, यह सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया।
श्री सोरेन ने पूर्ववर्ती सरकार के कार्यकाल में हुई गड़बड़ियों को भी जांच के दायरे में लाया। उनका यह कदम स्वागत योग्य है। मुख्यमंत्री ने पूर्ववर्ती सरकार के कार्यकाल में विभिन्न योजनाओं के तहत हुई अनियमितताओं से संबंधित मामले की जांच का आदेश दिया। पिछली सरकार के कार्यकाल में विभिन्न योजनाओं में हुए घपले-घोटाले की तह तक जाकर जांच को निष्कर्ष तक पहुंचाने के लिए हेमंत सोरेन कृतसंकल्पित हैं।
भ्रष्टाचार के मामले लगातार दर्ज किया जा रहे हैं। राजधानी रांची में सिवरेज-ड्रेनेज निर्माण की डीपीआर तैयार करने वाली परामर्श कंपनी मैनहर्ट की नियुक्ति में कथित घोटाले की जांच के लिए भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने प्रारंभिक जांच दर्ज कर मामले की तहकीकात शुरू की। गौरतलब है कि घोटाले का आरोप तत्कालीन पूर्व नगर विकास मंत्री रघुवर दास सहित अन्य लोगों पर भी लगा है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने एसीबी को सुसंगत धाराओं के तहत मामला दर्ज कर इसकी जांच का आदेश दिया। इसी प्रकार अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति (प्री मैट्रिक) भुगतान में फर्जीवाड़े की भी जांच एसीबी को करने का निर्देश राज्य सरकार द्वारा दिया गया। विदित हो कि झारखंड के कई जिलों में बड़े पैमाने पर अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति में फर्जीवाड़ा का मामला प्रकाश में आया था। पूर्ववर्ती सरकार के शासनकाल में युवाओं को स्किल समिट के समय दिए गए रोजगार के मामले में भी बड़े पैमाने पर गड़बड़ियां उजागर हुई थी। इसे भी राज्य सरकार ने भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो में मामला दर्ज कर जांच क आदेश दिए हैं।
हेमंत सोरेन की सरकार ने लगातार पिछले सरकार के कार्यकाल के दौरान विभिन्न योजनाओं में हुई अनियमितताओं की जांच को भी दायरे में लेकर कार्रवाई का आदेश दिया है। जांच में पारदर्शिता बनी रहे, इसके लिए नौकरशाही को भी मुख्यमंत्री ने निर्देशित किया है। भ्रष्टाचार के मामले में मुख्यमंत्री ने जांच एजेंसी को मामलों के तह तक जाकर निष्पक्ष और पूरी जांच करने का निर्देश दिया, ताकि घपलों-घोटाले से संबंधित मामलों का जल्द निपटारा हो सके। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के निर्देशानुसार भ्रष्ट अधिकारियों पर शिकंजा कसा गया है। कई भ्रष्ट नौकरशाह जेल में बंद है। मुख्यमंत्री के मुताबिक सरकारी योजनाओं में लूट-खसोट और भ्रष्टाचार के कारण जनता को इसका लाभ नहीं मिल पाता है। बिचौलिए, भ्रष्ट ठेकेदार और भ्रष्ट नौकरशाह योजनाओं की राशि की बंदरबांट कर लेते हैं। इसे मुख्यमंत्री ने गंभीरता से लेते भ्रष्टाचार समाप्त करने का संकल्प लिया।
भ्रष्ट नौकरशाही की नकेल कसने में कामयाब रही सरकार
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के चार वर्षों का कार्यकाल: भाग-10