Saturday, May 4, 2024
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पं.राजकुमार शुक्ल की 145वीं जयंती पर साहित्योदय शब्दांजलि आयोजित

प्रतिभागियों ने पं.शुक्ल को भारत रत्न देने की मांग की

  • रांची। मोहनदास करमचंद गांधी को महात्मा बनाने वाले महान स्वतंत्रता सेनानी पंडित राजकुमार शुक्ल की 145 वीं जयंती पर अंतर्राष्ट्रीय गोष्ठी सह परिचर्चा का आयोजन किया गया। जिसका एक साथ तीन चैनलों पर लाइव प्रसारण हुआ। साहित्योदय चैनल पर तकरीबन ढाई घंटे तक चले विशेष लाइव वेबिनार में दुनियाभर के शिक्षाविद, लेखक, अधिकारी, हॉलीवुड, बॉलीवुड के फ़िल्म अभिनेता और निर्देशकों ने भाग लिया।
    कार्यक्रम का उद्घाटन पद्मश्री डॉ. एस एन सुब्बाराव ने किया। कार्यक्रम का विषय: ” भारत की आज़ादी में पंडित राजकुमार शुक्ल का योगदान” था।
    इस अवसर पर डॉ. सुब्बाराव ने कहा कि राजकुमार शुक्ल के बिना महात्मा गांधी का इतिहास अधूरा है। क्योंकि राजकुमार शुक्ल जैसा हठी व्यक्ति जिन्होंने गांधी जी को चंपारण लाने पर विवश किया। उस समय का दौर, जहां आवागमन के बहुत सीमित संसाधन थे, वैसी स्थिति में राजकुमार शुक्ल जो पेशे से किसान थे, उन्होंने कभी कोलकाता, कभी लखनऊ, कभी साबरमती, गुजरात गांधी जी से मिलने जाते थे। उन्होंने अपनी पूरी जमीन, गाय बछड़ा,, तक आंदोलन के लिए न्योछावर कर दिया। उस आजादी के दीवाने को भारत रत्न से सुशोभित किया जाना चाहिए। तभी हम उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि दे सकते हैं।
    कार्यक्रम की अध्यक्षता पंडित राजकुमार शुक्ल फाउंडेशन के अध्यक्ष अजय राय ने किया।
    इस अवसर पर फिल्म अभिनेता राजेश जैस ने कहा कि जब महात्मा गांधी ने खुद अपनी पुस्तक में लिखा है की ….. राजकुमार शुक्ल के अंदर हमें सत्य अहिंसा और इश्वर का प्रतिरूप दिखता है। उन्होंने कहा कि 2011 में जब वह महात्मा गांधी के ऊपर बन रही फिल्म ” गाँधी द महात्मा ” में काम कर रहे थे, उस दौरान कुछ जानकारी उन्हें मिली और काफी जिज्ञासा हुई थी कि उनके बारे में ढेर सारी जानकारी जुटाई जाए।आज इस वेबीनार के माध्यम से बहुत कुछ जानने का मौका मिला।
    इस अवसर पर डीपीएस स्कूल के प्रिंसिपल व सहोदया के अध्यक्ष डॉ राम सिंह ने कहा कि राजकुमार शुक्ल जैसा व्यक्तित्व को शिक्षा विभाग अपने पाठ्यक्रम में शामिल करें ताकि देश – दुनिया में उनके द्वारा किया गया अंग्रेजो के खिलाफ संघर्ष की सच्ची तस्वीर और इतिहास के बारे में संबंधित सामग्री छात्रों और युवाओं तक उपलब्ध हो।
    कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे फाउंडेशन के अध्यक्ष अजय राय ने कहा कि राजकुमार शुक्ल के इतिहास का पुनर्मूल्यांकन होना चाहिए। उन्होंने कहा कि
    शुक्ल जी के संदर्भ में सोशल मीडिया पर या किसी समारोह या किसी व्यक्ति द्वारा दिए गए वक्तव्य में इतिहास से परे और प्रामाणिकता के बिना जो बातें कही जाती है, उन पर इतिहासकार विचार करें और सही साक्ष्य के आधार पर इसमें सुधार करें।
    इस अवसर पर दूरदर्शन के कार्यक्रम निर्देशक डाक्टर अमरनाथ अमर ने कहा कि शुक्ल जी जाति, वर्ग, धर्म इन सबसे ऊपर उठकर स्वतंत्रता के लिए अलख जगाया। वस्तुतः उनके सम्बन्ध में आज के सन्दर्भ में प्रासंगिकता पर नए सिरे से विचार होना चाहिये।
    वरिष्ठ लेखक भैरव लाल दास ने कहा कि राजकुमार शुक्ल के कार्यों के बारे में समाज को बताना हम सब की जिम्मेवारी बनती है।
    मशहूर लेखिका डाॅ. सुजाता चौधरी ने कहा कि राजकुमार शुक्ल अग्रेंजो के खिलाफ खड़ा होकर आंदोलन की नीव रखी।
    जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय युवा केंद्र के कार्यक्रम संयोजक भूपेंद्र प्रसाद ने कहा कि महात्मा गांधी भारत की आजादी के लिए चली लड़ाई के सबसे बड़े नायक हैं।
    न्यूयॉर्क से शामिल हॉलीवुड के फिल्म निर्देशक कृपा रंजन ने कहा कि इतने बड़े शख्सियत का नाम हमलोग नहीं जान पा रहे हैं, जो भारत के आजादी के टर्निग पॉइंट रहे हैं,उन्होंने कहा कि हमारा भी प्रयास होगा उनके व्यक्तित्व पर कोई अच्छी फिल्म का निर्माण करूं।
    झारखंड विधानसभा के संयुक्त सचिव मिथिलेश कुमार मिश्र ने कहा कि चंपारण किसान आंदोलन आजादी की लड़ाई में मील का पत्थर साबित हुआ था, लेकिन इसकी वजह बने राजकुमार शुक्ल को इतिहास में वाजिब स्थान न मिल सका।
    फिल्म निर्देशक ऋषि प्रकाश मिश्रा ने कहा कि चंपारण का किसान आंदोलन अप्रैल 1917 में हुआ था। गांधी ने दक्षिण अफ्रीका में सत्याग्रह और अहिंसा के अपने आजमाए हुए अस्र का भारत में पहला प्रयोग चंपारण की धरती पर ही किया। यहीं उन्होंने यह भी तय किया कि वे आगे से केवल एक कपड़े पर ही गुजर-बसर करेंगे।
    कार्यक्रम की शुरुआत में पंडित राजकुमार शुक्ल और गांधी के ऊपर एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म का भी प्रदर्शन किया गया। कार्यक्रम का संचालन प्रख्यात टीवी पत्रकार, मंच संचालक और सुप्रसिद्ध साहित्यकार पंकज प्रियम ने किया। इस कार्यक्रम का दुनियाभर के 70 से अधिक देश में सीधा प्रसारण हुआ, जिससे बड़ी संख्या में दर्शक जुड़े रहे और शब्दावली के माध्यम से अपने श्रद्धासुमन अर्पित किया। पंडित शुक्ल के सभी चाहने वालों ने लाइव कार्यक्रम में उपस्थित होकर अपनी शब्दांजलि दी।
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