- रांची। शहर के बजरा (रांची-गुमला रोड)स्थित अत्याधुनिक चिकित्सा सुविधायुक्त देवकमल अस्पताल एंड रिसर्च सेंटर के संस्थापक व ख्यातिप्राप्त सर्जन डॉ.अनंत सिन्हा ने कहा कि किफायती दर पर बेहतर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने की दिशा में अस्पताल प्रयासरत है। देवकमल अस्पताल चिकित्सा के क्षेत्र में नित नए आयाम स्थापित कर रहा है। काफी कम समय में ही उत्कृष्ट चिकित्सा सेवा संस्थान के रूप में इस अस्पताल की पहचान बन चुकी है। उन्होंने बताया कि विगत लगभग एक दशक में देवकमल अस्पताल के चिकित्सकों ने कई जटिल और असाध्य रोग से पीड़ित मरीजों का सफलतम इलाज कर उपलब्धियां हासिल की है। डॉ.अनंत सिन्हा और उनकी टीम के अनुभवी चिकित्सकों के प्रयास से चिकित्सा के क्षेत्र में देवकमल अस्पताल ने काफी कम समय में ही विशिष्ट पहचान स्थापित कर लिया है। कहा जाता है कि चिकित्सक ईश्वर का दूसरा रूप होते हैं। इसे चरितार्थ कर रहे हैं डॉ.अनंत सिन्हा। चिकित्सा सेवा में आने के पूर्व चिकित्सक मानव सेवा की शपथ लेते हैं। कुछ चिकित्सक तो मानव सेवा को ही अपने जीवन का लक्ष्य बना लेते हैं। पीड़ित मानवता की सेवा करना उनकी दिनचर्या में शुमार रहता है। ऐसी ही एक शख्सियत हैं प्रख्यात शल्य चिकित्सक व दया की प्रतिमूर्ति डॉ.अनंत सिन्हा। डॉ.सिन्हा पीड़ित मानवता की सेवा के प्रति समर्पित हैं। झारखंड के नामचीन शल्य चिकित्सकों में उनकी गणना की जाती है। मूल रूप से बिहार के सिवान जिले के निवासी डाॅ. सिन्हा की प्रारंभिक शिक्षा झारखंड में हुई। उनके पिता एकीकृत बिहार के समय वन विभाग में अधिकारी थे। सेवानिवृत्ति के पश्चात उनका परिवार पटना आ गया। डॉ.सिन्हा ने पटना के ख्यातिप्राप्त शिक्षण संस्थान संत माइकल स्कूल में दाखिला लिया। वहां से मैट्रिक व प्लस टू की परीक्षा पास की। तत्पश्चात उन्होंने मेडिकल कॉलेज की ओर रुख किया। आर्म्ड फोर्सेज मेडिकल कॉलेज ( एएफएमसी), पुणे में नामांकन हेतु उन्होंने तैयारियां शुरू की और इसमें सफल रहे। वहां से मेडिकल की डिग्री लेने के बाद वह पुणे में ही प्रैक्टिस करने लगे। लगभग छह वर्षों के प्रैक्टिस के दौरान उन्होंने कई वरिष्ठ चिकित्सकों का मार्गदर्शन भी प्राप्त किया। इस क्रम में उन्होंने मास्टर ऑफ सर्जरी और एमसीएच की डिग्री भी हासिल की।
झारखंड से उनका लगाव शुरू से ही रहा। अलग राज्य गठन के बाद डॉ. सिन्हा रांची आ गए। यहां देवकमल अस्पताल एंड रिसर्च सेंटर की स्थापना की। अपने अनुभव, कार्यशैली और व्यवहारकुशलता के बलबूते डॉ. सिन्हा चिकित्सा के क्षेत्र में नित नई उपलब्धियां हासिल करने लगे। आधुनिकतम सर्जरी के क्षेत्र में उन्होंने कई ऐसे उत्कृष्ट कार्य किए हैं, जो चिकित्सा क्षेत्र में अद्भुत मिसाल है। कटे होंठ और तालू की सर्जरी में डॉ. सिन्हा को महारत हासिल है। उनकी इस विशेषज्ञता के आधार पर चिकित्सा क्षेत्र में काम कर रही राष्ट्रीय स्तर की संस्था “स्माइल ट्रेन” उन्हें सहयोग कर रही है।
देवकमल अस्पताल की स्थापना काल से लेकर अब तक दस हजार से अधिक मरीजों के कटे होंठ और तालू का सफलतापूर्वक ऑपरेशन किया जा चुका है। उनके अस्पताल में विभिन्न रोगों से संबंधित कुशल और अनुभवी चिकित्सकों सहित समर्पित पारा मेडिकल कर्मियों की टीम है। देवकमल अस्पताल में अत्याधुनिक और विश्वस्तरीय चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध होने की वजह से यहां झारखंड के अलावा अन्य पड़ोसी राज्यों से भी मरीज इलाज कराने आते हैं। मरीजों की मानें तो मृदुभाषी डॉ.अनंत सिन्हा के व्यवहार से ही उनका आधा दुख दूर हो जाता है। मरीज उन्हें अपना मसीहा मानते हैं। डॉ.सिन्हा की खासियत है कि वे सभी धर्म व समुदाय के लोगों का समान रूप से आदर करते हैं। सर्वधर्म- समभाव को अपने जीवन में आत्मसात कर चिकित्सा के क्षेत्र में नित नए आयाम स्थापित करने में डॉ. सिन्हा जुटे हैं। उन्होंने बातचीत के क्रम में कहा कि मानव सेवा से बड़ा कोई धर्म नहीं है। इससे सुखद अनुभूति होती है। गरीबों, असहायों की सहायता करने से उन्हें सुकून मिलता है।
वर्तमान परिप्रेक्ष्य में देखा जाय तो चिकित्सा सेवा का तेजी से व्यवसायीकरण हो रहा है, ऐसे में डॉ.सिन्हा द्वारा मानव सेवा के उद्देश्य से चिकित्सा सेवा करना उनकी महानता का परिचायक है।
वह कहते हैं कि मरीज चिकित्सक में भगवान का रूप देखकर उनके पास आते हैं। ऐसे में चिकित्सकों की भी नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि वे मरीजों के साथ उनकी आशा और अपेक्षा के अनुरूप हर संभव सहयोग करें, तभी चिकित्सक होने की सार्थकता साबित होगी।
बेहतर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराना मुख्य लक्ष्य : डॉ.अनंत सिन्हा
कम समय में देवकमल अस्पताल ने बनाई विशिष्ट पहचान
Sourceनवल किशोर सिंह