Tuesday, April 30, 2024
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हमारी कोई ब्रांच नहीं,नकली तालिबान से सावधान।

तालिबान की समझ में आ गया है कि क्रूरता में उनका कंपटीशन आईएसआईएस से है, तो तालिबान को परम क्रूर होना पड़ेगा। वो हो रहे हैं।

आलोक पुराणिक

तालिबान ने काबुल एयरपोर्ट पर हुए हमले पर कहा – हम पर आतंकी हमला हुआ है। हुआ कुछ यूं लगता है जैसे कोई डाकू कह रहा हो कि उसके कोई साथ डकैती कर गया । पाकिस्तान भी इसी तरह की बातें करता है कि- हाय,उनके देश में आतंकी हमले हो जाते हैं । पाकिस्तान में इतनी वैरायटी के आतंकी हैं, कि पता करना पड़ता है कि आतंकी हमलों के लिए कौन सी वैरायटी के आतंकी जिम्मेदार हैं -लश्कर ए तोयबा वाले, पाक आर्मी वाले, पाक आईएसआई वाले, पाकिस्तान स्थित पाकिस्तानी तालिबानी या पाकिस्तान स्थित अफगानी तालिबानी । इतनी वैरायटी के आतंकी हैं पाक में कि समझना मुश्किल हो जाता है कि कौन सी वारदात का क्रेडिट किस आतंकी संगठन के खाते में जायेगा।आतंकी संगठनों में भी क्रेडिट की लड़ाई रहती है। किसने बम फोड़े कितने मारे यह सब आतंकियों के क्रेडिट में शुमार होता है। जो बात किसी आम आदमी को शर्मसार करती है, उस पर आतंकी क्रेडिट लेते हैं, खुश होते हैं। इंसानों और हैवानों का यही फर्क है, सभ्य मुल्कों और पाकिस्तान में यही फर्क है। चीन भी धीमे-धीमे पाकिस्तान की ही लाइन पर जा रहा है ।

उधर असली तालिबान-नकली तालिबान की जंग शुरु हो गयी है। काबुल एयरपोर्ट पर जिस संगठन ने हमला किया है, वह आईएसआईएस से जुड़ा है। आईएसआईएस दुनिया का सबसे खूंखार आतंकी संगठन माना जाता रहा है। इस बात को अफगानिस्तान के तालिबान दिल पे ले गये और क्रूरता की मेरिट लिस्ट में वो सबसे ऊपर अपना ही नाम देखना चाहते थे। आतंक और क्रूरता की मेरिट लिस्ट में टाप पर आने का क्लेम तो वैसे पाक आर्मी का भी है और पाक आईएसआई का भी है ।असली वाला आतंकी कौन है? यह बहस चल निकली है।

लश्कर ए तोयबा वाले इन दिनों कुछ उपेक्षित महसूस कर सकते हैं । सारी कवरेज तालिबान ही लिये जा रहे हैं। तालिबान के हाथ में पूरा मुल्क है। पाकिस्तान में भी कमोबेश हालात यही हैं कि सेना के हाथ में पूरा मुल्क है, जो अफगानी तालिबान की खैरख्वाह है। सब मिले हुए हैं जी-लश्कर ए तोयबा, लश्कर ए तस्कर, दाऊद इब्राहीम, बगदादी, पाक आर्मी, पाक आईएसआई, अफगानी तालिबान, पाकिस्तानी तालिबान, इमरान खान ये सब एक ही हैं, बस रंग और ढंग अलग हैं। तालिबान और इमरान एक ही हैं। चीन को यह बात अपनी तरह से लुटपिटकर समझ में आयेगी। या ना भी समझ में आयेगी।

तालिबान की समझ में आ गया है कि क्रूरता में उनका कंपटीशन आईएसआईएस से है, तो तालिबान को परम क्रूर होना पड़ेगा। वो हो रहे हैं। कुछ दिनों में इस तरह के इश्तिहार भी दिख सकते हैं, लश्कर ए तोयबा और लश्कर ए तस्कर से कि हम ही पुरानेवाले हैं, हम ही असली वाले हैं, सबसे पुराने आतंकी हम ही हैं। हमें भी क्रेडिट दिया जाये। हमें भी जोरदार आतंकी माना जाये। तालिबान अफगानिस्तान वाले अपनी रेपुटेशन बचाने के के लिए इश्तिहार दे सकते हैं-असली आतंकी तालिबान ही हीं, बच्चों, बड़ों किसी को ना छोड़ते। साठ के साल के तालिबान की शादी पंद्रह साल की लड़की से करवा कर हैवानियत का चरम दिखा सकते हैं, सबसे ज्यादा क्रूर संगठन तालिबान ही है, और हां हमारी कोई ब्रांच नहीं है।नकली तालिबान से सावधान।

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