Monday, April 29, 2024
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देश का सबसे बड़ा पावरमैन “सिंह साहेब” का ख़ौफ़, बाजपेयी ने दिया था क्लीन चिट, अब मोदी की बारी

जी हाँ, हम बात कर रहे हैं देश के सबसे बड़े पावरमैन बृजभूषण शरण सिंह की। आज देश से लेकर विदेशों तक में इस नाम के चर्चे हैं। भले ही यौन शोषण के मामले में ही, लेकिन सभी जगह आज यह एक चर्चित नाम है। इस बृजभूषण सिंह पर कई संगीन मुक़दमे भी हुए और सत्ता में दबदबा या कह लीजिए की इनका ख़ौफ़ के कारण इन्हें बरी कर दिया गया। इसकी गुंडई का अंदाज़ा इसी से लगाया जा सकता है कि एक बार इसने SP ऑफिस में SP पर ही पिस्टल तान दी थी, लेकिन SP की हिम्मत नहीं हुई कि उसपर कोई कार्रवाई कर सके । राजनीतिक गलियारे में दबदबा ऐसा कि लगातार 6 बार से सांसद का चुनाव जीत रहे हैं और पिछले 11 साल से भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) के अध्यक्ष पद पर बने हुए हैं। मजाल है की कोई उँगली उठा दे। राजनीतिक और बाहुबल के दम पर कारोबार के सल्तनत में भी राज ऐसा कि 50 से ज्यादा स्कूल-कॉलेज के मालिक हैं। क़ानून को अपनी जेब में रखनेवाले सिंह साहेब का रसूख़ ऐसा है कि पार्टी लाइन से अलग बयानबाजी भी करते हैं और मीडिया के समक्ष हत्या की बात बेधड़क कबूल करते हैं।

यह वीडियो उस समय की है जब खिलाड़ी अपना मेडल पवित्र गंगा को सौंपने जा रहे थे

उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले में एक कांग्रेसी नेता चंद्रभान शरण सिंह के परिवार में 1957 में बृजभूषण शरण सिंह का जन्म हुआ था । कॉलेज के दिनों से ही बृजभूषण छात्र राजनीति में सक्रिय था। सत्तर के दशक में के.एस. साकेत महाविद्यालय, अयोध्या में कॉलेज के चुनाव में जीतकर महामंत्री बना । स्थानीय पत्रकार बताते हैं कि छात्र राजनीति के दौरान ही कॉलेज के किसी मामले में उसने हैंडग्रेनेड चला दिया था, जिसके बाद उनका नाम उछला और फिर राजनीति में वो सक्रिय होता गया ।

बृजभूषण शरण सिंह की, जिनके खिलाफ एक साथ देश के कई नामी पहलवान दिल्ली के जंतर-मंतर पर प्रदर्शन कर रहे हैं। 8 पहलवान सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए हैं। इन्होंने कोर्ट से बृजभूषण के खिलाफ FIR दर्ज करने की मांग की है।आप इसी बात से सिंह साहेब के रसूख़ और ख़ौफ़ का अंदाज़ा लगा लीजिए कि देश के बड़े-बड़े ओलंपिक पदक विजेता के आरोप लगाने के बावजूद भी सिंह साहेब के ख़िलाफ़ FIR तक दर्ज नहीं किया जाता है। एक FIR दर्ज कराने के लिए इन खिलाड़ियों को सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाना पड़ता है।

जानिए बृजभूषण के इन कारनामों को

1. मीडिया के समक्ष हत्या करने की बात कबूली

  • 2022 विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा सांसद बृजभूषण शरण का मीडिया को दिया एक इंटरव्यू खूब वायरल हुआ था, जिसमें इसने खुद एक हत्या करने की बात कबूली थी । बृजभूषण ने उस इंटरव्यू में कहा था – “मेरे जीवन में एक हत्या मुझसे हुई है। लोग चाहे कुछ भी कहें। रविंद्र को जिस आदमी ने मारा था। उसकी पीठ पर राइफल से मैंने गोली मारी थी।” दरअसल, यह मामला 1983 का है। उस समय रविंद्र सिंह, अवधेश सिंह और बृजभूषण सिंह तीनों दोस्त थे और खनन से संबंधित ठेकेदारी का काम करते थे। ठेकेदारी के सिलसिले में तीनों दोस्त एक जगह गए हुए थे। वहां पर दूसरे पक्ष से विवाद हो गया था जिस कारण रवींद्र सिंह को किसी ने गोली मार दी थी । इसके बाद रवींद्र को गोली मारनेवाले को बृजभूषण ने गोली मार दी थी । मामला न्यायालय में गया जहां बृजभूषण को बरी कर दिया गया था ।

2. SP पर ही पिस्टल तान दी

  • वर्ष 1987 में जिले के गन्ना निदेशक के चुनाव में बृजभूषण ने भी पर्चा दाखिल किया था । स्थानीय SP ने बृजभूषण को बुलाया और नामांकन वापस लेने की धमकी दी थी। मीडिया को दिये एक साक्षात्कार में बृजभूषण ने बताया कि, “मैंने SP पर पिस्टल तान दी और उसे 200 गालियां दीं। स्थानीय पत्रकार हनुमान सिंह सुधाकर वहीं थे। इसके बाद मैंने अपनी बाइक उठाई और वहां से निकल गया।

3. बाबरी मस्जिद गिराने के लिए फावड़ा और बेलचा दिया

  • बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में लालकृष्ण आडवाणी, कल्याण सिंह, मुरली मनोहर जोशी समेत जो 40 लोग आरोपी बनाए गए थे उनमें बृजभूषण शरण सिंह भी शामिल थे। एक दूसरे साक्षात्कार में बृजभूषण बताते हैं, “जब कारसेवकों ने बाबरी मस्जिद पर हमला किया तो किसी के पास कोई हथियार नहीं था। वहां पास में कृष्णा गोयल का काम चल रहा था। हमने स्टोर रूम तोड़ा और कारसेवकों तक गैती-फावड़ा पहुंचाया। बावरी मस्जिद को हमने गिराया नहीं है, लेकिन रात 10 बजे तक हम वहीं थे।” CBI की स्पेशल कोर्ट ने साल 2020 में बृजभूषण शरण सिंह समेत सभी आरोपियों को बरी कर दिया।

4. दाऊद से जुड़े होने के कारण टाडा लगा

  • बृजभूषण शरण सिंह को लेकर सबसे बड़ा विवाद तब हुआ था, जब इस पर अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद के साथ जुड़े होने के आरोप लगे थे । आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने की वजह से इसके खिलाफ टाडा का मामला दर्ज किया गया था । बृजभूषण पर दाऊद से फोन पर बात करने और उसकी मदद करने के आरोप भी लगे थे। बाद में CBI ने इन सभी आरोपों से सिंह को बरी कर दिया।

5. गोंडा का नाम लोकनायक जयप्रकाश नगर बदलने से रोका

  • मायावती ने गोंडा में एक कार्यक्रम के दौरान गोंडा का नाम बदलकर लोकनायक जयप्रकाश नगर करने की घोषणा की थी। नाम बदलने को लेकर बृजभूषण मायावती से भिड़ गया। उसने नाम नहीं बदलने देने के लिए आंदोलन शुरू कर दी। गोंडा का नाम नहीं बदलने का आंदोलन से संबंधित तस्वीरें लेकर बृजभूषण अपने सरपरस्त अटल जी के पास गया और अटल जी ने एक फोन पर जिले का नाम रोक दिया।

6. टिकट काटने से नाराज़ बृजभूषण पर घनश्याम शुक्ल की हत्या का आरोप

  • लेकिन ये नामकरण संघ के बड़े नेता नाना जी ने कराया था और फिर संघ में बृजभूषण का विरोध शुरू हो गया। इस विरोध के कारण गोंडा से बृजभूषण का टिकट काटकर घनश्याम शुक्ल को दे दिया गया। जिस दिन वोट पड़ रहा था उसी दिन घनश्याम शुक्ल का एक्सीडेंट में निधन हो गया। कुछ दिनों बाद एक्सीडेंट कराने का आरोप बृजभूषण पर लगा। इस घटना की CBI जांच का आदेश दिया गया। इससे ख़फ़ा होकर बृजभूषण BJP छोड़कर सपा में शामिल हो गए। 2009 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की कैसरगंज सीट से सपा के टिकट पर चुनाव जीते। 2014 के चुनाव से पहले BJP में घर वापसी हो गई और तब से BJP सांसद हैं।

7. 1991 में BJP के टिकट से 34 आपराधिक मुक़दमे के साथ राजनीति की शुरुआत की

  • छात्र राजनीति और राम जन्मभूमि आंदोलन की वजह से बृजभूषण क्षेत्र में काफी लोकप्रिय हो चुका था । 1991 में जब BJP ने बृजभूषण सिंह को लोकसभा का टिकट दिया तब इसके खिलाफ 34 आपराधिक मामले दर्ज थे। BJP ने सिंह को गोंडा का रॉबिनहुड कहकर बचाव किया था । बृजभूषण ने बड़े अंतर से चुनाव जीता था। 1996 में जब बृजभूषण सिंह टाडा के तहत तिहाड़ जेल में सजा काट रहे थे, तब इनकी पत्नी केतकी सिंह ने गोंडा लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा। बृजभूषण के जेल में होने के बावजूद केतकी सिंह ने कांग्रेस के आनंद सिंह को 80,000 वोटों से हराया।

8. जेल में बाजपेयी ने चिट्ठी भेजी

  • 30 मई 1996 को तिहाड़ जेल में आतंकवादी गतिविधि के आरोप में टाडा के तहत सजा काट रहे बृजभूषण सिंह को तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने चिट्ठी भेजी थी, जिसमें उन्होंने बृजभूषण को एक बहादुर योद्धा बताते हुए लिखा था कि – आप बहादुर हैं। सावरकर जी को याद करिए। उन्हें उम्रकैद की सजा मिली थी।

9. 50 से ज्यादा स्कूल-कॉलेजों के मालिक

  • चुनावी घोषणापत्र में बृजभूषण सिंह ने करीब 10 करोड़ रुपए की चल-अचल संपत्ति बताया है। वहीं उसकी पत्नी के पास करीब 6 करोड़ रुपए की संपत्ति है। उसके पास स्कॉर्पियो, फोर्ड और फॉर्च्यूनर जैसी कई महँगी गाड़ियां हैं। स्थानीय पत्रकार बताते हैं कि ये तो सिर्फ़ सरकारी आँकड़े हैं, इसके अलावा बृजभूषण सिंह इलाके के करीब 50 से ज्यादा स्कूल कॉलेजों का मालिक है। अलग-अलग सेक्टर में वो ठेकेदारी का काम भी करता है । हेलिकॉप्टर और घोड़ों की सवारी करना उसका पसंदीदा शौक़ है।

10. सांसद बृजभूषण के खिलाफ रेसलर्स के आरोप

  • विनेश फोगाट ने सोमवार सुबह कहा, ‘आप सभी को नमस्कार, जैसे कि आप सब जानते हैं। 3 महीने पहले हमने रेसलिंग फेडरेशन के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ आवाज उठाई थी। हमारे साथ में कुछ राजनीति हुई है। सरकार ने एक कमेटी बनाई थी। 4 हफ्ते का समय मांगा था। 3 महीने हो गए हमें इंतजार करते हुए, हमारे साथ आज भी न्याय नहीं हुआ है।’ उन्होंने कहा ‘दो दिन पहले हम पुलिस स्टेशन गए थे। जहां 7 लड़कियों ने बृजभूषण के खिलाफ कार्रवाई करने की शिकायत दी है। शिकायत में मांग की कि बृजभूषण ने जो शारीरिक शोषण किया है, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाए। पुलिस हमारी FIR भी दर्ज नहीं कर रही है, जिसके बाद इंतजार कर जंतर-मंतर पर आए हैं।’

मीडिया में चल रही अफ़वाहों पर पहलवानों ने रोष जताया

महिला पहलवानों को लेकर अब देशभर की मीडिया में बग़ैर तथ्य को जाने और परखे अफ़वाहें चल रही हैं। असल बात यह है कि न तो वे आंदोलन से भागी हैं और न ही उन्होंने एफआईआर वापस ली है, लेकिन जब से महिला पहलवानों ने ड्यूटी जॉइन की है, अफवाह चल निकली है- उन्होंने आंदोलन ख़त्म कर दिया… नाबालिग पहलवान ने अपने आरोप वापस ले लिए हैं। बृजभूषण शरण सिंह बरी हो सकते हैं आदि। ड्यूटी जॉइन करने वाली पहलवानों ने अपने ट्विटर अकाउंट के माध्यम से खुद कहा है- “हमने आंदोलन छोड़ा नहीं है। न्याय होने तक हमारा आंदोलन जारी रहेगा। हमने केस भी वापस नहीं लिया है। हमने गृहमंत्री अमित शाह के आश्वासन पर केवल कुछ वक्त दिया है। गृहमंत्री ने साफ़ कहा है कि हर हाल में क़ानून अपना काम करेगा। हमें केवल कुछ वक्त चाहिए जाँच के लिए।”

महिला पहलवानों ने यह भी कहा है कि -“उन्हें नौकरी जाने का भय दिखाया जा रहा है। यदि उनके आत्मसम्मान में उनकी नौकरी बाधा बनती है तो क्षण भर में वे अपनी नौकरी का त्याग कर देंगी।”

सबसे बड़ा सवाल

अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि पॉक्सो में जब केस दर्ज हो चुका तब भी आरोपी की गिरफ़्तारी क्यों नहीं हुई? पॉक्सो क़ानून के तहत आरोपी की तत्काल गिरफ़्तारी अनिवार्य है, लेकिन आरोपी के रसूख़ के आगे जहां सत्ता के सिरमौर ही सलामी दागते हों वहाँ ये बेचारे प्रशासनिक अधिकारी लाचार क्यों न हों? सवाल और भी कई हैं, लेकिन जवाब कुछ भी नहीं। हालाँकि कोई भी सरकार किसी आंदोलन या धरने के आगे झुकना नहीं चाहती, लेकिन अपने स्वार्थपरायण और चहेते नेता के हितार्थ इतना अंधा होना भी, क्षणिक सुख देनेवाले सत्ताधारियों को सर्वनाश के मार्ग की और ले जाने को काफ़ी है। संभव है विवेक जाग जाये और सरकार शायद खुद कोई न्यायोचित निर्णय ले ताकि महिला पहलवानों को न्याय मिल सके!

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