Thursday, May 2, 2024
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मगध विश्विद्यालय का 63 वाँ स्थापना दिवस समारोह मनाया गया

गया । मगध विश्विद्यालय, बोधगया अन्तर्गत शिक्षा विभाग के राधाकृष्णन सभागार में मगध विश्विद्यालय का 63 वाँ स्थापना दिवस मनाया गया। कार्यक्रम की शुरुआत सरस्वती वंदना एवं दीप प्रज्वलित कर की गई। तत्पश्चात कुलगीत प्रस्तुत किया गया। कुलपति प्रो. एस पी शाही ने मुख्य अतिथि, उपसभापति, राज्यसभा हरिवंश को पुष्पगुच्छ, अंगवस्त्र एवं स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया। तत्पश्चात प्रो. सुशील सिंह ने अरिस्टो फार्मास्यूटिकल्स के प्रबंध निदेशक उमेश शर्मा उर्फ “भोला बाबू”को सम्मानित किया। कुलसचिव डॉ समीर कुमार शर्मा ने महंत श्री त्रिवेणी गिरी जी को अंग वस्त्र एवं स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया। प्रो रहमत जहां ने कुलपति प्रो. एस पी शाही का स्वागत किया। वहीं प्रो वीरेंद्र कुमार ने प्रो सुशील सिंह का स्वागत किया। प्रो आर एस जमुआर ने कुलसचिव डॉ समीर कुमार शर्मा का स्वागत किया। तत्पश्चात विश्वविद्यालय की छात्राओं ने स्वागत गीत प्रस्तुत किया। कुलपति प्रो एस पी शाही ने अपने स्वागत भाषण में विश्वविद्यालय के गौरवशाली 63 वर्ष पूर्ण होने की शुभकामनाएं दी। उन्होंने महंत शतानंद गिरी एवं सत्येंद्र नारायण सिंह को याद करते हुए, विश्वविद्यालय की नींव रखने में उनके अतुलनीय योगदान को नमन किया। उन्होंने विश्वविद्यालय के शिक्षकों की उपलब्धियों को गिनाते हुए कहा कि हमारा संकल्प नैक में ए ग्रेड लाने का है। उन्होंने मुख्य अतिथि एवं विशिष्ट अतिथि से अनुरोध किया कि विश्वविद्यालय के सर्वांगीण विकास में अपना सार्थक सहयोग करें। उन्होंने कहा कि महंत श्री त्रिवेणी गिरी जी की दृष्टि सदा ही विश्वविद्यालय की गतिविधियों पर रहती है जिससे विश्वविद्यालय को कभी भी अभिभावक की कमी महसूस नहीं होती है।प्रो सुशील सिंह ने विश्वविद्यालय के 63 वर्षों की सुनहरी यात्रा को अपनी भाषण के माध्यम से चित्रांकित किया। उन्होंने बताया कि कैसे महंत शतानंद गिरी ने सत्येंद्र नारायण सिंह जी की कल्पना को सींचते हुए मठ की जमीन दान में दे दी। मगध विश्वविद्यालय के छात्र न केवल देश में बल्कि विदेश में पदस्थापित हैं और विश्वविद्यालय का परचम लहरा रहे हैं। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय ने बहुत यादगार कार्यकर्मों का सफल आयोजन किया है, जो अन्य विश्वविद्यालयों के लिए एक उदाहरण है। उन्होंने बताया कि मगध विश्वविद्यालय ने दो बार विभाजन का दंश देखा, फिर भी यह अपने उसी रूप में अडिग और खड़ा है। उन्होंने कहा कि 2015 में विश्वविद्यालय का 118.75 एकड़ जमीन आईआईएम, बोधगया को दे दिया गया और बदले में इसे कुछ नहीं मिला। विश्वविद्यालय ने एनएसएस में भी काफी योगदान दिया है। उन्होंने नई पीढ़ी के शिक्षकों से आह्वान किया कि विश्वविद्यालय को नई ऊंचाईयों पर पहुँचाने में अपना योगदान देते रहें।
तत्पश्चात विश्वविद्यालय स्मारिका एवं न्यूज लेटर का विमोचन किया गया। अरिस्टो फार्मास्यूटिकल्स के प्रबंध निदेशक उमेश शर्मा उर्फ भोला बाबू ने अपने अभिभाषण में अपने भैया किंग महेंद्र शर्मा को याद करते हुए कहा कि इस विश्वविद्यालय का ही छात्र हूँ और इस विश्वविद्यालय के विकास के लिए अवश्य योगदान करूँगा। उन्होंने कहा कि व्यावसायी और उद्यमी समाज से इतना कुछ लेते हैं, तो उन्हें भी समाज के लिए भी कुछ करना चाहिए। उन्होंने कहा की कंपनियाँ बिहार से धन का उपार्जन कर रही हैं। लेकिन सीएसआर का खर्च बिहार राज्य पर नहीं कर रहे हैं। उन्होंने छात्रों को कहा कि ठान लिया जाये तो कोई भी काम असंभव नहीं है, साथ ही यह भी कहा कि वह अपने कंपनी के सीएसआर फंड के माध्यम से विश्वविद्यालय के सतत विकास में योगदान करेंगे। उन्होंने विश्वविद्यालय में सभागार निर्माण हेतु दिए गए प्रस्ताव पर विचार करने को कहा।उपसभापति, राज्यसभा, हरिवंश जी ने कहा कि यह सौभाग्य की बात है कि विश्वविद्यालय ने अपने स्थापना दिवस पर उन्हें आमंत्रित किया। उन्होंने कहा कि मोक्ष की धरती पर इस विश्वविद्यालय ने बहुत विलक्षण प्रतिभाओं को सिंचा है। उन्होंने कहा कि प्रो शाही एक इंस्टीट्यूशन बिल्डर हैं। उन्होंने कहा कि जिस तरह से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस दुनिया को बदल रही है, इस विश्वविद्यालय में एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का केंद्र बनना चाहिए। उन्होंने अमेरिका के विकास में स्टैंडफोर्ड विश्वविद्यालय के योगदान पर छपे एक लेख को संक्षेप में बताते हुए कहा कि क्यों न इस विश्वविद्यालय को भी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के विकास का केंद्र बना कर देश के विकास में एक अहम भूमिका निभाने का काम किया जाए। मगध की धरती ने भारत को साम्राज्य का रूप दिया है, उन्हें यकीन है कि मगध विश्वविद्यालय भी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में कार्य कर के देश को बदलने में अपनी भूमिका निभा सकता है। उन्होंने कहा कि मूल्यों के बिना अल्पकालीन सफलता पा सकते हैं किंतु दीर्घकालीन सफलता संभव नहीं है। उन्होंने गया शहर के पटवा टोली का उदाहरण देते हुए कहा कि अपने विकास के साथ अपने समाज के विकास पर भी ध्यान देना आवश्यक है। उन्होंने यह आश्वासन दिया कि इस विश्वविद्यालय को सेंटर ऑफ एक्सलेंस बनाने में जो भी योगदान होगा वह करूंगा।
इसके पश्चात यूजीसी, आईसीएसएसआर, आईसीपीआर, डीएसटी, इत्यादि से प्रोजेक्ट अनुदान प्राप्त करने वाले शिक्षकों एवं उत्कृष्ट कार्य करने वाले विद्यार्थियों को सम्मानित किया गया। साथ ही कोच अंजनी कुमार समेत उनके मार्गदर्शन में अंतरविश्वविद्यालय क्रिकेट टूर्नामेंट में विजेता टीम के खिलाड़ियों को भी सम्मानित किया गया। महंत त्रिवेणी गिरी जी ने अपने आशीर्वचन में सभी को शुभकामनाएं दिया। धन्यवाद ज्ञापन में कुलसचिव डॉ. समीर कुमार शर्मा ने सभी अतिथियों एवं सभा में उपस्थित शिक्षक, छात्र छात्राएं, मीडिया कर्मी, एवं शिक्षकेत्तर कर्मियों को शुभकामनाएं एवं धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के युग में अपनी क्रिएटिविटी को बचाए रखना जरूरी है। हम विद्यार्थियों और शिक्षकों के प्रयासों से ही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के माध्यम से विश्वविद्यालय को एक नए पायदान पर लेकर बढ़ सकते हैं। उन्होंने महंत त्रिवेणी गिरी के पोशाक का उदाहरण देते हुए कहा कि ये साधू के रूप में अवश्य हैं मगर दान लेते नहीं दान देते हैं और यह विश्वविद्यालय उनका कृतज्ञ है। उन्होंने आगे कहा कि अर्थ की जो कमी है, उसमें श्री उमेश शर्मा जी इस विश्वविद्यालय की काफी मदद कर सकते हैं।
राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम का समापन हुई।

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