मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व में झारखंड सरकार ने विगत चार वर्षों के कार्यकाल में राज्य में बड़ी आबादी को रोजगार से जुड़ने का अवसर प्रदान किया है। ग्रामीण विकास और शहरी क्षेत्र की योजनाएं रोजगार सृजन में महत्वपूर्ण कड़ी साबित हुई हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में मनरेगा की तरह झारखंड के शहरों में भी रोजगार गारंटी योजना का लाभ आम लोगों को मिल रहा है। इसके अतिरिक्त सभी प्रकार के रोजगार गारंटी योजनाओं से झारखंड की जनता लाभान्वित हो रही है। इससे काफी हद तक मजदूरों का पलायन रुका है। मजदूर हित में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पहल पर कई उल्लेखनीय कार्य किए गए हैं, जो मील का पत्थर साबित हुई हैं।
मजदूरों को रोजगार मुहैया कराने के लिए मनरेगा काफी कारगर साबित हुआ है। आंकड़ों के मुताबिक इस योजना के तहत झारखंड में 97 लाख से अधिक कामगार निबंधित हुए। इनमें से 43 लाख कामगारों को रोजगार का अवसर प्राप्त हुआ।
झारखंड में मुख्यमंत्री शहरी श्रमिक रोजगार योजना के तहत शहरी क्षेत्र में संचालित योजनाओं का लाभ भी श्रमिकों को मिल रहा है।
वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण काल के अनुभवों को देखते हुए राज्य सरकार द्वारा बड़े शहरों और महानगरों की ओर मजदूरों के पलायन को रोकने की दिशा में भी उल्लेखनीय कार्य किया गया। इसका लाभ भी मिल रहा है।
विगत दो वर्षों में तकरीबन दो लाख श्रमिकों ने अपना निबंधन इन योजनाओं के तहत कराया। ग्रामीण इलाकों में जहां मनरेगा रोजगार के अवसर प्रदान कर रहा है। वहीं, शहरी क्षेत्र में लौटकर आए प्रवासी मजदूरों के लिए मुख्यमंत्री शहरी श्रमिक रोजगार योजना से लोग लाभान्वित हो रहे हैं। स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के अनवरत प्रयास से झारखंड में लाखों लोगों को रोजगार प्राप्त हो सका है। ग्रामीण क्षेत्रों के अलावा शहरों में भी राज्य सरकार की योजनाएं रोजगार का हथियार साबित हो रही है। मुख्यमंत्री की कई महत्वाकांक्षी योजनाएं धरातल पर उतरी हैं।
रोजगार गारंटी योजना से मिला रोजगार से जुड़ने का अवसर
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के चार वर्षों का कार्यकाल: भाग-7.