Monday, April 29, 2024
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डॉ. रश्मि प्रियदर्शनी के चौथे काव्य-संग्रह ‘उस पार क्षितिज के जाना है’ का लोकार्पण तथा शब्दाक्षर काव्यानुष्ठान सफलतापूर्वक सम्पन्न

गया । हिन्दी दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय साहित्यिक संस्था ‘शब्दाक्षर’ के मंच पर गौतम बुद्ध महिला कॉलेज के अंग्रेजी विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर तथा शब्दाक्षर की राष्ट्रीय प्रवक्ता सह प्रसारण प्रभारी डॉ. कुमारी रश्मि प्रियदर्शनी के चौथे काव्य-संग्रह ‘उस पार क्षितिज के जाना है’ का रविवार 10 सितंबर को यहां लोकार्पण हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ मंचासीन अतिथियों ने दीप प्रज्वलन तथा माँ शारदे के छात्राचित्र पर माल्यार्पण के साथ हुआ। वात्सली निर्भया शक्ति की संस्थापिका सत्यवती गुप्ता के नेतृत्व में पधारे नन्हे-मुन्हे बच्चों ने मनमोहक मंगलाचरण प्रस्तुत किया। कार्यक्रम की संयोजक डॉ. रश्मि प्रियदर्शनी ने ‘उस पार क्षितिज के जाना है’ में प्रकाशित सरस्वती वंदना “माँ वीणापाणि हमें, तुम अपनी शरण दे दो” की सुमधुर प्रस्तुति दी। तत्पश्चात् डॉ रश्मि ने मंचासीन अतिथियों एवं गणमान्य साहित्यसेवियों का स्वागत शॉल प्रदान करके किया। कार्यक्रम अध्यक्ष वरिष्ठ पत्रकार कौशल किशोर त्रिवेदी, मुख्य अतिथि प्रो. नीरज कुमार, विशिष्ट अतिथि प्रो. दीनानाथ, प्रो. प्राणेश कुमार सिन्हा, प्रो. मनीष सिन्हा, डॉ. रामकृष्ण मिश्र, प्यारचन्द कुमार मोहन, शब्दाक्षर बिहार प्रदेश अध्यक्ष प्रो. मनोज कुमार मिश्र ‘पद्मनाभ’, डॉ वीरेन्द्र कुमार, प्रसिद्ध गीतकार कन्हैयालाल मेहरवार, वरिष्ठ पत्रकार कंचन कुमार सिन्हा एवं रवि प्रकाश ने डॉ. रश्मि की चतुर्थ काव्य कृति ‘उस पार क्षितिज के जाना है’ का सामूहिक लोकार्पण किया। हिन्दी साहित्य को उत्कृष्ट रचनाओं से समृद्ध करने की दिशा में डॉ. रश्मि द्वारा किये जा रहे सतत प्रयत्नों की प्रशंसा करते हुए अपने संबोधन में मंचासीन अतिथियों ने डॉ रश्मि को हिन्दी साहित्य जगत में उनकी नयी कृति के आगमन के लिए हार्दिक शुभकामनाएँ दीं। डॉ रश्मि ने स्वागत वक्तव्य प्रस्तुत करते हुए लोकार्पित पुस्तक का प्राक्कथन पढ़ा। उन्होंने पुस्तक में संकलित कविता ‘देखो क्षितिज बुलाता है’ एवं ‘उस पार क्षितिज के जाना है’ का ओजमय पाठ किया। उन्होंने कहा, “भय त्याग, नींद से जाग, मुझे उस पार क्षितिज के जाना है। जीवन अमर बना दे जो, वह रत्न ढूंढकर लाना है।।”
काव्य सत्र में मंचासीन अतिथियों एवं गया, जहानाबाद, औरंगाबाद, मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर आदि जिलों से आमंत्रित कवि/कवयित्रियों ने विभिन्न समसामयिक विषयों पर स्वरचित कविताओं का पाठ किया। काव्यानुष्ठान की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार डॉ रामसिंहासन सिंह ने की। काव्य सत्र में डॉ. रामसिंहासन सिंह, जनकवि सुरेंद्र सिंह सुरेंद्र, मनोज कुमार मिश्र, कन्हैयालाल मेहरवार, खालिक़ हुसैन परदेसी, मणिकांत कौशल, अजय कुमार (वैद्य), महेश कुमार मिश्र मधुकर, पंकज कुमार अमन, नंदन कुमार, धनंजय जयपुरी, विनय मामूली बुद्धि, अनुज बेचैन, नागेंद्र केसरी, अनिल अनल, मणिकांत कौशल, पंकज मिश्र, कुमार आर्यन, सागर आनंद, धनंजय जयपुरी, रामबिलास सिंह, मिथिलेश मिश्र दर्द, सहज कुमार, प्रवेश कुमार, संतोष क्रांति, रामानंद सिंह यादव, विनोद कुमार सिन्हा ने एक से बढ़कर हृदयस्पर्शी रचनाओं का पाठ किया। लोकार्पण सत्र का संचालन मनोज मिश्र ने तथा काव्यानुष्ठान सत्र का संचालन स्वयं डॉ रश्मि ने किया। मौके पर लाल जी प्रसाद, अनीला सिन्हा, मुद्रिका सिंह, रवि प्रकाश, अश्विनी कुमार, प्रमोद कुमार आदि की भी उपस्थिति रही। गौतम बुद्ध महिला कॉलेज की छात्रा श्रेया, अन्या, तान्या, लवली, शिल्पा, प्रतिज्ञा, हर्षिता आदि सहित डेढ़ सौ से अधिक साहित्यसेवियों ने अपनी उपस्थिति सुनिश्चित करायी। गया जिला हिन्दी साहित्य सम्मेलन के संरक्षक वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. राधानंद सिंह ने पुणे, महाराष्ट्र से डॉ रश्मि की साहित्यिक सक्रियता एवं उपलब्धियों पर गर्वबोध जताते हुए डॉ रश्मि के लिए शुभकामनाएँ प्रेषित की हैं। डॉ राधानंद सिंह के अनुसार, डॉ रश्मि का सम्मान गया की साहित्यिक -सांस्कृतिक सर्जना का सम्मान है। शब्दाक्षर के राष्ट्रीय अध्यक्ष रविप्रताप सिंह ने डॉ. रश्मि की साहित्यिक सक्रियता की सराहना करते हुए उनके चौथे काव्य संग्रह के लोकार्पण हेतु सम्पूर्ण शब्दाक्षर परिवार’ की ओर से बधाइयाँ और शुभकामनाएं प्रेषित कीं।

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