Monday, April 29, 2024
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राँची भूमि-घोटाला: महिलाओं से ज़मीन क़ब्ज़ा करवाते थे राँची DC छवि रंजन

आरोपियों की डायरी और मोबाइल को खंगालने के बाद पता चला है की ज़मीन क़ब्ज़ा करने के लिए भाड़े की महिलाओं के समूह को पैसे दिये गये थे।

झारखंड के 22 वर्षों के इतिहास में सबसे भ्रष्ट अधिकारी के रूप में छवि रंजन की पहचान बन गई है। रांची में डीसी के पद पर रहते हुए छवि रंजन ने भू माफियाओं को भरपूर फ़ायदा पहुँचाया। छवि रंजन 15 जुलाई 2020 से 10 जुलाई 2022 तक रांची के डीसी थे। इस दौरान उन्होंने भू-माफियाओं के सहयोग से अरबों की ज़मीन की हेराफेरी कर डाली। राँची में सेना के कब्जे वाली भूमि, बजरा मौजा की भूमि और चेशायर होम रोड की भूमि का मामला बड़ा होने के कारण सरकार और अधिकारियों की नज़र में आ गई और छवि की छवि ख़राब होते गई। अरबों रुपये के भूमि- घोटाले में राँची के पूर्व DC छवि रंजन पर सीधे तौर पर गाज गिरी और आज वे जेल की हवा खा रहे हैं।

ED के द्वारा किए गये जाँच में अरबों रुपये के इस भूमि- घोटाले के हर रोज़ नये राज खुल रहे हैं। हर राज के साथ छवि रंजन की मुसीबत बढ़ती ही जा रही है। इस बार जो ED ने खुलासे किए हैं वह बेहद चौंकाने वाले हैं। ED की जाँच में पता चला है कि भू-माफियाओं ने ज़मीन के फर्जी पेपर तैयार करने वाले गिरोह के माध्यम से कई भूखंडों के कागजात तैयार कर लिए और फिर उक्त ज़मीन पर अपनी दावेदारी जताने लगे। भू-माफियाओं ने राँची के तत्कालीन DC के शह पर भाड़े की महिलाओं के समूह को जुटाया और संबंधित ज़मीन को अपने क़ब्ज़े में कर लिया। यदि कहीं स्थानीय लोगों को किसी तरह से मैनेज करने की आवश्यकता हुई तो प्रशासनिक ताक़त या पैसा देकर उन्हें मैनेज कर लिया गया। अंततः जब ज़मीन पर भी क़ब्ज़ा हो गया तब उक्त ज़मीन वैध ठहराने के लिए बिजली का कनेक्शन भी ले लिया गया, साथ ही वहाँ पर निर्माण शुरू करते हुए गार्ड को रहने के लिए एक गार्ड रूम बनवा दिया गया। ED का कहना है कि इन सभी कामों में राँची के तत्कालीन DC छवि रंजन का भू-माफियाओं को पूरा सहयोग मिल रहा था।

ED ने भूमि-घोटाले के आरोपियों के पास से डायरी और मोबाइल ज़ब्त किया है। इन डायरी और मोबाइल को खंगालने के बाद पता चला है की ज़मीन क़ब्ज़ा करने के लिए भाड़े की महिलाओं के समूह को पैसे दिये गये थे।

ED के हवाले से बात भी निकलकर सामने आयी है कि अमित अग्रवाल ने भूमि-घोटाले के आरोपी प्रदीप बागची को ED को कुछ भी बताने से मना किया था। जाँच में पता चला है कि सेना के कब्जे वाली जमीन की खरीद-बिक्री की जांच के दौरान जब ED ने प्रदीप बागची को समन कर पूछताछ के लिए बुलाया था, तब अमित अग्रवाल ने उसे ईडी के पास जाने और मुंह खोलने से मना किया था।

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